चोपटा के संस्थापक संत हरीश चंद्र दास की पुण्यतिथि पर आज होगा संत सम्मेलन, सम्मेलन में जुटेंगे देशभर से संत
चोपटा प्लस। अपने विकास के लिए तो हर इंसान भागदौड़ करता है लेकिन दूसरों के लिए अपने जीवन का त्याग कोई विरला ही कर सकता है ।
ऐसे ही संत नाथूसरी चोपटा के संस्थापक स्वर्गीय संत हरीश चंद्र दास जो कि जन्म से अंधे होते हुए भी चोपटा कस्बे को स्थापित कर चोपटा के विकास में प्रमुख योगदान दिया। स्वर्गीय संत हरीश चंद्र दास की पुण्यतिथि पर 18 दिसंबर को संत सम्मेलन आयोजित कर उन्हें सोमवार को श्रद्धांजलि दी जाएगी।
संत हरीश चंद्र
दास द्वारा स्थापित शिव मंदिर धर्मशाला में विशाल संत सम्मेलन और भंडारा आयोजित कर
उनकी महिमा को वर्णित किया जाएगा। वर्तमान में गद्दी आसीन पूर्ण दास महाराज ने
बताया कि गांव रायपुरिया में दिसंबर 1923 में रामजस के घर माता माम कोरी के कोख से जन्मे स्वर्गीय संत हरिश्चंद्र ने अपने पूर्ण जीवन
काल में चौपटा के विकास की चिंता रखते हुए अपना जीवन लगा दिया।
सन 2002 में 80 वर्ष की आयु में प्रभु के चरणों में लीन हो गए थे । इस महान शख्सियत की पुण्य
तिथि को चोपटा क्षेत्र के लोग बड़ी
श्रद्धा व आदर के साथ मना कर उन्हें अपनी सच्ची श्रद्धांजलि देते हैं ।
संत हरिश्चंद्र
की 2 वर्ष की अल्पायु में
चेचक रोग होने से नेत्र ज्योति चली गई थी और 20 वर्ष की आयु में उदासीन पंत की दीक्षा लेकर साधु बन गए।
संत हरिश्चंद्र ने सर्वप्रथम गांव में ठाकुर का मंदिर बनवाया और उस समय गांव में
पीने के पानी की किल्लत के चलते उन्होंने गांव में कुएं का निर्माण कर के गांव में
पीने के पानी की समस्या का निदान किया। गांव में उन्होंने अपने प्रयासों से आठवीं
कक्षा तक का विद्यालय बनवाया ।
देश के पूर्व
प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी देवीलाल की संत हरिश्चंद्र के साथ घनिष्ठ मित्रता के
चलते उनकी मांग पर चोपटा में एक राजकीय उच्च विद्यालय व 1978 में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान बनवाया। अंधे व्यक्तियों
के लिए स्वामी जी ने अंध विद्यालय बनवाया जिसमें अंधे व्यक्तियों को चारपाई,
कुर्सी, बनाने की शिक्षा देने का कार्य शुरू किया गया।
इसके बाद उन्होंने नाथूसरी कलां के प्रसिद्ध समाजसेवी रामजस कासनियां द्वारा दान में दी गई 2 एकड़ भूमि में एक शिव मंदिर पर भव्य धर्मशाला का निर्माण करवाया। अनेकों गांव में सत्संग चबूतरे बनवाए । स्वामी जी के समाज हित के कार्यों को देख कर वर्ष 1998 में समाज सेवा का पुरस्कार देकर सम्मानित किया। इन सभी सामाजिक कार्यों की लागत संत जी ने जिला में पैदल घूम घूम कर संत समाज सेवा समिति नामक संस्था का गठन किया। महान शख्स जिसने अपना सारा जीवन समाज सेवा में लगाया साल 2002 में प्रभु के चरणों में लीन हो गए।
एक झोपड़ी से शुरू किया गया उनका लगाया हुआ चोपटा रूपी कस्बा एक वट वृक्ष का रूप ले चुका है। चोपटा में इस समय तहसील कार्यालय, बीडीपीओ कार्यालय, पुलिस थाना, आईटीआई, एक सरकारी व 3 निजी विद्यालय, अनाज मंडी , बस स्टैंड सहित कई संस्थान खुलने से क्षेत्र के करीब 52 गांवों को विभिन्न प्रकार की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है।
संत हरिश्चंद्र की पुण्यतिथि पर उनके शिष्य संत पूर्ण दास महाराज व शिव मंदिर समिति ने उनकी याद में एक भव्य संत सम्मेलन का आयोजन रखा है जिसके तहत संतों की वाणी व भंडारा लगाकर प्रसाद वितरित किया जाएगा।
इसके बाद उन्होंने नाथूसरी कलां के प्रसिद्ध समाजसेवी रामजस कासनियां द्वारा दान में दी गई 2 एकड़ भूमि में एक शिव मंदिर पर भव्य धर्मशाला का निर्माण करवाया। अनेकों गांव में सत्संग चबूतरे बनवाए । स्वामी जी के समाज हित के कार्यों को देख कर वर्ष 1998 में समाज सेवा का पुरस्कार देकर सम्मानित किया। इन सभी सामाजिक कार्यों की लागत संत जी ने जिला में पैदल घूम घूम कर संत समाज सेवा समिति नामक संस्था का गठन किया। महान शख्स जिसने अपना सारा जीवन समाज सेवा में लगाया साल 2002 में प्रभु के चरणों में लीन हो गए।
एक झोपड़ी से शुरू किया गया उनका लगाया हुआ चोपटा रूपी कस्बा एक वट वृक्ष का रूप ले चुका है। चोपटा में इस समय तहसील कार्यालय, बीडीपीओ कार्यालय, पुलिस थाना, आईटीआई, एक सरकारी व 3 निजी विद्यालय, अनाज मंडी , बस स्टैंड सहित कई संस्थान खुलने से क्षेत्र के करीब 52 गांवों को विभिन्न प्रकार की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है।
संत हरिश्चंद्र की पुण्यतिथि पर उनके शिष्य संत पूर्ण दास महाराज व शिव मंदिर समिति ने उनकी याद में एक भव्य संत सम्मेलन का आयोजन रखा है जिसके तहत संतों की वाणी व भंडारा लगाकर प्रसाद वितरित किया जाएगा।
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