चौपटा प्लस, अजब गजब, दो साल पहले कमलेश की कोरोना से मौत होने की बात सामने आई थी। परिवार ने उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया था। लेकिन शनिवार सुबह अचानक से वह घर लौट आया, उसके जिंदा होने की खबर गांव में आग की तरह फैल गई। बेटे को जिंदा देख उसके बूढ़े पिता की आंख में आंसू आ गए। दो साल से विधवा का जीवन जी रही पत्नी के चेहरे की मुस्कान लौट आई। पूरा परिवार अपने गांव कड़ोदकला से बड़वेली पहुंचा। यहां कमलेश ने अपनी पत्नी की मांग भरी और एक बार फिर उसे सुहागन बना दिया।
कमलेश पाटीदार शनिवार सुबह 6 बजे अचानक अपने मामा के घर बड़वेली गांव पहुंचा। कमलेश के वापस लौटने की खबर लगते ही गांववाले उसे देखने घर पहुंचे।
सुबह 6 बजे अचानक अपने मामा के घर बड़वेली गांव पहुंचा।
साल 2021 में बदनावर तहसील के ग्राम कड़ोदकला का रहने वाला कमलेश पिता गेंदालाल पाटीदार कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमित हाे गया था। परिवार वाले उसे सबसे पहले बदनावर के सरदार हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। हालत गंभीर हुई तो इंदौर में इलाज करवाया। बेटा ठीक हुआ तो परिवार उसे लेकर गांव लौट आया। कुछ दिनों बाद कमलेश के शरीर में ब्लड जमने के साथ ही अचानक से मोटापा चढ़ने लगा। डॉक्टरों को दिखाया तो उन्होंने गुजरात के बड़ौदा में दिखाने का कहा। इसके बाद परिवार ने उसे बड़ौदा के निजी अस्पताल में भर्ती करवाया। यहां इलाज के दौरान डॉक्टरों ने कमलेश को मृत घोषित कर दिया।
अस्पताल की सूचना पर परिवार वाले वहां पहुंचे, लेकिन कोरोना पॉजिटिव बॉडी होने से उन्हें दूर ही रखा गया। बॉडी पॉलीथिन में लिपटी थी, इसलिए परिवार वाले सही तरीके से परख नहीं पाए और डॉक्टरों की पुष्टि को ही सही मानते हुए बड़ौदा में ही कोविड टीम से अंतिम संस्कार करवाने के बाद वापस गांव लौट आए।
जवान बेटे को खो चुके परिवार ने बड़ौदा से लौटने के बाद घर पर सारे रीति-रिवाज पूरे किए। पूरा गांव तेरहवीं के कार्यक्रम में शामिल हुआ। कमलेश की पत्नी रेखा बाई ने भी खुद को विधवा मान लिया।
दो साल बाद अचानक लौट आया कमलेश
दो साल बाद शनिवार सुबह अचानक से कमलेश अपने मामा के घर पहुंच गया। कमलेश को अचानक से सामने देख सभी चौंक गए। एक पल के लिए तो वे यह मान ही नहीं पा रहे थे कि उनका कमलेश जिंदा है। सुबह जैसे ही उसके जीवित होने की सूचना पिता गेंदालाल के ससुराल बड़वेली (सरदारपुर) से मिली तो पिता की आंखों से आंसू छलक आए। उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि कमलेश जिंदा है। उन्होंने तत्काल वीडियो कॉल पर कमलेश को दिखाने को कहा। पिता-पुत्र ने एक-दूसरे को देखा तो दोनों भावुक हो गए। परिवार में हर सदस्य की आंख से खुशी के आंसू छलक आए।
इसके बाद परिवार के सभी लोग बेटे को लेने बड़वेली गांव पहुंचे। कमलेश जीवित है, यह बताने के लिए परिवार के कुछ लोग सरदारपुर थाने पहुंचे। जहां बताया गया कि युवक कड़ोदकला का रहने वाला है। यह कानवन थाने में आता है, इसलिए सरदारपुर पुलिस ने उसे संबंधित थाने पर लेकर जाने की सलाह दी।
