World famous personality:- Plato- Greece: Great political thinker यूनान का महान विचारक प्लेटो दार्शनिक सुकरात का शिष्य और अरस्तु का गुरु था। इन तीनों दार्शनिकों ने ही पाश्चात्य जगत में दार्शनिक संस्कृति की आधारशिला रखी है। प्लेटो का जन्म एथेन्स (यूनान) के एक सम्मानित परिवार में लगभग 428 ई.पू. हुआ। बचपन में ही वह दार्शनिक सुकरात के सम्पर्क में आया। राजनीति में प्लेटो की रुचि अधिक रही। उनकी यह धारणा थी कि विवेकी व्यक्ति का सक्रिय राजनीति में कोई स्थान नहीं है। उन्होंने अपने गुरु सुकरात के विचारों को जीवित रखा। ये विचार आज भी समकालीन समझे जाते हैं। प्लेटो ने दार्शनिक न्याय पर अधिक बल दिया है और शिक्षा को एक अनवर प्रक्रिया माना है।
यह भी पढ़े ... महर्षि दयानंद सरस्वती गौशाला नाथूसरी कलां में 7 दिवसीय श्री राम कथा समापन पर 51 कुंडीय महायज्ञ और भंडारा आयोजित
उन्होंने एक आदर्श राज्य की कल्पना की और कानूनों की संहिताओं को प्रतिपादित किया। कानून और नैतिकता में साम्य स्थापित करने के बारे में प्लेटों ने विचार रखे हैं। उन्हें यूटोपिया ग्रंथ का जनक तथा फ्येद्रस, दी अपॉलाजी, दी रिपब्लिक आदि ग्रंथों का रचनाकार कहा जाता है। सुकरात को 399 ई.पू. फांसी लगने के बाद प्लेटो ने अन्य मित्र चिंतकों के साथ मेगरा नामक स्थान पर शरण ली। आने वाले कुछ वर्षों में इन्होंने मिश्र और इटली देशों की यात्राएं की और अपने विचारों को जनता के सामने रखा।
लगभग 387 ई.पू. में प्लेटो ने दर्शन एवं वैज्ञानिक अनुसंधान अकादमी की स्थापना की। प्लेटो को 367 ई.पू. में राजकुमार डायनेसियस द्वितीय को शिक्षा देने के लिए नियुक्त किया गया। इनकी मृत्यु लगभग 347 ई.पू. में 80 वर्ष की अवस्था में हुई।
0 टिप्पणियाँ