चोपटा प्लस kargil vijay gatha
26 जुलाई को देश में कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। जिसमें देश के रणबाकुरों ने भारत की सीमाओं की रक्षा के लिए शहादत दी। कारगिल का नाम सुनते ही गांव तरकांवाली के ग्रामीणों को गांव के जाबांज सिपाही शहीद कृष्ण कुमार की शहादत यादें ताजा हो जाती है।
भारतीय सेना में 17वीं जाट रेजिमेंट का बहादुर सिपाही कृष्ण कुमार निवासी गांव तरकांवाली जिला सिरसा कारगिल कि सबसे दुर्गम चोटी टाईगर हिल्स पर दूश्मनों से लोहा लेते हुए 30 मई 1999 को शहीद हो गया था, लेकिन अपनी बहादुरी के बल पर 8 घुसपैठियों को मौत कि नींद सुला दिया था। भीषण गोलीबारी और सर्दी के कारण सेना कृृष्ण कुमार का पार्थिव शरीर बरामद नहीं कर पाई थी, 45 दिन बाद बर्फ में शहीद का शव भी मिल गया जिसे लेकर भारतीय सेना के जवान 16 जुलाई को गांव तरकांवाली पहुंचे और पूरे राजकीय सम्मान के साथ अन्तिम संस्कार किया। शहीद कृष्ण कुमार की सेना में पहली नियुक्ति श्री नगर में हुई थी अंत तक वहीं रही।
kargil में शहीद हुए गांव तरकावाली के कृष्ण कुमार की शहादत पर तो ग्रामीणों को नाज
है परंतु सरकार द्वारा शहीद के शहीदी दिवस पर दिखाई जाती बेरूखी पर ग्रामीण काफी
नाराज है। ग्रामीणों का कहना है कि हमारे
देश के जवानों ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। हमें तो शहीद कृष्ण कुमार की शहादत का दिन 30 मई याद रहता, परंतु सरकार व प्रशासन हर बार बलिदान दिवस को
भूल जाती है। इसके अलावा सरकार द्वारा कई
घोषणाएं की गई थी वह भी आधी अधूरी ही पूरी हुई है।
कृष्ण कुमार में देश सेवा की भावना बचपन से ही थी। कृष्ण एक
अच्छा खिलाड़ी होने के साथ साथ पढ़ाई में होशियार था। उन्होंने बताया कि निकटवती्र
गांव शाहपूरिया के स्कूल में पढ़ाई करने के लिए जाते तो कृष्ण हमेशा ही देशभकित से
ओत प्रोत बाते करता रहता था। सरकार ने कृष्ण की शहादत के समय गांव के स्कूल का
नामकरण शहीद के नाम व दर्जा बढ़ाने की घोषणा की थी लेकिन अब तक स्कूल का दर्जा
मिडल से हाई स्कूल का दर्जा भी नहीं दिया है। सरकार को स्कूल का दर्जा बढाकर शहीद
का सम्मान बढ़ाना चाहिए। --- लीलू राम बैनीवाल
गांव तरकांवाली
कृष्ण कुमार सदा से ही हंसमुख व सादगी पंसद था। खेलों में
समाज सेवा में हर समय आगे रहता था, वालीबाल प्रतियोगिताओं में कई बार साथ खेलते थे। उस समय की
बातें कारगिल का नाम सुनते ही याद आने लगती हैं।
-कृष्ण कुमार गांव में बने युवा कल्ब का सदस्य था वह हमेशा हर सामाजिक
कार्यों में भाग लेकर सेवा करता था इसके साथ ही फौज में भरती होने की बाते भी करता
रहता था।-- राय सिंह गांव तरकांवाली
कारगिल युद्व में शहीद
जांबाज सिपाही कृष्ण कुमार की शहादत पर हमें नाज है। लेकिन इस बात का मलाल
रहता है कि कृष्ण की शहादत के दिन 30 मई को गांव में स्मारक स्थल पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम में
सरकार व प्रशासन कि तरफ से कोई श्रद्धांजलि देने नहीं पहुंचता। सरकार घोषणाएं तो
करती है लेकिन अक्सर अमल करना भूल जाती है या फिर आधी अधूरी ही पूरी हो पाती है।
सामान्य लोगों के लिए की गई घोषणाओं कि तो अनदेखी की जा सकती है। लेकिन यदि मामला
देश पर प्राण न्यौछावर करने वाले जांबाज सिपाही का हो तो लोगों के मन में पीड़ा
होना स्वाभाविक है। --- संदीप बांदर तरकांवाली
शहीद कृष्ण कुमार की शहादत पर गांव तरकावाली के लोगों को ही
नहीं परंतु पूरे पैंतालिसा क्षेत्र के लोगों को नाज है। कारगिल युद्ध के शहीदों को
पूरा देश कभी नहीं भूल सकता। क्षेत्र के युवा कृष्ण कुमार की देश भक्ति से प्ररेणा
लेकर फौज में भर्ती होकर देश सेवा कर रहे हैं। सरकार को सभी घोषणाएं पूरी करनी
चाहिए जो शहादत के समय की गई थी। --- युवा पवन गहलोत गांव नाथूसरी कलां
शहीद की वीरांगना संतोष का कहना है कि उसे इस बात का मलाल रहता है कि शहादत के दिन को
सरकार व प्रशासन हर बार भूल जाता है । लेकिन वह कभी नहीं भूलती। उसका कहना है कि
अपने पति की शहादत पर गर्व है। उसका कहना
है कि गांव में बने स्मारक पर शहीद की प्रतिमा को परीजनों ने अपने खर्चे पर
स्थापित किया है तथा स्मारक की चारदीवारी ग्राम पंचायत द्वारा निकलवाई गई है। शहीद
के आश्रितों को आर्थिक सहायता दी जा चूकी है, शहीद के भाई को सरकारी नौकरी के अलावा परिजनों को गैस
एंजैसी भी दे रखी है। गांव के स्कूल का नामकरण तो शहीद के नाम से हो गया है परंतु
स्कूल का दर्जा नहीं बढाया गया है। गांव के पास गुजरने वाली सड़क का नामकरण शहीद
के नाम होना बाकी है।
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