चुनावी नारों ने सरकारें बनाई और गिराई

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चुनावी नारों ने सरकारें बनाई और गिराई

 


अब देश में एक बार फिर लोकसभा चुनाव नजदीक है ऐसे में चुनाव प्रचार में नये नये नारे भी शामिल होने लगे है. कई चुनावी नारों ने सरकारें बनाई और गिराई

इस बार बीजेपी ने मोदी की गारंटी, राम का नाम, मोदी का काम आदि कई नारे दिए हैं.  

देश की राजनीति में नारों की ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की इंदिरा गांधी, राजीव गांधी से अटल बिहारी वाजपेयी, नरेंद्र मोदी तक नारों की मेहरबानी से सत्ता के शीर्ष तक पहुंचे और देश के प्रधानमंत्री बने। अब हम आपको पुराने नारों से अवगत करवा रहे है जो की कभी देश के लोगों की जबान पर चढ़े हुए थे. 


16वीं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का ‘हर हाथ शक्ति हर हाथ तरक्की’ हो या ‘जनता कहेगी दिल से, कांग्रेस फिर से।’ भाजपा के नारों में ‘अबकी बार मोदी सरकार’, ‘अच्छे दिन आने वाले हैं, मोदी जी आने वाले हैं’।

1971 के चुनाव में ‘गरीबी हटाओ, देश बचाओ’ के करिश्मे से इंदिरा सभी पर नेताओं पर भारी पड़ीं।


 1977 में जनता पार्टी के नारे ‘इंदिरा हटाओ, देश बचाओ’ की आंधी में इंदिरा गाँधी खुद रायबरेली में ही चुनाव हार गईं।

फिर जब नया नारा दिया, ‘जात पर न पात पर, इंदिरा जी की बात पर, मोहर लगेगी हाथ पर’ तो जनता ने फिर इंदिरा को शीर्ष पर पंहुचाया।

1965 में जब देश पाकिस्तान के साथ युद्ध में उलझा तो खाद्य पदार्थों की भारी कमी पड़ गई। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा देकर देश को तरक्की की दिशा दिखाई तो कांग्रेस को बड़ी जीत भी हासिल हुई।

 1984 चुनाव में कांग्रेस ने नारा दिया ‘इंदिरा तेरी यह कुर्बानी याद करेगा हिंदुस्तानी।’


सहानुभूति के इस नारे का जोरदार असर हुआ और जनता की सहानुभूति कांग्रेस को दो तिहाई बहुमत दिया । राजीव गांधी के पहले चुनाव में उनका नारा था ‘उठे करोड़ों हाथ हैं राजीव जी के साथ हैं’ इसका पार्टी को बहुत लाभ मिला।


भाजपा ने ‘अबकी बारी अटल बिहारी’ नारे से कांग्रेस को जोरदार झटका दिया कि अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठा दिया । लेकिन 1996 में वाजपेयी की भ्रष्टाचार मुक्त छवि को लेकर बनाए गए नारों को लेकर सत्ता में आई भाजपा 2004 में ‘इंडिया शाइनिंग’ के अपने ही नारे में चमक फीकी पद गई और सत्ता से दूर हो गई।

भाजपा कई चुनावी नारे 

भाजपा ने सत्ता तक पहुंचने के लिए कांग्रेस को चुभते नारे गढ़े-‘ये देखो इंदिरा का खेल, खा गई शक्कर पी गई तेल, ‘आपका वोट राम के नाम’, हम सौगंध राम की खाते हैं मंदिर वहीं बनाएंगे’, ‘कल्याण सिंह कल्याण करो मंदिर का निर्माण करो’, ‘राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे’, ‘ये तो केवल झांकी है, काशी मथुरा बाकी है’।


2004 में ही भाजपा के मुकाबले कांग्रेस ने ‘कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ’ पर जोर दिया। नारे का लोगों पर इतना असर हुआ कि उसने कांग्रेस को सत्ता मिल गई ।


वहीं, तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ने 2011 में नारा दिया, ‘मां माटी और मानुस’ जिसके सहारे उनको पश्चिम बंगाल की सत्ता मिली ।

जय जवान,  जय किसान  का नारा आज भी बच्चे की जुबान पर है 

‘जब तक रहेगा समोसे में आलू, तब तक रहेगा बिहार में लालू’

‘जब तक सूरज चांद रहेगा, इंदिरा तेरा नाम रहेगा’

सोनिया नहीं ये आंधी है, दूसरी इंदिरा गांधी है’

कांग्रेस का हाथ, आम आदमी के साथ’

आम आदमी के बढ़ते कदम हर कदम पर भारत बुलंद’

कांग्रेस को लाना है देश को बचाना है’

उठे हजारों हाथ सोनिया जी के साथ’

यूपी में है दम, जुर्म यहां है कम’

बड़ी बड़ी हवा चली, बदला बदला मौसम, कायम रहे उत्तर प्रदेश, कायम रहें मुलायम’

गुंडा चढ़ गया हाथी पर, गोली मारा छाती पर’

बोल मुलायम हल्ला बोल, हल्ला बोल।

अबकी बारी, अटल बिहारी


‘पंडित शंख बजाएगा, हाथी बढ़ता जाएगा’

चलेगा हाथी उड़ेगी धूल, न रहेगा पंजा न रहेगा फूल’

‘चढ़ गुंडों की छाती पर, मोहर लगा दो हाथी पर’

‘यूपी हुई हमारी है, अब दिल्ली की बारी है’

बाबा साहेब मिशन तेरा, कांशीराम करेगा पूरा’

बीएसपी की क्या पहचान, नीला झंडा हाथी निशान’

‘पत्थर रख लो छाती पर, बटन दबा दो हाथी पर।

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