पितृ दोष प्रमुख लक्षण, कारण और निवारण के सरल उपाय

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पितृ दोष प्रमुख लक्षण, कारण और निवारण के सरल उपाय



पितृ दोष प्रमुख लक्षण , पित्र दोष निवारण सरल उपाय -

1. परिवार में अचानक कलह क्लेश होता है ।

 

2. परिवार के विवाह योग्य बच्चों का अविवाहित रहना ।

 

3. शुभ व मांगलिक कार्यों में बाधा ।

 

4. अक्सर घर की दीवारों में दरारें और सीलन का आना।

 

5. दांपत्य जीवन में क्लेश ।

 

6. फिर बार-बार चोट लगने लगती है और व्यक्ति दुर्घटनाओं का शिकार होता रहता है।

 

7. गर्भपात होना या संतान न होनासंतान में कोई विकलांगता।

 

8. खाने में बार बार बाल निकल के आना।

 

9. स्वप्न्न में पितरो का दर्शन व उन्हें कष्ट में देखना।

 

10. नया व्यापार शुरू करने में कठिनाई आना ।

 

जिस व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष के लक्षण होते हैंउसके परिवार के सदस्य डॉक्टरों के चक्कर काटने को मजबूर हो जाते हैं।

 


जिस व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष होता हैउस व्यक्ति को मानसिक परेशानी लगी रहती है भ्रम से उसका आत्मविश्वास बहुत कम हो जाता है । हर क्षेत्र में मेहनत के बाद भी असफलता मिलती है। नौकरी में उच्चाधिकारियों की नाराजगी झेलनी पड़ती है। गर्भधारण में समस्या आती है संतान प्राप्ति में कठिनाई व गर्भपात की समस्या झेलनी पड़ती है छोटी छोटी बातों पर गुस्सा आने लगता है।

 

पितृ दोष को ख़त्म करने के लिए हर अमावस्या पर अपने पूर्वजों और पितरों के नाम से दवावस्त्र व भोजन का दान करना चाहिए। शुक्ल पक्ष के रविवार के दिन सुबह के समय भगवान सूर्य को तांबें के लोटे में जल में गुड़लाल फूलरोली आदि डालकर अर्पण करना शुरू करें । माता पिता और उनके समान बुजुर्ग व्यक्तियों की सेवा और उनसे आशीर्वाद लें। पितृ दोष मुक्ति के इष्ट देव की सदा पूजा करते रहें। किसी गरीब कन्या के विवाह में मदद करें व किसी गरीब ब्राह्मण को गौ दान पितृपक्ष में करें।

 


यदि पित्र दोष परिवार के कईं लोगो की कुंडली मे हैव परिवार में पूर्व में किसी की अकाल मृत्यु हुई है या जिनकी मृत्यु का कोई कारण ज्ञात न हो तब नागबलि व नारायण बली उज्जैन या त्रिबकेश्वर में करानी चाहिए 


पित्र दोष हमारे पूर्व जन्म के ऋणानुबन्धन के कारण होता है पूर्वज जिनका देहिक शरीर पूरा हो गया है जिनकी अनुकम्पा से हम भौतिक संसार मे आये हैं का आशीर्वाद प्राप्त न होना या अनुकूलता प्राप्त न होना पित्र दोष कहलाता है उन्हे स्मरण याद करते रहे सम्मान करते रहने से पित्रो की कृपा प्राप्त होती है ।

 

जन्म कुंडली मे पित्र दोष की स्थिति ग्रहो के संयोजन से बनती है जिससे जान सकते हैं पित्र दोष की स्थिति है या नही पित्र दोष के सामान्य लक्षण निम्नवत प्रकार से अनुभव कर सकते हैं –

 

संतान प्राप्ति मे बाधा रूकावट या पुत्र संतान की प्राप्ति न होना पित्र दोष का कारण हो सकता है ।

 

विवाह मे अवरोध रूकावट या सुपात्र जीवन साथी की प्राप्ति मे बिलम्ब देरी पित्र दोष का कारण हो सकता है ।

 

गृहस्थ जीवन मे असंतोष या संतुष्टी की कमी या अशान्ति पित्र दोष के कारण संभावित रहेगी ।

 

