अजीबो गरीब : पिता के अंतिम संस्कार में अमेरिका से नहीं आया बेटा, पत्नी की गुहार पर नगर निगम की टीम ने किया अंतिम संस्कार

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अजीबो गरीब : पिता के अंतिम संस्कार में अमेरिका से नहीं आया बेटा, पत्नी की गुहार पर नगर निगम की टीम ने किया अंतिम संस्कार

 


अजीबो गरीब : पिता के अंतिम संस्कार में अमेरिका USA से नहीं आया बेटा, पत्नी की गुहार पर नगर निगम की टीम ने किया अंतिम संस्कार

 

दिल को झकझोर देने वाली एक घटना उत्तरप्रदेश  के लखनऊ से सामने आई है। up के लखनऊ में बुजुर्ग प्रेमचंद्र बाजपेयी की घर में अचानक मौत हो गई और उनका अंतिम संस्कार करने के लिए घर में शिवाय उसकी बीमार पत्नी के कोई भी मौजूद नहीं था। बेटा अमेरिका में रहता है लेकिन अभी नहीं आ पायेगा। नगर निगम ने की टीम ने अंतिम संस्कार की क्रिया को संपन्न कराया।


UP के लखनऊ में 72 साल के एक बुजुर्ग प्रेमचंद्र बाजपेयी की उनके घर में ही मौत हो गई। प्रेमचंद्र के साथ पत्नी रंजना जिनकी उम्र 70 साल है और बेटी अदिति रहती थीं। इन दोनों की काफी समय से तबीयत खराब है। घर में बुजुर्ग की मौत के बाद उन्हें एक पुलिस अधिकारी को फोन कर अंतिम संस्कार के लिए मदद मांगनी पड़ी।

जानकारी के अनुसार बुजुर्ग दंपति का एक बेटा भी है, जो अमेरिका Amerika  में रहता है। शहर में ही रहने वाले भाई और अमेरिका से बेटा अंतिम संस्कार में शामिल होने नहीं पहुंच पाए। ऐसे में किसी का सहारा ना मिलते देख उन्होंने स्थानीय पुलिस से मदद मांगी।

प्रेमचंद्र बाजपेयी परिवार के साथ कानपुर रोड एलडीए कॉलोनी में रह रहे थे। रविवार को उनकी अचानक मौत हो गई। बीमार पत्नी ने कोरोना काल में तैनात रहे एडीसीपी सेंट्रल चिरंजीव नाथ सिन्हा को फोन कर अंतिम संस्कार कराने के लिए मदद मांगी। वर्तमान में बाराबंकी में तैनात एसीपी निरंजीव नाथ सिन्हा ने एक मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में बताया कि प्रेमचंद्र के परिवार की वो उन्होंने बताया कि प्रेमचंद्र डिमेंशिया पेशेंट थे। एक दिन अचनाक घर से लापता हो गए। ऐसे में उनकी पत्नी रंजना ने सरकारी मोबाइल नंबर (सीयूजी) पर एनसी सिन्हा को फोन कर पति को खोजने के लिए मदद मांगी थी। उन्होंने तत्काल पुलिस टीम लगाई। कुछ ही समय में प्रेमचंद्र को उन्नाव के एक ढाबे से सुरक्षित लखनऊ स्थित घर पहुंचाया गया।

एनसी सिन्हा ने बताया कि प्रेमचंद्र के परिवार ने तभी से उनका नंबर अपने फोन में सेव कर लिया था। रविवार को प्रेमचंद्र की मौत होने पर पत्नी रंजना ने फोन कर बताया कि सर हम लाचार है। बेटी भी बीमार रहती है। बेटा अमेरिका में रहता है, अभी नहीं आ पाएगा। प्लीज, पति के अंतिम सरकार में मदद करा दीजिए। इसके बाद उन्होंने लखनऊ नगर आयुक्त डॉ. इंद्रजीत सिंह को फोन कर मामले की जानकारी दी। इसके बाद नगर आयुक्त अपनी टीम के साथ पीड़ित परिवार के घर पहुंच गए।

नगर आयुक्त की मौजूदगी में पुलिस और निगम से जुड़ी टीम ने प्रेमचंद्र का विद्युत शवदाह गृह में अंतिम संस्कार कराया। वहीं दूसरी तरफ एनसी सिन्हा और नगर आयुक्त ने एएसपी कृष्णानगर से भी परिवार की कानूनी कार्रवाई में मदद करने का आग्रह किया। पुलिस और प्रशासन के आपसी तालमेल से एक परिवार को दुख की घड़ी में काफी मदद मिल गई।

