Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने बताया इन 5 स्थानों पर घर बसाने से हो सकती है भविष्य में परेशानी

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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने बताया इन 5 स्थानों पर घर बसाने से हो सकती है भविष्य में परेशानी

 




Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने अपनी सुझबुझ और नीतियों के बल पर एक सामान्य बालक चंद्रगुप्त को मधग का सम्राट बना दिया । उन्होंने अपने नीतिशास्त्र में निजी जीवन, नौकरी, व्यापार, रिश्तें, मित्रता, शत्रु आदि के बारे में  अपने विचार प्रकट किए हैं। जिनमे घर बसाने के बारे में विचार साँझा किये गये हैं.   


इन पांच स्थानों पर कभी घर नहीं बसाना चाहिए

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतिशास्त्र में व्यक्ति के निजी जीवन, नौकरी, व्यापार, रिश्ते, मित्र, शत्रु सहित कई पहलुओं पर विस्तार से बताया हैं। चाणक्य नीति के अनुसार मनुष्य का जीवन अनमोल है। इस जीवन को यदि सफल और सार्थक बनाना है, तो हमे कई बातों का हमेशा ध्यान रखना चाहिए। साथ ही आचार्य चाणक्य ने अपनी किताब चाणक्य नीति में एक श्लोक " लोकयात्रा भयं लज्जा दाक्षिण्यं त्यागशीलता। पञ्च यत्र न विद्यन्ते न कुर्यात्तत्र संगतिम् ॥ " के माध्यम से बताया है कि मनुष्य को किन स्थानों पर घर नहीं बसाना चाहिए। इन जगहों पर घर बसाने से व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जानते हैं इसके बारे में...

 

 Chanakya Niti Quotes In Hindi Never Live In These five Places Otherwise Your Life Will Be Worse

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जहां पर लोक-लाज का भय नहीं होता है, ऐसी जगह पर भी घर नहीं बनाना चाहिए। वहीं जिस जगह सामाजिक भाव सबसे ऊपर होता है, वहां पर घर बसाना सबसे अच्छा माना जाता है। आचार्य चाणक्य के अनुसार जिस देश में आदर-सम्मान न हो, जहां आजीविका का कोई साधन न हो, जहां कोई बंधु-बांधव, रिश्तेदार भी न हों तथा किसी प्रकार की विद्या और गुणों की प्राप्ति की संभावना न हो, ऐसी जगह को छोड़ देना चाहिए।  


दरअसल, व्यक्ति किसी अन्य देश अथवा किसी अन्य स्थान पर इसलिए रहना चाहता है, ताकि वहां जाकर कोई नयी बात, नयी विद्या, रोजगार और नया गुण सीख सके। लेकिन जहां इनमें से किसी भी बात की संभावना न हो, ऐसे देश या स्थान पर जाने का कोई औचित्य नहीं।



चाणक्य नीति के अनुसार जिस जगह वेद को जानने वाला ब्राह्मण, धनिक, राजा, नदी और वैद्य न हों, उस स्थान पर मनुष्य को एक दिन भी नहीं रहना चाहिए। चाणक्य नीति के मुताबिक जिस देश के लोगों में दान देने की भावना ना हो ऐसे स्थान पर भी नहीं रहना चाहिए, क्योंकि दान देने से ना सिर्फ पुण्य की प्राप्ति होती है, बल्कि अंतरात्मा भी पवित्र होती है।



व्यक्ति को उस जगह पर रहना चाहिए

साथ ही आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को उस जगह पर रहना चाहिए, जहां व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए कानून न तोड़े। बल्कि दूसरों के हित के लिए कार्य करे एवं समाज सेवा करे। जहां लोग मिलजुल कर रहते हैं व्यक्ति को ऐसी जगह पर रहना चाहिए। 

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