Lakes Of Haryana हरियाणा प्रदेश की प्रमुख झीलें

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Lakes Of Haryana हरियाणा प्रदेश की प्रमुख झीलें



गुरुग्राम 

दमदमा झील- यह हरियाणा की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील है। यह सोहना से 8 किमी दूर है। दमदमा झील लगभग 3000 वर्ग एकड़ (14 वर्ग किलोमीटर) मे फैली हुई है। इस झील के बीच में एक ड्रीम आइलैंड एडवेंचर रिसॉर्ट है, जो एक सुन्दर पिकनिक स्थल है जिसमें पर्यटक भरपूर आनंद उठा सकते है। यह अरावली की पहाड़ियों से घिरी हुई बेहद ही खूबसूरत झील है। यह झील सुखना झील (चंडीगढ़) से चार गुना अधिक बड़ी है।


सुल्तानपुर झील - यह झील गुरुग्राम से 15 किलोमीटर की दूरी पर फरुखनगर में स्थित है। यह झील 325 वर्ग एकड़ मे फैली हुई है। इसे सुल्तानपुर राष्ट्रीय वन्यजीव अभयारण्य या सुल्तान पुर पक्षी अभयारण्य (नेशनल पार्क) के नाम से भी जाना जाता है। इसे 1970 में पक्षी अभयारण्य घोषित किया गया था, बाद में 1989 में, इसे एक राष्ट्रीय उद्यान में अपग्रेड किया गया था। यहाँ पर जनवरी से जून के बीच मे प्रवासी पक्षी पाए जाते है। सर्दियों के मौसम में यहाँ बारहेडीड़गूंजे नामक पक्षी लद्दाख और साइबेरिया से आती है जो सबसे ऊंची उड़ान भरती है।


बसई झील - यह मूल रूप से आद्र भूमि है और इसे बसई आद्र भूमि के नाम से भी जाना जाता है। कृष्णावती व पुरुषोती नदी के संगम से बनी झील है।


खलीलपुर झील - यह झील गुरुग्राम के पटौदी तहसील के अंतर्गत आती है। यह झील बरसाती झील है, ग्रीष्म ऋतु में ज्यादातर सूख जाती है। इस झील का विस्तार लगभग 607 वर्ग हेक्टेयर में फैला हुआ है।

भीमकुंड झील - यह गुरुग्राम के भीम नगर में 10 एकड़ में फैली हई है। इसे पिच्चोखेड़ा जोहड़ के नाम से भी जाना जाता है।


घाटा झील-  डोहला झील - यह झील गुरुग्राम जिले के सोहना गाँव में स्थित है।


करनाल-  कर्ण झील- यह झील 1972 में बनाई गई थी। 17 एकड़ में फैली कर्ण झील का नाम महाभारत काल के सूर्यपुत्र तथा सूत पुत्र दानवीर कर्ण के नाम पर रखा गया। इस झील को कर्ण ताल व करनाल चक्रवती झील के नाम से भी जाना जाता है।


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फरीदाबाद

बड़खल झील- यह झील अरावली पर्वत के किनारे पर है। यह झील हरियाणा के फरीदाबाद जिले में स्थित है। इसका निर्माण सिंचाई उत्पादन के अंतर्गत में किया गया था। जिसका उद्देश्य भूमि के कटाव व बहाव को रोकना था। 2009 तक कम वर्षा के कारण यह लगभग सुख गयी थी यह बड़खल गांव में स्थित है। जिसका नाम पर्शियन भाषा से लिया है। इस झील के पास एक विश्राम गृह है जिसमे पर्यटक आराम कर सकते है


धौज झील- धौज झील फरीदाबाद से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।


मयूर झील- अनंगपुर झील- यह झील फरीदाबाद के अनंगपुर गाँव में है। इस झील का निर्माण राजा अनगपाल ने करवाया था जोकि 8 वीं शताब्दी में तोमर वंश के शासक थे।


सूरजकुंड- यह 10 वीं शताब्दी का एक प्राचीन जलाशय है। यह अनंगपुर बांध से लगभग 2 किलोमीटर दूरी पर है, इसे सूर्य की झील भी कहते है। इस झील को तोमर वंश के राजा सुरजमल ने बनवाया था तथा इस झील के निर्माण में अनंगपाल द्वितीय का भी विशेष सहयोग रहा था। सूरजकुंड में हर साल सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला 1 फरवरी से 15 फरवरी तक आयोजित किया जाता है।


नूहँ

कोटला झील- यह झील हरियाणा के नूंह जिले के कोटला गाँव में स्थित है। कोटला झील मेवात क्षेत्र की जीवन रेखा है। यह झील 20 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैली हुई है, इस  झील की लंबाई 5 किलोमीटर तथा चौड़ाई 4 किलोमीटर है। नूहं तथा फिरोजपुर झिरका पहाड़ी की श्रंखला के पूर्व अवस्थित है, यह झील पूरी तरह से पहाड़ी से घिरी हुई है। यह 1838 में बनाई गईं थी इस झील के पानी को उजीना झील की ओर मोड़ने के लिए एक बांध बनाया गया था जिसको बाद में उजीना नामक स्थान तक बढ़ाया गया।


