मनमोहन सिह प्रधानमंत्री बने तो उनके सम्मान में एक भोज का आयोजन था।
उसी भोज में एक साधारण कपड़े पहने एक महिला एक कोने में बैठ कर भोजन कर रही थी,
तमाम आला अधिकारियों की पत्नियों को एक शानदार कार्यक्रम के बीच इतनी साधारण महिला की उपस्तिथि कुछ खल रही थी, कुछ ने उत्सुकता वश उनके पास जाकर उनका परिचय चाहा, तो उस महिला ने सहज भाव से कहा मेरे पति यहाँ काम करते है।
आला अधिकारियों की महिलाओं का शक यकीन में बदलने लगा जरूर किसी छोटे कर्मचारी की पत्नी यहाँ आकर इस शानदार कार्यक्रम की शोभा खत्म कर रही है।
एक महिला ने थोड़ा रोब झाड़ते हुए कहा साफ साफ बताओ तुम्हारे पति किस पद पर कार्य करते है।
महिला पुनः सहज भाव से बोली जी वें - "प्रधानमंत्री के पद पर कार्य करते है" इस उत्तर के उपरांत उस सहज महिला की थाली में खत्म हुई मिस्सी रोटी लाने के लिए तमाम आला अधिकारियों की पत्नियों में होड़ मच गई।
किन्तु वो उन्हें धन्यवाद प्रेषित करते हुवे स्वयं अपना खाना लेने चल दी।
जितनी सहज पत्नी उतने ही सहज पूर्व प्रधानमंत्री महान अर्थशास्त्री श्री सरदार Dr. Manmohan Singh जी
सहजता के अनुयायी प्रायः कम ही होते है।
ऐसे सहज नेता सदियों में कभी कभी जन्म लेते है। ये है देश के महान प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की और उनकी पत्नी की महानता।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बारे में कुछ लिखना सूरज को दिया दिखाने जैसे है
फिर भी आपके मौन के लिए 4 लाइन याद आ रही है-
परिंदों को मंजिल मिलेगी,ये फैले हुए उनके पँख बोलते है।
अक्सर वही लोग रहते है खामोश,जमाने मे जिनके हुनर बोलते है।।
वक्त खामोश नही मौन था,देश को अब समझ आया सरदार कौन था
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