21 वर्षीय मुमुक्षु मेघना जैन ऐशो-आराम की जिंदगी छोड़कर लेगी वैराग्य दीक्षा, जाने कैसे मिलती है जैन दीक्षा

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21 वर्षीय मुमुक्षु मेघना जैन ऐशो-आराम की जिंदगी छोड़कर लेगी वैराग्य दीक्षा, जाने कैसे मिलती है जैन दीक्षा




मुमुक्षु मेघना जैन के दीक्षा महोत्सव  को लेकर गांव जलालआना में निकाली शोभा यात्रा व हुआ तिलक समारोह



जैन महासाध्वी सुंदरी शांति साध्वी संघ प्रमुखा गुरणीवर्या महासाध्वी संयम प्रभा कमल जी महाराज की सुशिष्या सरलमना महासाध्वी सुरक्षा महाराज की सुशिष्या प्रेरणादात्री महासाध्वी सुविज्ञ श्री महाराज के नेश्राय में अध्ययनरत मुमुक्षु मेघना जैन पुत्री भूपेंद्र जैन व मीनू जैन निवासी गांव जलालआना 17 मार्च को सूर्या मार्केट ,बुध विहार दिल्ली में वैराग्य दीक्षा ग्रहण करेगी। 

दीक्षा महोत्सव से पूर्व गांव जलालआना में मुमुक्षु मेघना जैन के परिवार के द्वारा गांव में शोभा यात्रा निकाली गई। हल्दी रस्म समारोह और तिलक समारोह का आयोजन किया गया।


 शोभा यात्रा कालांवाली मोड़ से शुरू होकर गांव की फिरनी व गलियों में से होती हुई वर्धमान जैन सीनियर सैकेंडरी स्कूल में पहुंची। समारोह में मेघना जैन के पड़दादा लक्खी राम जैन के पुत्र हंस राज जैन, हुकम चंद जैन, मोहन लाल जैन, दीवान चंद जैन, शांति स्वरूप जैन के संपूर्ण परिवार ने, महासाध्वी श्री सुविज्ञ श्री के संसार पक्षीय पिता देवीदत्त जैन और मां सुलोचना जैन, महासाध्वी सुरक्षा जी महाराज के संसार पक्षीय भाई राकेश जैन, भाभी रेखा जैन के अलावा जैन समाज व गांववासियों ने पहुंचकर आर्शीवाद दिया।

दुल्हन की तरह सजकर पंडाल में पहुंची मुमुक्षु मेघना जैन

मुमुक्षु मेघना जैन के घर में शादी की तरह माहौल बना हुआ है। उनके परिवार के द्वारा हल्दी की रस्म अदा की गई और नाच-गाकर खुशी मनाई गई। उसे दुल्हन की तरह सजाकर शोभा यात्रा निकाली गई। जैसे ही तिलक की रस्म अदा करने के लिए वह पंडाल में पहुंची तो उसका जैन धर्म के जयकारों के साथ स्वागत किया गया और परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों, जैन समाज के श्रद्वालुओं और गांववासियों ने तिलक की रस्म अदा की। इसके बाद मुमुक्षु मेघना जैन को भावुक ह्रदय के साथ दिल्ली वैराग्य दीक्षा के लिए विदा किया गया।


जैन महासाध्वियों के प्रवचन से प्रभावित होकर वर्ष 2017 में लगी लगन

फेडरेशन आॅफ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के मैंबर आॅफ गर्वनिंग बाॅड़ी और ब्लाॅक ओढ़ां के प्रधान भूपेंद्र जैन की पुत्री मुमुक्षु मेघना जैन का जन्म 16 जून 2002 को हुआ। बचपन से ही उनका परिवार जैन धर्म से जुड़ा हुआ है और अहिंसा परमो धर्म के रास्ते पर चलता है। वर्ष 2017 में कालांवाली में जैन महासाध्वियों के प्रवचन से प्रभावित हुई और उसे दुनियावी मोह त्यागकर जैन समाज के लिए कार्य करने की लगन पैदा हुई। तभी मेघना जैन ने अपना घर परिवार त्यागकर दीक्षा लेने का ठाण लिया। बता दें कि मेघना जैन ने जैन फिलोस्पी में ग्रेजुऐशन कर रखी है और पोस्ट ग्रेजुऐशन कर रही है। इससे पहले वह जैन फाइनेंशियल एसोएिशन की सीईओ रह चुकी है। साथ मंे वर्धमान जैन सीनियर सैकेंडरी स्कूल जलालआना में करीब 3 साल तक ऐडिमन मैनेजर के पद पर सेवाएं दे चुकी है। मेघना जैन की मां मीनू जैन राजकीय स्कूल पिपली में जेबीटी टीचर है। जबकि उसके बड़ी बहन लब्धी जैन ने एमएससी कर रखी है और छोटे भाई लविश जैन बीसीए कर रहा है।


