अगर आप ओमजी व भोमजी को कभी सुना हो तो ज़र पढ़े
@1970-80 के दशक के जोधपुर आकाशवाणी के #हिरो। #ओमजी_भोमजी का #परिचय।
जोधपुर आकाशवाणी ने मारवाड की जनता को जो कुछ दिया ,उसके लिए हम नही हमारी पीढिया भी ऋणी रहेगी...
..बात करते है, ओमजी - भोमजी की, तो ये 70-80 के दशक के वो अमर किरदार थे जो आज भी लोगों के दिलों मे स्थाई बसे हुए है ।
भले हम आज के युवा इनके बारे मे ज्यादा जानकारी नहीं रखते होंगे लेकिन हमारे बडे बुजूर्गों ने इनको हमेशा के लिए अपने दिलों के तारों से जोड रखा है,
मित्रों सन् 1971 का वर्ष मारवाड के लिए ऐतिहासिक था, क्यूकि इस साल मारवाड की ह्रदयस्थली जोधपुर मे आकाशवाणी की नियमित प्रसारण सेवा शुरू हुई थी,
यहा की जनता जो आधुनिकता और भौतिकता से कोसों दूर थी, उनको पहली बार अगर किसी ने गांव गली से बाहर निकाल दुनिया के कोने कोने से रूबरू कराया तो वो था जोधपुर आकाशवाणी....
जोधपुर आकाशवाणी के सीनियर अधिकारी श्री हनवन्तसिंहजी देवडा ने जिन दो किरदाऱों को जनता के सामने रखा, वो आज अमर हो गये
श्री कानसिंहजी राठौड (ओमजी)और श्री नारायणसिंहजी भाटी (भोमजी)
--- इन्होने मारवाड की जनता विशेषकर देहाती जनता को मानवीय आदर्श और यहाँ के यथार्थ चित्रण को अपनें शब्दों के माध्यम से लोगो के सामने जिस अंदाज से परोसा , वो ही इनका अंदाज यहा की जनता को बेहद रास आया, .
आप दोनो ओमजी- भोमजी बनकर ठेठ देहाती लहजे मे मारवाड की जनता के सामने प्रस्तुती देते थे, इनकी जादूई मायड भाषा जिसमें हास्य रस का एक अनोखा पुट होता था, इनका यही अंदाज मारवाड की ग्रामीण जनता को अपनी दुनिया से हटाकर रेडियों की दूनिया मे मग्न कर देता था । प्रस्तुती के समय ये आवाज बदलकर ठेठ देहाती बूजूर्ग की तरह लंबी टेर , मंद स्वर तंत्र और बीच बीच मे खांसते हुए संवाद करते थे ..
इनके संवाद की यह शैली बच्चो से लेकर बूढों तक को लोटपोट कर देती थी।
श्री नारायणसिंहजी भाटी के बारे मे लोग यह जानने के लिए उत्सुक रहते थे कि आप ऐसे कैसे बोल लेते हो ? क्या मुंह मे बोलते वक्त कुछ गोली वगैरह रखते हो क्या ?
इनकी लोकप्रियता का आलम यह था कि मारवाड की जनता ने पहली दफा ओमजी - भोमजी को सुनने के लिए उस जमाने मे अपनें घरों मे रेडियो लाए थे
इनके प्रोग्राम मानवीय आदर्शों की सम्पूर्णता हुआ करते थे । घर की देहरी से लेकर गांव, गरीब मजदूर, किसान , देश दुनिया के तमाम विषयों को लेकर रखी जाने वाली इनकी चर्चाएं मायड के लोगो को काफी रास आती थी...
ग्रामीण जनजीवन का यथार्थ, एवं जन मुद्दो, एवं जन समस्याओं को जिस अंदाज से अपने शब्दों मे पिरोया, उस अंदाज ने इनकी लोकप्रियता बहुत कम समय मे प्रदेश और देशभर मे विस्तारित की।
दूसरे राज्यो मे चर्चा होती थी कि जोधपुर आकाशवाणी मे दो किरदार ऐसे है जिनको सुनने के लिए ग्रामीण जनता खेतों का काम छोडकर घरों की ओर लौट आती है ।
नित्य शाम 6.30 बजे आकाशवाणी जोधपुर से प्रसारित होने वाला इनका #सीमाडे_री_गूंज प्रोग्राम सर्वाधिक लोकप्रिय कार्यक्रम था , इस प्रोग्राम मे ओमजी भोमजी को सुनकर लोग अपनी थकान को भूल जाते थे,.इसके अलावा #गांवगवाड, युववाणी ,चौपाल, सहित अनेक प्रोग्राम लोगो की पहली पसंद बने रहे.....।
सामान्य परिचय -
1. कानसिंहजी राठौड -
- जन्म आपका जन्म जोधपुर के बूचकला ठि. मे कुंपावत राठौड परिवार मे हुआ था,.पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोसिंहजी का ससुराल आपके घर मे था, भैरोसिंहजी आपके फूफोसा थे ।
पारिवारिक सदस्य - 1. रामवीरसिंहजी (पुत्र)
2. श्यामवीरसिंहजी (पुत्र)
स्वर्गवास - सन् 1985
______
2. नारायणसिंहजी भाटी
जन्म - जोधपुर जिले के नानण (पीपाड) मे भाटी परिवार मे हुआ था, ...
पारिवारिक सदस्य-
राजेन्द्रसिंहजी (पुत्र)
दशरथसिंहजी (पुत्र)
स्वर्गवास - सन् 1995.
0 टिप्पणियाँ