लघु कथा: शहद का उपहार

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लघु कथा: शहद का उपहार


मुस्तफा कमाल पाशा उन दिनों तुर्की के राष्ट्रपति थे। राजधानी में उनकी वर्षगांठ धूमधाम से मनाई गई। अनेक लोगों ने उन्हें बहुमूल्य उपहार भेंट किए। उत्सव समाप्त होने पर कमाल पाशा विश्राम के लिए जाने ही वाले थे कि गांव का एक बूढ़ा उनसे मिलने आ पहुंचा। उपहार के रूप में मिट्टी के बर्तन में थोड़ा-सा शहद लाया था। कमाल पाशा ने प्रेम से उसका उपहार स्वीकार किया। अपनी दो उंगलियां शहद के बर्तन में डालीं और उसे चाटकर उसका स्वाद लिया। 


तीसरी उंगली से शहद निकालकर उन्होंने बूढ़े को खिलाया। वह निहाल हो गया। बूढ़े को विदा करते हुए कमाल पाशा ने कहा,‘‘बाबा, तुम्हारे द्वारा प्यार से लाया गया शहद मेरे जन्मदिन का सर्वोत्तम उपहार है, क्योंकि इसमें शुद्ध प्यार की मिठास है। तुम्हारी भावना ने मेरे लिए इस उपहार को अमूल्य बना दिया है।’’ उपहार का अपना कोई विशेष मूल्य नहीं होता, मूल्य उसे लाने वाले की भावना का होता है।


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