आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि भारत में पहली ट्रेन चलने के 55 साल बाद ट्रेनों में शौचालय की सुविधा मिली। महत्वपूर्ण यह कि ब्रिटिश शासन के दौरान ट्रेनों में शौचालय के लिए एक भारतीय ने भागलपुर रेलखंड से आवाज उठाई थी।
अंग्रेजों ने ट्रेनों में शौचालय की व्यवस्था एक यात्री के पीड़ा भरे पत्र मिलने के बाद की थी। यह पत्र भागलपुर रेलखंड के यात्री ट्रेन से यात्रा कर रहे ओखिल चन्द्र सेन ने सन 1909 में लिखी थीए जो भारतीय रेल में इतिहास बन गया।
ओखिल बाबू का लिखा यह पत्र आज भी दिल्ली के रेलवे म्यूजियम में चस्पा है।
ओखिल बाबू के बारे में मिली सूचना के आधार पर वह एक बैंक अधिकारी थे। उन्होंने यह पत्र उस वक्त के साहिबगंज रेलवे डिविजन आफिस को लिखी थी। उनकी चिट्ठी के बाद ही ब्रिटिश शासन के दौरान ट्रेनों में शौचायल का प्रस्ताव आया। इसकी चर्चा आईआईएम अहमदाबाद में शोधार्थी जी रघुराम ने प्रकाशित शोध पत्र में भी की है।
0 टिप्पणियाँ