Headlines - विरेंद्र सहू वर्णिका सहू फ्रूट नर्सरी गिगोरानी में तैयार उच्च क्वालिटी के सीडलैस किंन्नू, माल्टा, मौसमी व नींबू की नर्सरी में पौधे तैयार कर 12 राज्यों में भेज कर रहा कमाई, सफलता की कहानी , ,Success Story,
हरियाणा के महामहिम राज्यपाल बंगारू दतात्रेय भी नर्सरी में तैयार पौधों की कर चुके हैं सराहना
इजरायली विधि
द्वारा नेट हाउस व पोली बैग में ड्रिप सिस्टम की सहायता से तैयार की जाती है पौधे
वर्णिका सहू फ्रूट नर्सरी गिगोरानी में तैयार उच्च क्वालिटी के शीड्लैस किन्नू, रेड ब्लड माल्टा, अर्ली गोल्ड माल्टा, कागजी नीम्बू, मौसम्बी, अमरुद, हिसार सफेदा, ताइवान पिंक, हिसार सुरखा सहित कई किस्मों के पौधों को देश के लोग काफी पसंद कर रहे हैं। इनके पौधे इजरायली विधि द्वारा नेट हाउस व पोली बैग में ड्रिप सिस्टम की सहायता से तैयार किए जाते है। जिससे पौधे कहीं भी लाने व ले जाने में खराब नहीं होते।
वीरेंदर सहू मोबाईल न. 9068800004
वीरेंद्र सहू द्वारा वर्णिका फ्रूट नर्सरी में तैयार पौधे आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र और दिल्ली के किसान लेने के लिए आते हैं। अब राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड द्वारा वर्णिका सहू फ्रूट नर्सरी गिगोरानी को थ्री स्टार रैकिंग दी गई है. इससे अब नर्सरी में तैयार पौधों को खरीदने पर किसानों को पूरा अनुदान मिलेगा. पिछले दिनों सिरसा दौरे के दौरान हरियाणा के महामहिम राज्यपाल बंगारू दतात्रेय ने नर्सरी में तैयार पौधों की सराहना की.
नाथूसरी चोपटा (सिरसा) -राजस्थान की सीमा से सटे हरियाणा के पैंतालिसा क्षेत्र के गांव गिगोरानी के किसान नाथूसरी चौपटा पंचायत समिति के पूर्व चेयरमैन विरेंद्र सहू ने बागवानी के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर क्षेत्र का नाम पूरे देश में रोशन किया है. अब किसान वीरेंद्र सहु किसी परिचय का मेहताज नहीं है.
बागवानी के क्षेत्र में कई ख़िताब अपने नाम कर चुके किसान वीरेंद्र सहू द्वारा बेटी के नाम से शुरू की गई वर्णिका सहू फ्रूट नर्सरी गिगोरानी को राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड से थ्री स्टार रेटिंग मिल गई है. भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त होने के कारण अब इस नर्सरी से तैयार पोधे खरीदने पर किसानों को पूरा अनुदान मिलेगा. नर्सरी मे पौधे इजरायली विधि द्वारा नेट हाउस व पोली बैग में ड्रिप सिस्टम की सहायता से तैयार किये जाते है
एमए हिंदी पास किसान वीरेंद्र सहु ने बताया की अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाए रखने के लिए साल 2003-04 में 22 एकड़ भूमि में किन्नू का बाग लगाया व 8 एकड़ में आग्रेनिक अमरूद लगाए। इससे परंपरागत कृषि के साथ अतिरिक्त आमदन शुरू हो गई। जिसमें अपने माता पिता का पूरा सहयोग मिला।
इसी के साथ साथ कृषि विभाग से डॉ लक्ष्यवीर बैनीवाल व डीएचओ सतवीर शर्मा की पे्ररणा से परंरागत खेती के साथ साथ सीजन के अनुसार विरेंद्र सहू द्वारा अपने खेत में इजराइली विधि से लगाए गए तरबूज व खरबूजा को क्षेत्र के लोग काफी पसंद करते हैं। इस कमाई के साथ साथ किसान विरेंद्र सहू ने सीडलैस किन्नू व मोसमी, माल्टा व नींबू के पौधे तैयार कर बेचने से कमाई का दायरा भी बढा़ लिया है।
लीक से हटकर कुछ करने के जज्बे ने राजनीति व समाजसेवा के साथ साथ विरेंद्र सहू को हरियाणा, राजस्थान सहित देश में अलग पहचान भी दिलवाई। आधुनिक खेती, राजनीति व समाजसेवा के जज्बे के साथ किसानों के लिए प्रेरणा बन गया। इसी की बदौलत प्रगतिशील किसान वीरेंद्र सहू को चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय हिसार में आयोजित कृषि मेले में प्रोग्रेसिव फार्मर एंड हाईटेक नर्सरी के क्षेत्र में सराहनीय कार्य के लिए सम्मानित किया गया. वीरेंद्र सहू को यह पुरस्कार दूसरी बार मिला । पुरस्कार के लिए सिरसा जिले से एकमात्र किसान वीरेंद्र सहू का चयन किया गया ।
विरेंद्र सहू ने
बताया कि सरकार के सहयोग से उसने खेत में एक पानी की डिग्गी भी बना ली है। उस डिग्गी
में पानी इक्टठा करके रखता है जब भी सिचांई की जरूरत होती है, तभी किन्नू के पौधों व फसलों मे सिंचाई कर लेता
है। किन्नू के पौधों में जल्दी सिंचाई की
जरूरत नहीं होती। वह सिंचाई ड्रिप सिस्टम द्वारा की जाती है , जिससे पानी व ,खाद व दवाई सीधे
पौधों को मिल जाती है। तथा पानी
बेकार नहीं जाता।
तरबूज व खरबूजे को भी मिलती है सराहना
उन्होंने बताया कि वह सब्जियां अपने खेत में ही उगाता है कभी भी बाजार से नहीं लाता। मौसम के अनुसार बैंगन, घीया, तोरी, टमाटर, लहसून, प्याज, गाजर इत्यादि उगा लेता है और ताजी सब्जी ही बनाता है। प्रगतिशील किसान वीरेंद्र सहू वर्तमान में पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए समृद्धि नामक मुहिम चला रखी है जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में बच्चों को मुफ्त फलदार व छायादार पौधे देकर पर्यावरण को बचाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
विरेंद्र सहू ने बताया कि उसके गांव से सिरसा मण्डी दूर पड़ती है। जिससे फलों को वहां ले जाकर बेचने में यातायात खर्च ज्यादा आता है। तथा बचत कम होती है। उसका कहना है कि अगर फलों की मण्डी या फ्रूट प्रोसैसिंग प्लांट नाथूसरी चौपटा में विकसित हो जाए तो यातायात खर्च कम होने से बचत ज्यादा हो जाएगी।
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