हरियाली तीज 2023 |
यह त्यौहार श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को उत्तरी भारत के सब नगरों में विशेष रूप से मनाया जाता है। घर-घर में झूले पड़ते हैं। नारियों के समूह गा-गाकर झूला झूलती है। सावन में सुन्दर से सुन्दर पकवान, गुँजिया, घेवर, फैनी आदि बेटियों को सिंधारा भेजा जाता है।
बायना छूकर सासू को भेजा या दिया जाता है। इस तीज पर मेंहदी लगाने का विशेष महत्त्व है। स्त्रियाँ हाथों पर मेंहदी से भिन्न-भिन्न प्रकार के बेल-बूटे बनाती हैं। तीजों पर मेंहदी रचाने की कलात्मक विधियाँ परम्परा से स्त्री समाज में चली आ रही हैं। स्त्रियाँ पैरों में आलता भी लगाती हैं जो सुहाग का चिह्न माना जाता है।
इस तीज पर निम्न बातों को त्यागने का विधान है - 1. पति से छल कपट, 2. झूठ बोलना एवं दुर्व्यवहार, 3. परनिन्दा । कहते हैं कि इस दिन गौरा विरहाग्नि में तपकर शिव से मिली थीं। इस दिन राजस्थान में राजपूत लाल रंग के कपड़े पहनते हैं। माता पार्वती की सवारी निकाली जाती है।
राजा सूरजमल के शासन काल में इस दिन कुछ पठान कुछ स्त्रियों का अपहरण करके ले गये थे, जिन्हें राजा सूरजमल ने छुड़वाकर अपना बलिदान दिया था। उसी दिन से यहाँ मल्लयुद्ध का रिवाज शुरू हो गया।
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