किसान बोले: मात्र 15 मिनट में ही प्रकृति ने फेर दिया 6 महीने की मेहनत पर पानी, फसलों के खराबे का आकलन कर उचित मुआवजा दे सरकार
चौपटा। राजस्थान की सीमा से सटे नाथूसरी चोपटा खंड के गांव कुम्हारिया में जोरदार आंधी व तूफानी बारिश से करीब 500 एकड़ में बीटी नरमें, गवार व बाजरे की फसल को काफी नुकसान हुआ। किसानों ने बताया कि 15 मिनट में ही प्रकृति ने 6 महीने की मेहनत पर पानी फेर दिया। तेज आंधी व बारिश नरमें, गवार व बाजरे की पककर तैयार खड़ी फसल को पूरी तरह से जमीन पर बिछा दिया। जिससे अब फसलों का उत्पादन नगण्य हो गया है।
गांव कुम्हारिया के किसान रोहताश, अजित कुमार, विजय कुमार ने बताया कि अचानक बादलवाही और तेज हवा चलने के बाद करीब 15 मिनट तक आंधी और तूफानी बारिश से नरमे, कपास, ग्वार व बाजरे की फसल को पूरी तरह से जमीन पर बिछा दिया। किसान पवन कुमार ने बताया कि उसकी 5 एकड़ में नरमें की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है। इसी प्रकार किसान जयवीर का कहना है कि उसकी दो एकड़ में बाजरे की फसल खराब हो गई। किसान सुरेश कुमार की 5 एकड़ में नरमें की फसल तूफानी बारिश की भेंट चढ़ गई ।
इसी प्रकार रवि कुमार की दो एकड़ में नरमें व एक एकड़ में ग्वार की फसल आंधी और बारिश से जमीन पर बिछ गई। किसान राजकुमार की तीन एकड़ में नरमें की फसल बर्बाद हो गई। किसानों ने बताया कि उन्होंने इन फसलों पर खर्च भी काफी खर्च कर दिया है और अब जब पक कर फसल तैयार हुई तो बारिश और आंधी ने उनके सपनों पर पानी फेर दिया। उन्होंने बताया कि पहले जरूरत के समय बारिश न होने के कारण उन्होंने महंगे दामों पर डीजल लाकर फसलों में सिंचाई की। इसके अलावा रासायनिक खाद और बीमारियों से बचाने के लिए दवाइयों का छिड़काव किया। जिससे उनका फसलों पर काफी खर्च हो गया और अब प्रकृति की मार के आगे बेबस हो गए।
उन्होंने बताया कि गांव के दक्षिण दिशा की
ओर आए तूफान से करीब 500 एकड़ में फसलों
को काफी नुकसान हुआ है। इन्होंने सरकार से मांग की है कि उनके फसल खराबे का आकलन
किया जाए और उचित मुआवजा दिया जाए।
फोटो। नरमे की फसल का खराबा दिखाते हुए किसान, जमीन पर बिछी बाजरे की फसल
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