साल 2021 में बदनावर तहसील के ग्राम कड़ोदकला का रहने वाला कमलेश पिता गेंदालाल पाटीदार कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमित हाे गया था। परिवार वाले उसे सबसे पहले बदनावर के सरदार हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। हालत गंभीर हुई तो इंदौर में इलाज करवाया। बेटा ठीक हुआ तो परिवार उसे लेकर गांव लौट आया। कुछ दिनों बाद कमलेश के शरीर में ब्लड जमने के साथ ही अचानक से मोटापा चढ़ने लगा। डॉक्टरों को दिखाया तो उन्होंने गुजरात के बड़ौदा में दिखाने का कहा। इसके बाद परिवार ने उसे बड़ौदा के निजी अस्पताल में भर्ती करवाया। यहां इलाज के दौरान डॉक्टरों ने कमलेश को मृत घोषित कर दिया।
कमलेश के आने की सूचना मिलते ही पिता अपने गांव से परिवार के साथ ससुराल पहुंचे और बेटे को दुलारा।
इसके बाद परिवार के सभी लोग बेटे को लेने बड़वेली गांव पहुंचे। कमलेश जीवित है, यह बताने के लिए परिवार के कुछ लोग सरदारपुर थाने पहुंचे। जहां बताया गया कि युवक कड़ोदकला का रहने वाला है। यह कानवन थाने में आता है, इसलिए सरदारपुर पुलिस ने उसे संबंधित थाने पर लेकर जाने की सलाह दी।
कमलेश के पिता गेंदालाल के आंखों में खुशी के आंसू थे। परिवार के लोगों ने उन्हें सहारा दिया।
मुझे इंजेक्शन दिया जा रहा था
कमलेश के आने की जानकारी मीडिया को मिली तो सभी गांव पहुंच गए, लेकिन परिवार ने मीडिया से दूरी बनाए रखी। दैनिक भास्कर ने ग्रामीणों ने बात करनी चाही, लेकिन परिवार की मर्जी नहीं होने के कारण कोई भी कैमरे के सामने तो नहीं आया, लेकिन ऑफ द रिकॉर्ड वे बोले- कमलेश ने परिवार को यह तो नहीं बताया कि बड़ौदा में उसके साथ क्या हुआ।
कोरोना से ठीक होने के बाद उसे कहीं पर ले जाया गया था, उस जगह का नाम तो उसे नहीं पता, लेकिन कोरोना खत्म होने के बाद भी उसे कोई इंजेक्शन दिया जाता था, जिसके बाद उससे पूरे दिन काम करवाया जाता था। हालांकि वह क्या काम करता था, ये भी उसे याद नहीं है। उसे इतना याद है कि उसे दो टाइम खाना और चाय दी जाती थी।
उसने बताया कि बड़ौदा से वह अहमदाबाद आ गया था। यहां पर किसी गिरोह के चंगुल में फंस गया। उसे अहमदाबाद में 5 से 6 लोगों ने बंधक बनाकर रखा था। एक दिन छोड़कर वे उसे नशीला इंजेक्शन दिया करते थे। वह ज्यादातर समय बेसुध ही रहा करता था। गुरुवार को वे उसे चार पहिया वाहन से अहमदाबाद से कहीं लेकर जा रहे थे, गिरोह के सदस्य होटल पर नाश्ता करने के लिए रुके। यहीं पर उसे उनके चंगुल से निकलने का मौका मिला।
अहमदाबाद से इंदौर आ रही यात्री बस होटल से रवाना हो ही रही थी, यह देखकर वह गाड़ी से उतरा और बस में सवार हो गया। शुक्रवार को देर रात वह सरदारपुर पहुंचा। यहां उसने कुछ लोगों से अपने मामा के घर बड़वेली जाने का रास्ता पूछा। लोगों की मदद से वह अलसुबह मामा के घर पहुंचा।
दो साल बाद जिंदा लौटा सुहाग...:विधवा की तरह जी रही पत्नी की मांग में भरा सिंदूर; कोरोना से मौत मान परिवार ने कर दिया था अंतिम संस्कार
