एक स्त्री किसी संत से प्रार्थना करती हुई बोली, ‘‘महाराज, आज हमारे घर पधारकर हमें कृतार्थ कीजिए।’’ संत उसके यहाँ गए। स्त्री ने उनके लिए एक कटोरी में दूध डाला, लेकिन जब दूध डालते वक्त हाँडी की सारी मलाई कटोरी में गिर गई तो स्त्री के मुँह से बेसाख्ता ‘‘अरे-अरे!’’ निकल पड़ी। फिर भी उसने उसमें शक्कर मिलाकर दूध संत के आगे सरका दिया। संत ज्ञान-उपदेश की बातें करते रहे, मगर उन्होंने दूध नहीं पिया। स्त्री समझती रही कि शायद दूध अभी बहुत गरम है, इसलिए संत महाराज नहीं पी रहे।
जब चर्चा खत्म हुई तो संत बिना दूध पिए ही चलने लगे। तब उसे स्त्री ने कहा, ‘‘महाराज, दूध तो पीजिए।’’ संत बोले, ‘‘नहीं, तुमने इसमें मलाई और शक्कर के अलावा एक और चीज भी मिला दी है, इसलिए मैं इस दूध को नहीं पी सकता।’’ स्त्री बोली, ‘‘और क्या मिला दिया है महाराज?’’संत बोले, ‘‘अरे-अरे! जिस दूध में ‘अरे-अरे!’ मिला हुआ है, मैं उसे नहीं पी सकता।’’
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