कैसे करें अंजीर की खेती ? किसान विजय न्योल कुम्हारिया ने रेतीली जमीन में अंजीर लगाकर खोजा कमाई का जरीया farmer success story

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कैसे करें अंजीर की खेती ? किसान विजय न्योल कुम्हारिया ने रेतीली जमीन में अंजीर लगाकर खोजा कमाई का जरीया farmer success story

सफलता की कहानी : बारिश समय पर ना होना, फसलों में विभिन्न प्रकार की बिमारियंा व अन्य प्राकृतिक आपदाओं के आने से किसानों को परम्परागत खेती से घाटा ही होने लगा। 

इसके साथ ही जब जमीन भी रेतीली हो तो खेती करना और भी मुश्किल हो जाता है। farmer success story

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रेतीली जमीन में परंपरागत खेती से आमदनी कम हो जाती है। और आर्थिक स्थिति डावांडोल हो जाती है। लेकिन गांव कुम्हारिया (सिरसा) के किसान विजय न्योल, रोहताश न्योल, और अजित न्योल ने हौसला हारने की बजाए कमाई का जरिया खोजा। उसने अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाए रखने के लिए दो वर्ष पूर्व में 2 एकड़ भूमि में अंजीर का बाग लगाया। इससे परंपरागत कृषि के साथ अतिरिक्त आमदन शुरू हो गई। 


लीक से हटकर कुछ करने के जज्बे ने विजय न्योल को हरियाणा के साथ-साथ निकटवर्ती राजस्थान के आस पास के गांवों में अलग पहचान भी दिलवाई। जिससे किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गया ।अंजीर का फल काफी गुणकारी होता है और रेतीला जमीन में उत्पादन भी अच्छा देता है। यह फ्रूट जैम और दवाइयां बनाने के काम आता है।

 

सोशल मीडिया पर जानकारी लेकर अंजीर के पौधे लगाए

गांव कुम्हारिया के किसान विजय न्योल ने बताया कि जमीन रेतीली होने के कारण उसमें परंपरागत फसल उत्पादन कम ही होता है। जिससे कमाई कम होने लगी तो उसने परंपरागत खेती के साथ अतिरिक्त कमाई का जरीया खोजना शुरू किया। 


उन्होंने बताया कि रेतीली जमीन व नहरी पानी की हमेशा कमी के कारण परंपरागत खेती में अच्छी बारिश होने पर तो बचत हो जाती वरना घाटा ही लगता। उसने बीकाम की पढ़ाई करने के दो साल पहले खेती को घाटे से उबारने का फैसला किया। इसी के तहत उसने सोशल मीडिया पर बागवानी के बारे में जानकारी हासिल करनी शुरू की।  अंजीर के उत्पादन, देखभाल व गुणों को देखकर मन बनाया कि यही बाग लगाउंगा। उत्पादन व बचत के बारे में जानकारी लेकर अंजीर का बाग लगाने का मन बनाया। उसके बाद रोहताश न्योल, और अजित न्योल के साथ मिलकर उदयपुर राजस्थान से अंजीर के पौधे लाकर लगाए।  


न्होंने बताया कि पहली बार उनके 4-5 किंवटल अंजीर का उत्पादन हुआ ।  इसके साथ ही अंजीर के पौधों की लाइनों में खाली पड़ी जमीन पर गवार मूंग व सब्जियों की बिजाई की जिससे करीब 1 लाख 50 हजार रूपये की बिक्री हुई। 


उसने बताया कि सरकार के सहयोग से उसने खेत में एक पानी की डिग्गी भी बना ली है। उस डिग्गी में पानी इक्टठा करके रखता है जब भी सिचांई की जरूरत होती है, तभी अंजीर के पौधों व फसलों में सिंचाई कर लेता है। सिंचाई ड्रिप सिस्टम द्वारा की जाती है, जिससे पानी, खाद व दवाई सीधे  पौधों  को मिल जाती है। पानी बेकार नहीं जाता।

 


बहुत गुणकारी होता है अंजीर

विजय न्योल ने बताया कि औषधीय फल अंजीर खाने मेंं स्वादिष्ट व पौष्टिक होता है। यह शरीर की कमजोरी को दूर करता है वहीं कई प्रकार के रोगों को ठीक करने में भी मददगार होता है। उन्होंने बताया कि अंजीर एक वृक्ष का फल है जो पक जाने के बाद अपने आप गिर जाता है। पके फल को लोग खाते हैं इसके अलावा सूखा फल भी बिकता है। सूखे फल को टूकड़े टूकड़े करके या पीसकर दूध और चीनी के साथ खाया जाता है। इसका स्वादिष्ट जैम भी बनाया जाता है। 100 ग्राम फल में 74 कैलोरी उर्जा, 750 मिलीग्राम प्रोटीन, 35 मिलीग्राम कैल्शियम, 370 मिलीग्राम आयरन व 242 मिलीग्राम पौटेशियम के  साथ साथ कई प्रकार के विटामिन पाए जाते हैं।

 

मंडी दूर होने के कारण यातायात खर्च ज्यादा हो जाता है ।

विजय न्योल ने बताया कि अंजीर दिल्ली मण्डी में बिकता है। उसके गांव से दिल्ली मण्डी दूर पड़ती है। जिससे फलों को वहां ले जाकर बेचने में यातायात खर्च ज्यादा आता है। तथा बचत कम होती है। 


उसका कहना है कि अगर फलों की मण्डी या फ्रूट प्रोसैसिंग प्लांट सिरसा में विकसित हो जाए तो यातायात खर्च कम होने से बचत ज्यादा हो जाएगी। इसके अलावा सरकार को पौधे खरीदने पर भी अनुदान देना चाहिए।

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