दरअसल दो साल पहले कमलेश की कोरोना से मौत होने की बात सामने आई थी। परिवार ने उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया था। लेकिन शनिवार सुबह अचानक से वह घर लौट आया, उसके जिंदा होने की खबर गांव में आग की तरह फैल गई। बेटे को जिंदा देख उसके बूढ़े पिता की आंख में आंसू आ गए। दो साल से विधवा का जीवन जी रही पत्नी के चेहरे की मुस्कान लौट आई। पूरा परिवार अपने गांव कड़ोदकला से बड़वेली पहुंचा। यहां कमलेश ने अपनी पत्नी की मांग भरी और एक बार फिर उसे सुहागन बना दिया।
कमलेश पाटीदार शनिवार सुबह 6 बजे अचानक अपने मामा के घर बड़वेली गांव पहुंचा। कमलेश के वापस लौटने की खबर लगते ही गांववाले उसे देखने घर पहुंचे।
पहले जान लेते हैं पूरा घटनाक्रम
साल 2021 में मध्यप्रदेश की बदनावर तहसील के ग्राम कड़ोदकला का रहने वाला कमलेश पिता गेंदालाल पाटीदार कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमित हाे गया था। परिवार वाले उसे सबसे पहले बदनावर के सरदार हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। हालत गंभीर हुई तो इंदौर में इलाज करवाया। बेटा ठीक हुआ तो परिवार उसे लेकर गांव लौट आया। कुछ दिनों बाद कमलेश के शरीर में ब्लड जमने के साथ ही अचानक से मोटापा चढ़ने लगा। डॉक्टरों को दिखाया तो उन्होंने गुजरात के बड़ौदा में दिखाने का कहा। इसके बाद परिवार ने उसे बड़ौदा के निजी अस्पताल में भर्ती करवाया। यहां इलाज के दौरान डॉक्टरों ने कमलेश को मृत घोषित कर दिया।
अस्पताल की सूचना पर परिवार वाले वहां पहुंचे, लेकिन कोरोना पॉजिटिव बॉडी होने से उन्हें दूर ही रखा गया। बॉडी पॉलीथिन में लिपटी थी, इसलिए परिवार वाले सही तरीके से परख नहीं पाए और डॉक्टरों की पुष्टि को ही सही मानते हुए बड़ौदा में ही कोविड टीम से अंतिम संस्कार करवाने के बाद वापस गांव लौट आए।
जवान बेटे को खो चुके परिवार ने बड़ौदा से लौटने के बाद घर पर सारे रीति-रिवाज पूरे किए। पूरा गांव तेरहवीं के कार्यक्रम में शामिल हुआ। कमलेश की पत्नी रेखा बाई ने भी खुद को विधवा मान लिया।
कमलेश के आने की सूचना मिलते ही पिता अपने गांव से परिवार के साथ ससुराल पहुंचे और बेटे को दुलारा।
दो साल बाद अचानक लौट आया कमलेश
दो साल बाद शनिवार सुबह अचानक से कमलेश अपने मामा के घर पहुंच गया। कमलेश को अचानक से सामने देख सभी चौंक गए। एक पल के लिए तो वे यह मान ही नहीं पा रहे थे कि उनका कमलेश जिंदा है। सुबह जैसे ही उसके जीवित होने की सूचना पिता गेंदालाल के ससुराल बड़वेली (सरदारपुर) से मिली तो पिता की आंखों से आंसू छलक आए। उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि कमलेश जिंदा है। उन्होंने तत्काल वीडियो कॉल पर कमलेश को दिखाने को कहा। पिता-पुत्र ने एक-दूसरे को देखा तो दोनों भावुक हो गए। परिवार में हर सदस्य की आंख से खुशी के आंसू छलक आए।
इसके बाद परिवार के सभी लोग बेटे को लेने बड़वेली गांव पहुंचे। कमलेश जीवित है, यह बताने के लिए परिवार के कुछ लोग सरदारपुर थाने पहुंचे। जहां बताया गया कि युवक कड़ोदकला का रहने वाला है। यह कानवन थाने में आता है, इसलिए सरदारपुर पुलिस ने उसे संबंधित थाने पर लेकर जाने की सलाह दी।
