Success Story : किसान भगत सिंह ने रेतीली जमीन में खोजा कमाई का जरिया, 22 महीने पहले लगाया अमरुद का बाग़ अब कमाई लाखों में

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Success Story : किसान भगत सिंह ने रेतीली जमीन में खोजा कमाई का जरिया, 22 महीने पहले लगाया अमरुद का बाग़ अब कमाई लाखों में



Success Story 

किसान की सफलता की कहानी -  किसान भगत सिंह ने 22 महीने पहले अमरुद का बाग़  लगाकर  किसान ने रेतीली जमीन में कमाई का जरिया खोजा  






क्षेत्र के युवा पढे लिखे  किसान परंपरागत खेती के साथ-साथ आधुनिक तरीके से बागवानी, पशुपालन, सब्जियां इत्यादि लगाकर अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बना रहे हैं। इसी कड़ी में गांव जोडकियां  (सिरसा) के किसान भगत सिंह हूड्डा ने 3 एकड़ रेतीली जमीन में हिसार सफेदा किस्म का अमरुद लगाकर परंपरागत खेती के साथ-साथ अतिरिक्त कमाई का जरिया बनाया । भगत सिंह ने बताया कि इस क्षेत्र के वातावरण के अनुकूल हिसार सफेदा किस्म का अमरूद पूरी तरह से कामयाब है। मीठा, सबसे स्वादिस्ट अमरुद को मार्किट में सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है.





गांव जोडकियां  (सिरसा) के  किसान  भगत सिंह हूडा ने बताया कि उन्होंने सितम्बर 2021 में 3 एकड़ जमीन में हिसार सफेदा किस्म के अमरूद का बाग लगाया. बागवानी के कार्य में उनके पुत्र दिनेश हूडा की मेहनत और लग्न की बदोलत अच्छी कमाई शुरू हो गई. उन्होंने बताया कि भुना नर्सरी से तैयार की गई किस्म हिसार सफेदा अमरूद को अपने खेत में 3 एकड़ जमीन में 520  पौधे लगाए हुए हैं। जिनसे उन्हें मात्र 22 महीने में ही आमदनी शुरू हो गई है इस  साल  5  लाख रुपए से अधिक की आमदनी हो जाएगी । 


उन्होंने बताया कि हिसार सफेदा किस्म हिसार विश्वविद्यालय से तैयार की गई किस्म है और इसकी खासियत यह है कि यह सिरसा, हिसार और निकटवर्ती राजस्थान के क्षेत्र के वातावरण व रेतीली मिट्टी के लिए उपयोगी किस्म है। इस क्षेत्र में इसका उत्पादन भी अधिक होता है तथा अमरूद भी अन्य किस्मों के मुकाबले मीठा होता है। 


उन्होंने बताया कि हिसार सफेदा किस्म  के पौधों में जरूरत पड़ने पर खारे पानी से भी सिंचाई की जा सकती है इसके अलावा इसके फल का वजन भी काफी अधिक होता है । इस बार 50 से 55 रुपये तक प्रति किलोग्राम का भाव मिल रहा है.इनका कहना है  किसान परंपरागत खेती के साथ आधुनिक तरीके से बागवानी, फल, सब्जियां या पशुपालन कर अतिरिक्त कमाई करके आत्मनिर्भर बन सकते हैं।



सरकार की सहायता से खेत में बनाईं पानी की डिग्गी, ड्रीप सिस्टम से करता है सिंचाई

भगत सिंह हूड्डा  ने बताया कि उन्होंने सरकार की सहायता से खेत में पानी की डिग्गी बना ली है जिसमें पानी एकत्रित कर लिया जाता है। और जब जरूरत होती है तो उस पानी से ड्रिप सिस्टम द्वारा सिंचाई कर पौधों को खाद और पानी सीधा जड़ो में दिया जाता है जिससे एक तो पानी की बचत होती है और पौधों को जरूरत के हिसाब से पानी व  खाद इत्यादि मिल जाती है । यह सब सरकार के सहयोग से मिला है। इसके अलावा पोधों पर भी सब्सिडी मिली है. 

 


क्षेत्र में मंडी व वैक्सिंग प्लांट लगाया जाए

भगत सिंह  ने बताया कि उसके गांव से फलों की मण्डी  दूर पड़ती है। जिससे फलों को सिरसा  ले जाकर बेचने में यातायात खर्च ज्यादा आता है। तथा बचत कम होती है।   उसका कहना है कि अगर फलों व सब्ज़ियों की मण्डी नाथूसरी चौपटा या नजदीक में विकसित हो जाए तो यातायात खर्च कम होने से बचत ज्यादा हो जाएगी। 

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