नयी समीक्षा । पाश्चात्य काव्यशास्त्र Nai Samiksha Hindi Net JRF Syllabus

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नयी समीक्षा । पाश्चात्य काव्यशास्त्र Nai Samiksha Hindi Net JRF Syllabus



Nai samiksha नयी समीक्षा का विकास 20वीं शती के आरम्भ में एक आन्दोलन के रूप में पहले अमेरिका में और फिर यूरोप में हुआ। इस शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग प्रोफेसर स्विनगार्न ने 1910 में किया, किन्तु इसके प्रवर्तन का श्रेय 'जान क्रोरेंसम' को दिया जाता है जिन्होंने इसे 'न्यू क्रिटिसिज्म' नाम दिया।


 'नयी समीक्षा' आन्दोलन के समर्थकों में जान क्रोरेसम, एलनटेट, आर.पी. ब्लैकमर, रॉबर्ट पेन बारन क्रिमथ ब्रुक्स तथा विलियम एम्पसन के नाम लिए जाते हैं। यद्यपि इन समीक्षकों में भी कई बातों में मतभेद है, किन्तु बुनियादी समानता के कारण उन्हें 'नयी समीक्षा' के समर्थकों में किया जाता है।



नयी समीक्षा को प्रेरणा और बल प्रदान करने का कार्य सर विलियम एम्पसन की समीक्षा कृति 'सेवन टाइप्स ऑफ एम्बिगुयिटी' (1930) ने किया। काव्य भाषा की प्रकृति के विश्लेषण की दिशा में इनका विशिष्ट योगदान रहा है। इनका मत हैं कि कविता एक समन्वित इकाई है उसमें रूप पक्ष और वस्तु पक्ष घुल-मिलकर एक हो जाते हैं। उन्हें अलग करके नहीं देखा जा सकता।

नयी समीक्षा के क्षेत्र में प्रसिद्ध आलोचक हैं—लायोनल ट्रिलिंग, डब्ल्यू. के. विम्सट, सर विलियम एम्पसन आदि। इनके विचारों का स्वर इस प्रकार है :

1. नयी समीक्षा एक आन्दोलन है जिसमें किसी भी कृति की समीक्षा कृति के आधार पर किए जाने का आग्रह है। जहां अभिजातवादी, शास्त्रवादी, मनोविज्ञानवादी और अस्तित्ववादी आन्दोलन, कृतिकार को अधिक महत्व देते हैं वहीं नयी समीक्षा में कृति को विशेष महत्व दिया जाता है।

2. नयी समीक्षा में कृति का महत्व है। कृतिकार का जीवन, युगीन परिस्थितियां, प्रेरणा स्रोत, रचना प्रक्रिया, कृतिकार की मानसिकता, ऐतिहासिकता, दर्शन, समाज, संस्कृति, नीति, उपदेश, उपयोगिता आदि बातें नयी समीक्षा के विचार क्षेत्र से बाहर हैं। 


3. नयी समीक्षा में कृति की रूपरचना पर विचार किया गया है। कृति की शब्दावली, शब्दों की बुनावट (टेक्सचर), शब्दों की पच्चीकारी, अर्थ का ढांचा
(स्ट्रक्चर), शब्दार्थमत श्लेष (अनेकार्यता), सन्दे (एम्बीमुविटी), विरोधाभास (पैराडान्स), सादृश्य- विधान, भावावेग (इंटरनल टेंशन), आद्यन्तगति और अर्थ निर्वाह (एक्सटरनल टेंशन), सजावट (अलंकृति) आदि बातों पर नयी समीक्षा में विचार किया जाता है।

4. नयी समीक्षा में आलोचक की दृष्टि शैली विज्ञान के तत्वों की खोज करती है। चयन, विचलन, सादृश्य आदि के द्वारा वह कृति की विशिष्टता का प्रतिपादन करता है।



5. नयी समीक्षा कलाकृति की अखण्डता को स्वीकार करती है। कृति के विचार पक्ष और वस्तु पक्ष को अलग-अलग करके नहीं देखा जा सकता। दोनों की समन्वित इकाई ही उसे कृति बनाती है।

6. नयी समीक्षा में कृति के शब्द विधान, प्रतीक विधान लय, शब्द भंगिमा, विरोधाभास, तनाव आदि पर विचार किया जाता है।

7. नया समीक्षक यह मानता है कि कविता शब्द विधान और अर्थ विधान की सम्मिलित अन्विति या बुनावट है। शब्द विधान प्रमुख होता है और वही काव्य सौन्दर्य को सम्पादित करता है।

 8. काव्य भंगिमा के अन्तर्गत शब्द रचना, लय, अलंकार आदि सभी का समावेश हो जाता है।


 9. नयी समीक्षा में मूल दृष्टिकोण कृति के भाव प और विचार पक्ष की एकरूपता को शब्द अलंकार तथा कथन भंगिमा के आधार पर देखा है। ये सब मिलकर किसी कृति को जो आभा, क्रान्ति और सौन्दर्य प्रदान करते है समीक्षक करता है।

10. नयी कविता रचना को शुद्ध रूप में देखने की है । उसकी दृष्टि में काव्यशास्त्र का विशेष महत्व है नई समीक्षा वस्तुतः एक दृष्टिकोण ही है कोई नया सिद्धांत नहीं।

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