जाने दीवार फ़िल्म के लिए अमिताभ बच्चन के छोटे भाई का किरदार कोई भी ऐक्टर क्यों नहीं निभाना चाहता था!

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जाने दीवार फ़िल्म के लिए अमिताभ बच्चन के छोटे भाई का किरदार कोई भी ऐक्टर क्यों नहीं निभाना चाहता था!



 शशि कपूर और अमिताभ बच्चन की सुपरहिट फिल्म दीवार में अमिताभ बच्चन बड़े भाई के किरदार में थे और छोटे भाई की भूमिका निभाई थी शशि कपूर ने| इस फ़िल्म में इन दोनों के किरदार के नाम थे विजय वर्मा और रवी वर्मा| शशि कपूर वाला छोटे भाई का किरदार सबसे पहले नवीन निश्चल को आफर हुआ था| लेकिन नवीन निश्चल साहब के बारे में तो शायद अपने सुन ही रखा होगा| के उनके अंदर ईगो प्रॉब्लम कुछ ज्यादा ही थी| इसी ईगो की वजह से तो उनका करियर ही खत्म हो गया| दरअसल असल कारण ये था के साल 1971 में नवीन निश्चल की एक फ़िल्म आयी थी| जिसका नाम था परवाना और इस फ़िल्म में अमिताभ बच्चन एक सपोर्टिंग किरदार में थे और नवीन निश्चल मैन लीड रोल में थे.|

अब चाहे इसे कोई नवीन की ईगो प्रॉब्लम कहे लेकिन ये था तो स्वाभाविक ही के कोई सुपरस्टार किसी नए और छोटे कलाकार की फ़िल्म में छोटे भाई का किरदार निभा के अपना अहूदा छोटा क्यों करे और एक बात और के उस वख्त तक अमिताभ बच्चन की एक ही फ़िल्म सुपरहिट हुई थी वो थी ज़ंजीर.... तो इसीलिए उस वख्त अमिताभ बच्चन भी कोई बड़े स्टार नहीँ बने थे हा मेकर्स को उनसे उम्मीदे थोड़ी ज्यादा हो गई थी तो जब नवीन निश्चल ने अमिताभ बच्चन के छोटे भाई का किरदार निभाने से साफ मना कर दिया और फिर सलीम जावेद जोड़ी ने रवि वर्मा के किरदार के लिए शशि कपूर तक पहुंच की| 

आपको जानकर हैरानी होगी के जब सलीम जावेद जोड़ी ने शशि कपूर को उनकी छोटे भाई की भूमिका उन्हें सुनाई तो शशि कपूर ने भी ये किरदार निभाने से राइटर जोड़ी को मना कर दिया था| कारण पूछने पर शशि कपूर ने बताया था के उस वख्त शशि कपूर अमिताभ बच्चन से लगभग साढ़े चार साल बड़े थे और दूसरा उस वख्त शशि कपूर भी अमिताभ बच्चन से बड़े स्टार थे और उस वख्त तक शशि कपूर की भी कई फिल्में सुपरहिट ब्लॉक बस्टर तक हो चुकी थी|  उनका सोचना था के दर्शक उन्हें छोटे भाई के किरदार में एक्सेप्ट नहीं करेंगे| लेकिन सलीम जावेद जोड़ी ये पहले से ही जानते थे तथा उन्होंने सोच समझ कर ये किरदार उन्हें आफर किआ था|


 आप ऐसा भी कह सकते है के राइटर जोड़ी ने कई बड़े बड़े स्तरों को उस दौर में अमिताभ के नीचे काम करने के लिए किसी न किसी तरह मना ही लिया| जब राइटर जोड़ी ने शशि कपूर के साथ बैठ कर उनके डायलॉग्स और किरदार के कुछ हिस्से कुछ इस तरह से समझाए के शशि कपूर को लगने लगा के वो इस किरदार में फिट हो जाएंगे और जब शशि कपूर को राइटर जोड़ी ने पुल के नीचे वाला सीन जिसमे शशि कपूर अमिताभ बच्चन के डायलाग के बाद कहते है के मेरे पास माँ है| (सोनी के किस्से) उस सीन ने शशि कपूर के सारे भरम दूर कर दिए और साढ़े चार साल बड़े शशि कपूर ने दीवार फ़िल्म में अमिताभ बच्चन के छोटे भाई का किरदार निभाने के लिए हां कर दी और वैसे भी अगर आज कोई इस फ़िल्म की बात करता है तो कोई नहीं कह सकता के शशि कपूर अमिताभ से साढ़े चार साल बड़े थे| 


उनका चेहरा और उनकी फिटनेस ही ऐसी थी और उनका ये फैसला उनके लिए बहुत लकी साबित हुआ| ये बात आप कह सकते हैं लेकिन इसका दूसरा पक्ष ये भी है के शशि कपूर के खून में अदाकारी है| अगर आप इतिहास की फिल्मों पर एक नजर दौड़ाएं तो आपको सही प्रतीत होगा के हमेशा नेगेटिव किरदार पॉजिटिव किरदार पर भारी पड़ता रहा है और वैसे भी उनके हिस्से दीवार फ़िल्म में करने के लिए कुछ ज्यादा नहीं था| लेकिन फिर भी उनका एक पॉजिटिव रोल भी अमिताभ बच्चन के नेगेटिव किरदार के मुकाबलतन ही रहा| आज अगर कभी भी दीवार फ़िल्म का ज़िकर होता है तो वो डायलाग के मेरे पास माँ है उसके बिना इस फ़िल्म की बात अधूरी लगती है - जैसे फ़िल्म में शशि कपूर का ये एक डायलॉग अमिताभ बच्चन की जुबान पर ताला लगा देता है- वैसे ही शशि कपूर को प्रेजेंस को इस एक डायलॉग ने ये साबित कर दिया के ऐसे ही उन्हें शशि कपूर नहीं कहा जाता था| शशि कपूर जहां भी होंगे उन्हे शायद आज वो देख रहे हों- खुदा ने उन्हें जल्दी बुला लिया नहीं तो उनसे ज्यादा उमर वाले अभी भी मजे कर रहे हैं|  मैं ये आप पर छोड़ता हूं के शशि कपूर और ज्यादा डिजर्व करते थे के नहीं| वो इंसान एक अच्छा ऐक्टर तो था ही लेकिन सोचता भी वो दिल से ही था| इसीलिए दिल से सोचने वाले ही जल्दी विदा ले लेते हैं|    




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