एसीपी चिरंजीव नाथ सिन्हा ने बताया कि प्रेमचंद्र बाजपेयी के भाई गोमती नगर में रहते हैं, लेकिन वो आए नहीं। वहीं एकलौटा बेटा अमेरिका में इंजीनियर है। उन्होंने बताया कि बेटा भी अंतिम संस्कार में नहीं पहुंचा। पड़ोसी भी परिवार की मदद के लिए आगे नहीं आए। उन्होंने कहा कि समाज को ये नहीं भूलना चाहिए कि एक दिन वो भी बुजुर्ग होंगे।



हाईवोल्टेज ड्रामा : चिता पर रखा रहा मां का शव, धन संपत्ति के लिए लड़ती रहीं 3 बेटियां, 9 घंटे बाद हुआ अंतिम संस्कार

एक बूढी मां की मौत हो जाने के बाद बेटियां धन संपत्ति के बंटवारे के लिए लड़ती रहीं। उत्तर प्रदेश के मथुरा से हाईवोल्टेज ड्रामा का मामला सामने आया है।

यहाँ पर मां की मौत के बाद बेटियों के बीच संपत्ति के बंटवारे को लेकर विवाद छिड़ गया। शव का अंतिम संस्कार तब तक नहीं हो सका, जब तक संपत्ति विवाद का निपटारा नहीं हो गया। इन सबमें करीब 9 घंटे का समय लग गया। इस घटना के बाद लोगों ने मृतका की बेटियों को खरी खोटी सुनाना शुरू कर दिया।

 

UP के मथुरा के मसानी स्थित श्मशान घाट से सामने आया है। जहां एक 85 वर्षीय महिला पुष्पा की मौत हो गई। पुष्पा की मौत के बाद अंतिम संस्कार के लिए उसके परिजनों को बुलाया गया। यहां बता दें कि मृतका का कोई बेटा नहीं था। इसलिए तीनों बेटियों को अंतिम संस्कार के लिए बुलाया गया। लेकिन श्मशान घाट मृतका का शव चिता के पास रखा था और बेटियां संपत्ति को लेकर झगड़ पड़ीं। इस दौरान लड़ाई चलती रही और कई घंटों तक अंतिम संस्कार नहीं हो सका।

 

श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार की विधि सम्पन्न कराने आए पंडित भी घाट से लौट गए। कई घंटे तक श्मशान घाट पर बेटियों का ड्रामा चलता रहा। इसके चलते अंतिम यात्रा में गए लोग और मृतका के परिजन परेशान हो गए। बाद में जब स्टाम्प लाकर जमीन का लिखित बंटवारा कराया गया तब अंतिम संस्कार पूरा हो सका।

 

गौरतलब है कि मृतका पुष्पा का कोई पुत्र नहीं है। उनकी सिर्फ तीन बेटियां हैं। जिनके नाम- मिथिलेश, सुनीता और शशि है। बीते कुछ दिनों से पुष्पा बड़ी बेटी मिथिलेश के घर (थाना यमुनापार के गांव लोहवन) में रह रही थी। आरोप है कि मिथिलेश ने अपनी मां को बातों में लेकर करीब डेढ़ बीघा खेत बेच दिया था।

 

इस बीच बीते दिन सुबह पुष्पा की मौत हो गई। ऐसे में मिथिलेश के परिजन पुष्पा का शव लेकर मसानी स्थित मोक्ष धाम अंतिम संस्कार के लिए पहुंच गए। जैसे ही इसकी जानकारी पुष्पा की अन्य दो बेटियों सुनीता और शशि को लगी तो वह भी शमशान घाट पहुंच गईं। उन्होंने बड़ी बहन पर आरोप लगाते हुए मां का अंतिम संस्कार रोक दिया। दोनों बहनें मिथलेश से मां की संपत्ति का बंटवारा करने के लिए लड़ने झगड़ने लगीं।

 

श्मशान घाट पर बेटियों के बीच होने लगी लड़ाई

सुनीता और शशि मांग करने लगीं कि मां की जो बची हुई संपत्ति है उसको हमारे नाम किया जाए तभी हम अंतिम संस्कार होने देंगे। लेकिन मिथिलेश इसके लिए राजी नहीं हुई। बहनों के बीच यह लड़ाई काफी देर तक चलती रही। जिसपर श्मशान घाट पर काम करने वाले लोगों ने पुलिस को सूचना दी।

 

जिसके बाद थाना कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची लेकिन वह भी काफी देर तक तीनों बहनों को समझाने में असफल रही। आखिर में शाम करीब 6:00 बजे तीनों बहनों के बीच एक लिखित समझौता हुआ, जिसमें लिखा गया कि मृतका की बची हुई संपत्ति को शशि और सुनीता के नाम किया जाएगा। तब जाकर अंतिम संस्कार हुआ। इस पूरे घटनाक्रम में करीब 8 से 9 घंटे लगे और शव श्मशान घाट पर रखा रहा।


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