कुरुक्षेत्र 

सन्निहित सरोवर- सन्निहित सरोवर- यह झील करुक्षेत्र से 4 किलोमीटर दूर पेहवा रोड पर स्थित है। ऐसा माना  जाता है कि भगवान श्री हरी विष्णु यहाँ निवास किया करते थे। यह झील सरस्वती नदी की सात धाराओं का संगम है। सूर्य ग्रहण के समय तीर्थयात्री व पर्यटक इस स्थान पर इकट्ठे होते हैं। महाभारत के 18 पर्व के वन पर्व में इसका वर्णन मिलता है। यह गुरुद्वारा छठी पातशाही के समीप है। इस झील के आस पास एक दु:खभजनेश्वर मंदिर तथा एक नारायण मंदिर व  लक्ष्मी नारायण मंदिर स्थित है। लक्ष्मी नारायण मंदिर में दक्षिण भारत की कला का वैभव देखने को मिलता है।


ब्रह्म सरोवर- इसे एशिया के सबसे बड़े तालाबों में शामिल होने का गौरव प्राप्त है। ऐसा माना जाता है कि इसकी खुदाई भगवान ब्रह्मा द्वारा की गई थी। तथा यहाँ के स्थानीय मान्यताओं के अनुसार इसका निर्माण कौरवों तथा पांडवों के पूर्वज राजा कुरु ने पहली बार करवाया था। यहां भगवान ब्रह्मा द्वारा शिव लिंग स्थापित किया गया था। नवंबर-दिसंबर में ब्रह्म सरोवर के तट पर वार्षिक गीता जयंती समारोह आयोजित किया जाता है। ब्रह्मसरोवर एशिया का सबसे बड़ा मानव निर्मित सरोवर है। जिसका उल्लेख महाभारत तथा वामनपुराण में मिलता है। ब्रह्म सरोवर के पानी में सर्वेश्वर महादेव मंदिर स्थित है इस मंदिर का निर्माण बाबा स्वर्णनाथ द्वारा करवाया गया था। ब्रह्म सरोवर के बीच में एक बाग है जिसका नाम पुरुषोत्तमपुरा बाग है। इस सरोवर के मध्य एक विशालकाय मूर्ति का निर्माण किया गया है जिसमें भगवान श्री कृष्ण अर्जुन के सारथी हैं। अल्बरूनी ने अपनी पुस्तक उल हिन्द में इसका वर्णन किया है


रोहतक 

तिल्यार झील- यह झील हरियाणा के रोहतक जिले के 2 किमी की दूरी पर दिल्ली बॉर्डर स्थित है। यह झील लगभग 132 एकड़ में फैली हुई है। इस झील के साथ में रोहतक चिड़ियाघर स्थित है।


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पलवल

डबचिक झील- इस झील का निर्माण पलवल जिले वर्ष 1975 में किया गया था। इस पर्यटन स्थल की आधारशिला तत्कालीन राज्यपाल बीएन चक्रवर्ती ने रखी थी। यह झील लगभग 22 एकड़ में फैली हुई है। एस माना जाता है की वर्ष 1985-86 के आस-पास सूख गई थी।


पंचकुला 

टिक्कर ताल- यह पंचकुला जिले के मोरनी हिल्स के मध्य स्थित है। (मोरनी हिल्स को पहाड़ों की रानी के नाम से भी जाना जाता है। मोरनी हिल्स की सर्वोच्च पर्वत चोटी का नाम करोह है जिस की समुद्र तल से ऊंचाई 1514 मीटर है।) टिक्कर ताल के पास में ही एडवेंचर स्पोर्ट्स स्थित है, जहां पर पर्यटक नौकायान के जरिए इस झील का भरपूर आनंद उठा सकते है।


बसोलन झील- यह झील पंचकुला जिले के पिंजौर में स्थित है।


हिसार 

ब्लू बर्ड- यह हरियाणा के हिसार जिले मे लगभग 20 एकड़ मे फैली हुई है। इस झील आसपास एक वेटलैंड और पार्क है जो लगभग 52 एकड़ में फैले हुए हैं। शतवर वाटिका हर्बल पार्क और हिरण पार्क  इस झील के पास हैं।


फतेहाबाद 

चिल्ली झील- इस झील का नाम बदल कर स्वर्ण जयंती हेरिटेज पार्क रख दिया गया है।


यमुनानगर 

जौहर हथनी कुंड - यह हरियाणा के जिले यमुनानगर में है इसका निर्माण 1966 में प्रारंभ हुआ था तथा लगभग 1999 में बनकर तैयार हो गया था। यह ताजेवल बांध के पास है इस कुंड की कुल लंबाई 360 मीटर है।


झज्जर 

भिंडावास झील 


सोनीपत 

डाबर झील- यह झील सोनीपत जिले के मुरथल गाँव में स्थित है।


देहावली झील- यह झील सोनीपत जिले के मुरथल गाँव में स्थित है।


चंडीगढ़ 

सुखना झील

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