World Famous Personality भारतीय क्रिकेट टीम को सन् 1983 में एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट श्रृंखला में विश्व विजेता बनाने का श्रेय कपिलदेव को है। विश्वकप में उनके द्वारा बनाए गए। 75 रनों की ऐतिहासिक पारी क्रिकेट जगत में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित हो गई है। कपिलदेव ने 20 वर्ष की उम्र में ही एक हजार रन बनाने तथा 100 विकेट लेने का नया कीर्तिमान स्थापित किया है।
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यह कीर्तिमान केवल एक साल और 109 दिन में ही बना है। 6 जनवरी, 1959 को हरियाणा में जन्मे कपिल ने सन् 1975 में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में प्रवेश किया। उन्होंने सन् 1978 में पाकिस्तान में प्रथम टैस्ट मैच खेला। कपिल गेंद को सही दिशा देने में माहिर हैं। भारतीय क्रिकेट दल में मध्यम तीव्र गति के गेंदबाजों की कमी को उन्होंने बहुत हद तक दूर कर दिया है। कपिल अपनी प्रभावशाली मध्यमगीत की तेज गेंदबाजी और बल्लेबाजी से विश्व के श्रेष्ठ आलराउंडर बन चुके हैं। कपिलदेव इंग्लैंड के क्रिकेट खिलाड़ी इयॉन बाथम के बाद विश्व के ऐसे दूसरे आलराउंडर हैं, जिन्होंने 83 टैस्ट मैचों में 300 विकेट लेकर तथा 3000 से अधिक रन बनाकर दोहरी सफलता प्राप्त की है।
अपनी आत्मकथा ‘बाई गाड्स डिक्री’ में उन्होंने भारतीय क्रिकेट और अपने जीवन के बारे में स्पष्ट लिखा है कि मैंने एक टिम्बर व्यापारी के यहां जन्म लिया। 13 वर्ष की उम्र के पहले मैंने क्रिकेट नहीं खेली। यह उस समय हुआ जब सैक्टर 16 की टीम में एक खिलाड़ी की कमी हो गई और मुझे शामिल कर लिया गया। यह केवल एक अवसर था। उनका विचार है कि जीतने के लिए खेलो। आक्रमण करो, रन बनाओ और विकेट लो। कभी प्रयत्न करना बंद मत करो।
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