ऐसे होती है जैन दीक्षा

मुमुक्षु मेघना जैन ने बताया कि जैन धर्म में दीक्षा लेना यानी सभी भौतिक सुख-सुविधाएं त्यागकर एक सन्यासी का जीवन बिताने के लिए खुद को समर्पित कर देना है। जैन धर्म में इसे ‘समायिक चरित्र‘ या ‘महाभिनिष्क्रमण‘ भी कहा जाता है। दीक्षा समारोह एक कार्यक्रम होता है जिसमें होने वाले रीति रिवाजों के बाद से दीक्षा लेने वाले लड़के साधु और लड़कियां साध्वी बन जाती हैं।



 दीक्षा लेने के साथ ही सभी को इन पांच महाव्रतों के पालन के लिए भी समर्पित होना पड़ता है। जिसमें पहला अहिंसा किसी भी जीवित प्राणी को अपने तन, मन या वचन से हानि ना पहुंचाना, दूसरा सत्यः हमेशा सच बोलना और सच का ही साथ देना, तीसरा अस्तेयः किसी दूसरे के सामान पर बुरी नजर ना डालना और लालच से दूर रहना, चैथा ब्रह्मचर्यः अपनी सभी इन्द्रियों पर काबू करना और किसी से साथ भी संबंध ना बनाना और पांचवां अपरिग्रहः जितनी जरुरत है उतना ही अपने पास रखना, जरूरत से ज्यादा संचित ना करना है। दीक्षा लेने के लिए और उसके बाद सभी साधुओं और साध्वियों को अपना घर, कारोबार, महंगे कपड़े, ऐशो-आराम की जिंदगी छोड़कर पूरी तरह से सन्यासी जीवन में डूब जाना पड़ता है। इस प्रक्रिया का आखिरी चरण पूरा करने के लिए सभी साधुओं और साध्वियों को अपने बाल अपने ही हाथों से नोचकर सिर से अलग करने पड़ते हैं। दीक्षा लेने यानी सन्यासी जीवन में पदार्पण के बाद जैन साधु और साध्वियों का जीवन बहुत संतुलित और अनुशासित हो जाता है। सूर्यास्त के बाद जैन साधु और साध्वियां पानी की एक बूंद और अन्न का एक दाना भी नहीं खाते हैं। सूर्योदय होने के बाद भी ये लोग करीब 48 मिनट का इंतजार करते हैं, उसके बाद ही पानी पीते हैं।

यह गणमान्य व्यक्ति रहे मौजूद

शोभा यात्रा व तिलक समारोह के दौरान मुमुक्षु मेघना जैन की दादी द्रोपदी देवी, पिता भूपेंद्र जैन, मां मीनू जैन, चाचा राजेंद्र जैन, चाची दीपिका जैन, फुफड़ महावीर जैन, बुआ सुमन जैन, मामा पंकज जैन, मामा पत्रकार नरेश जैन रानियां, मेघना जैन के पड़दादा लक्खी राम जैन के पुत्र हंस राज जैन, हुकम चंद जैन, मोहन लाल जैन, दीवान चंद जैन, शांति स्वरूप जैन के परिवारिक सदस्यों के अलावा फरीदाबाद के एसडीएम जितेंद्र कुमार, उनकी पत्नी ज्योतिषाचार्य डाॅ रूहानी चैधरी, एसएस जैन सभा के प्रधान संदीप जैन, प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के जिला प्रधान पंकज सिढाना सहित कई जैन श्रद्वालु और गांववासी मौजूद रहे।
फोटो-कालांवाली। मुमुक्षु मेघना जैन

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