कथा : प्राचीन काल में किसी गाँव में एक ठाकुर रह था। एक दिन ठाकुर की एक ब्राह्मण से कहा सुनी हो गई तकरार बढ़ने पर ब्राह्मण ठाकुर के हाथों मारा गया। ब्राह्मण के मर जाने से ठाकुर को ब्रह्महत्या का पाप सताने लगा।
ठाकुर ने गाँव के ब्राह्मणों से ब्रह्महत्या के पाप से छूटने का उपाय पूछा। ब्राह्मणों ने उसे कामिका एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। ठाकुर ने वैसा ही किया। रात्रि में वह जब भगवान की प्रतिमा के पास शयन कर रहा था तो स्वप्न में भगवान ने दर्शन देकर उसे ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त कर दिया। ठाकुर ब्राह्मण की तेरहवीं करके ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त होकर विष्णु लोक चला गया।
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