अधिक पराक्रम एवं परिश्रम के बाद न्यून फल प्राप्ति , कठोर मेहनत के बावजूद सफलता मे कमी पित्र दोष की संभावना रहेगी ।

 

परिवार के सदस्यो मे वैमनस्य आपसी तालमेल विचारधाराओ मे अन्तर , अन्दरूनी कलह , क्लेश , आपसी समझ की कमी , अकारण क्रोध पित्र दोष की वजह हो सकता है ।

 

घरेलू बरकत की कमी , धन आय अच्छी होने पर भी संचय या पैसा टिकने मे परेशानी अकारण अपव्यय , पित्र दोष के कारण हो सकता है ।

 

वुजुर्गो के मान आदर मे कमी , बूढो का अपमान , संतान का विपरीत विचारधाराओ से प्रभावित होना , सही बात को भी न मानना , आपसी अवहेलना पित्र दोष का कारण हो सकता है ।

 

परिवार के सदस्यो आपसी प्रेम , पारस्परिक स्नेह की कमी , वातावरण मे अशान्ति ,आपसी स्वार्थ मे वृद्धि , अथिति निरादर पित्र दोष का कारण हो सकता है ।

 

उपरोक्त प्रभावी लक्षण मे से किसी एक या कई प्रकार के कारण हो सकते हैं जब गृहस्थ जीवन आनंद रहित हो मानसिक संताप या स्ट्रेस हमेशा बना रहता है प्रगति एवं उन्नति मे बाधाऐ आती हो कोई काम सरलता पूर्ण न होता हो तो निश्चित रूप से पित्र दोष का कारण होगा ।

अमावस के दिन दूध वाली खीर बनाकर श्रद्धापूर्वक पित्रो को नमन करे तथा उसमे से एक कटोरा खीर किसी बूढे व्यक्ति या वुजुर्ग महिला को सप्रेम दान करे , यदि संभव हो तो पूर्ण भोजन का भी दान कर सकते है या आस पास के मंदिर मे दान करने से पित्रो की कृपा प्राप्त होती है ।

 

2 - अमावस्या के दिन श्रद्धापूर्वक रूचि कृत पित्र स्त्रोत का पाठ करे या श्रवण करने से पित्र देवो की कृपा अवश्य प्राप्त होती है ।

 

3 - विशेष रूप से अमावस्या के दिन घर मे बने हुए भोजन से थोड़ा ग्रास निकालकर पित्रो के निमित्त अग्नि पर ॐ पित्र देवाय नमः स्वाहा बोलते हुए अर्पित करने से पित्रदेव प्रसन्न होते हैं ।

 

4 - अमावस्या के दिन संध्याकाल सूर्य अस्त के समय खुली जगह पर जाये दक्षिण की ओर मुख करके एक लड्डू मे दो लौग लगाकर पित्रो के निमित्त अर्पित करे उनसे आशीर्वाद की प्रार्थना करने से पित्र कृपा निश्चित रूप से प्राप्त होती है ।

 

5 - अमावस के दिन गंगा या किसी पवित्र नदी मे स्नान करे पित्रो के निमित्त पिण्ड दान , तर्पण श्रद्धापूर्वक नमन करने से पित्र प्रसन्न होकर कृपा प्रदान करते है ।

 

6 - पित्र पक्ष मे अपने पूर्वजो के निमित्त श्राद्ध उनकी मृत्यु तिथि पर करना चाहिए तथा सभी पित्रो के निमित्त विशेष रूप से पित्र अमावस्या को श्राद्ध पिण्ड दान करने से पित्रो का आशीर्वाद प्राप्त होता है ।

 

6 - विशेष रूप से अमावस के दिन अपने वुजुर्गो , दादा - दादी या किसी बूढे व्यक्ति के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करे , उनका श्रद्धापूर्वक सम्मान करने से पित्रो को प्रसन्नता प्राप्त होती है ।

 

उपरोक्त पित्र दोष के लक्षण एवं अत्यंत सरल उपाय आपके प्रश्न के अनुसार व्यक्त किए हैं आशा है मेरा यह छोटा सा प्रयास आपके जीवन थोड़ी खुशी दे सका तो मै अपने आपको धन्य समझूँगा, ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से आपके जीवन मे खुशीयो का संचार हो ऐसी मंगल कामना के साथ आपका ह्दय से आभार सप्रेम वंदन

 


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