कमलेश के पिता गेंदालाल के आंखों में खुशी के आंसू थे। परिवार के लोगों ने उन्हें सहारा दिया।
कमलेश के आने की जानकारी मीडिया को मिली तो सभी गांव पहुंच गए, लेकिन परिवार ने मीडिया से दूरी बनाए रखी। दैनिक भास्कर ने ग्रामीणों ने बात करनी चाही, लेकिन परिवार की मर्जी नहीं होने के कारण कोई भी कैमरे के सामने तो नहीं आया, लेकिन ऑफ द रिकॉर्ड वे बोले- कमलेश ने परिवार को यह तो नहीं बताया कि बड़ौदा में उसके साथ क्या हुआ।
कोरोना से ठीक होने के बाद उसे कहीं पर ले जाया गया था, उस जगह का नाम तो उसे नहीं पता, लेकिन कोरोना खत्म होने के बाद भी उसे कोई इंजेक्शन दिया जाता था, जिसके बाद उससे पूरे दिन काम करवाया जाता था। हालांकि वह क्या काम करता था, ये भी उसे याद नहीं है। उसे इतना याद है कि उसे दो टाइम खाना और चाय दी जाती थी।
उसने बताया कि बड़ौदा से वह अहमदाबाद आ गया था। यहां पर किसी गिरोह के चंगुल में फंस गया। उसे अहमदाबाद में 5 से 6 लोगों ने बंधक बनाकर रखा था। एक दिन छोड़कर वे उसे नशीला इंजेक्शन दिया करते थे। वह ज्यादातर समय बेसुध ही रहा करता था। गुरुवार को वे उसे चार पहिया वाहन से अहमदाबाद से कहीं लेकर जा रहे थे, गिरोह के सदस्य होटल पर नाश्ता करने के लिए रुके। यहीं पर उसे उनके चंगुल से निकलने का मौका मिला।
अहमदाबाद से इंदौर आ रही यात्री बस होटल से रवाना हो ही रही थी, यह देखकर वह गाड़ी से उतरा और बस में सवार हो गया। शुक्रवार को देर रात वह सरदारपुर पहुंचा। यहां उसने कुछ लोगों से अपने मामा के घर बड़वेली जाने का रास्ता पूछा। लोगों की मदद से वह अलसुबह मामा के घर पहुंचा।
कमलेश ने पत्नी रेखा बाई की फिर से मांग भरी। दो साल से वह विधवा की तरह जीवन जी रही थी।
कमलेश के मामा के बेटे मुकेश पाटीदार ने बताया कि सुबह 6.15 बजे के आसपास अचानक दरवाजा किसी ने खटखटाया था, बाहर आकर देखा तो कमलेश पाटीदार गेट पर खड़े हुए थे। हम उन्हें तत्काल भीतर लेकर आए। हमने उसके बड़े भाई शरद पाटीदार को फोन पर सूचना दी। उन्हें यकीन ही नहीं हाे रहा था। इस पर हमने वीडियो कॉल करके दिखाया। इसके बाद परिवार में खुशी की लहर छा गई।
कमलेश की पत्नी पिछले दो साल से विधवा की तरह जीवन जी रही थी, लेकिन पति के लौटने व परिवार की सहमति पर शनिवार दोपहर के समय कमलेश ने फिर से परिवार और समाज के लोगों की मौजूदगी में पत्नी की मांग में सिंदूर भरा। इधर, पति के लौट आने की खुशी में रेखा बाई का रो-रोकर बुरा हाल है। उसे यकीन ही नहीं हो रहा है कि पति वापस आ गए हैं। खुशी के मारे वह कुछ बोल ही नहीं पा रही है। भाई मुकेश ने बताया कि अभी कमलेश बहुत डरा हुआ है। वह हमें ही कुछ ज्यादा नहीं बता पा रहा है। वह अभी कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है। वह कुछ बोलेगा तो हम आपको जरूर बताएंगे।
सरदारपुर एसडीओपी रामसिंह मेडा के अनुसार गांव से मामला संज्ञान में आया है। युवक बदनावर तहसील का निवासी होने के चलते परिजन उसे लेने के लिए ग्राम बड़वेली आए हैं, यदि परिजन कोई शिकायत करते हैं, तो जांच की जाकर वास्तुस्थिति का पता लगाया जाएगा।
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