नरमें की फसल में गुलाबी सुंडी का प्रकोप शुरू, 40 हजार हेक्टेयर फसल पर खतरा मंडराया, जाने सुंडी की रोकथाम के उपाय

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नरमें की फसल में गुलाबी सुंडी का प्रकोप शुरू, 40 हजार हेक्टेयर फसल पर खतरा मंडराया, जाने सुंडी की रोकथाम के उपाय

 




चौपटा प्लस —राजस्थान की सीमा से सटे सिरसा जिले के चौपटा क्षेत्र में नरमें की फसल में गुलाबी सुंडी का प्रकोप शुरू हो गया है। अचानक से गुलाबी सुंडी के हमले से किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें खिंच गई है. chopta plus news, sirsa news, agro news, agriculture, gulabi sundi, BT narma, kapas, 



क्षेत्र के डिंग मंडी, जोधंका, रूपावास, रायपुर, बकरियांवाली, गुडिया खेड़ा गिगोरानी, रामपूरा ढि़ल्लों, कुम्हारिया, कागदाना, खेड़ी, जसानिया, हंजीरा, नाथसरी, शाहपूरिया, चाहरवाला, शककरमन्दोरी, रूपावास, रामपूरा नवाबाद सहित कई गांवों में इस बार करीब 39000 हेक्टेयर में नरमे व 800 हेक्टेयर में कपास की फसल  की बिजाई की गई है। गुलाबी सुंडी के प्रकोप को रोकने के लिए किसानों को अभी से ही कपास की फसल में किटनाशक दवाई का प्रयोग करना पड़ेगा। जिससे पर्यावरण के साथ किसानों को आर्थिक भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उधर कृषि अधिकारीयों ने भी खेतों में जाकर निरिक्षण शुरू कर दिया है.


डिंग मंडी के किसान ज्ञान धारी पचार, विकाश, रामस्वरूप, भरत सिंह/ धर्मपाल, रामनिवास, रामसिंह, सुभाष, भागीरथ, हवासिंह, विनोद, सतबीर, सुधीर, बिशन सिंह, नथु राम, विकास ने बताया सुंडी के प्रकोप से फसल ख़राब होने लगी है. किसान  प्रमोद बिरड़ा, देवीलाल मंडा, सतपाल बिरड़ा, कृष्ण पूनिया, जगदीश ने बताया कि नरमें कपास की फसल में शुरूआती दौर में गुलाबी सुंडी का हमला शुरू हो गया है। अभी पकाने में काफी समय पीडीए है. इसे में फसल को बचाना काफी मुस्किल हो गया है. 


किसानों का कहना है कि कपास की फसल फिलहाल 60 से 70 दिन की हुई है लेकिन गुलाबी सुंडी gulabi sundi का प्रकोप कपास के टिंडे बनते समय देखा जाता है लेकिन इस बार भयानक प्रकोप ने शुरूआती दौर में ही किसानों की चिंता बढा दी हैं।


इस बार चौपटा  खंड में देशी कपास लगभग 700 हेक्टयर, बीटी कॉटन 39000 हेक्टयर, ग्वार लगभग 15000 हेक्टयर, मूंग 250 हेक्टयर ,मूंगफली 1200 हेक्टयर, अरंड 400 हेक्टयर, की बिजाई की गई है. कई खेतों में निरिक्षण भी किया है.  नरमे की फसल में कई स्थानों पर सुंडी का प्रभाव देखा गया है, सुंडी की पहचान व रोकथाम के लिए किसानो कई प्रकार की सावधानिया रखनी चाहिए.-- शैलेन्द्र सहारण, कृषि विकास अधिकारी, 

 

किसान यह बरतें सावधानियां

कीटनाशक का छिड़काव दोपहर 12 बजे से पहले या फिर शाम के समय ही करना चाहिए।  एक ही कीटनाशक का छिड़काव बार-बार नहीं करना चाहिए। कीटनाशक के छिड़काव के बाद 24 घण्टों के भीतर अगर वर्षा आ जाती है तोकीटनाशक का छिड़काव दोबारा करें। 



कीटनाशक का छिड़काव करते समय सावधानी रखें जैसे छिड़काव करते समय शरीरचेहरे और आँखों का ढकनाहवा के विपरीत छिड़काव नहीं करना इत्यादि । कपास की बीजाई के 90-120 दिन के बीच में अण्डा परजीवी ट्राईकोग्रामा बेक्टीरिया के 60000 अण्डे प्रति एकड़ के हिसाब से छोडें। • जिस खेत में गुलाबी सुंडी का प्रकोप न हुआ होउस कपास को अलग से चुगाई करें व अलग ही भण्डारित करें। परन्तु जिसमें गुलाबी सुंडी का प्रकोप हुआ हो उस कपास में विराजमान सुंडियों को खत्म करने के लिए अच्छी तरह से उपचारित करके मण्डारण करें।   कपास के अवशेष व आशिंक खुले टिण्डों को नष्ट कर देना चाहिए। कपास की लकड़ियों को छाया में खेत में ना इकट्ठा करें। कपास की लकड़ियों को जमीन पर पीटें ताकि इनमे छिपे गुलाबी सुंडी के लार्वा नीचे गिर जाए और छटियों को जमीन पर लम्बवत खड़ा करें।

 

 


सुंडी की रोकथाम .

कपास की फसल में गुलाबी सुंडी की निगरानी फूलों व टिंडो पर करें। फलिय भागों पर 10% से अधिक प्रकोप इसका आर्थिक कगार है। खेत के विभिन्न हिसों से 60 फूलों की जांच करने पर अगर इन में से रॉजेटेड फूल तथा सुंडी के द्वारा नुकसान किये गए 6 फूल मिलते हैं तो गुलाबी सुंडी की रोकथाम के लिए स्प्रे करें।

 


खेत में अलग अलग पौधों से 20 हरे टिंडे तोड़ कर उसमें घुसी गुलाबी सुंडी को गिनो अगर इनमें दो या दो से ज्यादा सुंडियां मिलती हैं तो गुलाबी सुंडी की रोकथाम के लिए स्प्रे करें। 3 एक एकड़ में दो फेरोमोन ट्रैप लगाएं और यदि लगातार तीन रातों में गुलाबी सुंडी के 15 प्रौढ़ (जनू से मध्य अगस्त) या 24 प्रौढ़ (मध्य अगस्त से अक्तूबर) प्रति ट्रैप मिलते हैं तो गुलाबी सुंडी की रोकथाम के लिए स्प्रे करें।

 



गुलाबी सुंडी नियंत्रण करने के लिए इन कीटनाशकों का कर सकते है प्रयोग

गुलाबी सुंडी के लिए पहला छिड़काव 800 मिलीलीटर प्रोफेनोफोस 50 ई.सी. या 900 से 1100 मिलीलीटर क्विनालफोस 20 ए.एफ. या 250 से 300 ग्राम थायोडिकार्ब 75 डब्ल्यू. पी. प्रति 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। 


दूसरा छिड़काव 80 से 100 मिलीलीटर साइपरमेथ्रिन 25 ई.सी. या 160 से 200 मिलीलीटर डेकामेथरीन 2.8 ई. सी. को 200 लीटर पानी में घोल बनाकर एक एकड़ में 10 से 12 दिनों के अंतराल पर आवश्यकतानुसार स्प्रे करें।



फोटो। क्षेत्र के गांव डिंग में नरमे की फसल में गुलाबी सुंडी की के प्रकोप की आशंका को लेकर निरीक्षण करते कृषि अधिकारी व किसान




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