विकास पथ पर भारतीय निबंध

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विकास पथ पर भारतीय निबंध

 

एक समय था जब भारत देश को  बाहर से अन्न का आयात करना पड़ता था, आज हरित क्रान्ति के माध्यम से  हम अनाज निर्यात करने की स्थिति में आ गये हैं। वस्त्रों का भी  निर्यात भी हो रहा है। भवननिर्माण की सामग्री देश में उपलब्ध है।

 

चिकित्सा के क्षेत्र और  स्वास्थ्य में भी देश ने उल्लेखनीय प्रगति की है। स्वास्थ्य केन्द्र की  चिकित्सालयों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। अनेक जटिल तथा असाध्य रोगों की चिकित्सा अब देश में उपलब्ध है।

 

अफ्रीका और अरब देशों के नागरिक  यूरोप के स्थान पर भारत आकर चिकित्सा कराना उचित समझते हैं।

 

शिक्षा के क्षेत्र में

अशिक्षा के कलंक को मिटाने का भी देश में प्रयास जारी है। प्राथमिक शिक्षा अनिवार्य कर दी गई है। प्रौढ़शिक्षा जैसे आन्दोलन भी चलते रहे हैं। शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाने का कानून पारित हो चुका है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमारा भारत विकसित देशों की श्रेणी में आ गया है। साइकिल से लेकर अन्तरिक्ष यान तक देश में बन रहे हैं। परमाणु विज्ञान, धातु विज्ञान, अन्तरिक्ष अनुसन्धान, सूचना प्रौद्योगिकी, संचार आदि पर निरन्तर अनुसन्धान हो रहे हैं।

 

हमारी अनेक कम्पनियाँ विदेशों में नामी कम्पनियों का अधिग्रहण कर रही हैं। टाटा स्टील का अधिग्रहण इस दिशा में उल्लेखनीय है। सॉफ्टवेयर व्यवसाय में तो भारत की धूम मची हुई है। निर्यात व्यापार में भी  वृद्धि हो रही है। विदेशी मुद्रा भण्डार निरन्तर बढ़ता जा रहा है।

 

सुरक्षा के क्षेत्र  में भी भारत अब किसी से पीछे नहीं है। परम्परागत तथा नवीनतम अस्त्रशस्त्रों का निर्माण देश में हो रहा है। टैंक, रडार, मिसाइल, लड़ाकू यान, ‘पृथ्वी’, ‘त्रिशूल’, ‘अग्निआदि प्रक्षेपास्त्रों का विकास देश को सुरक्षा के प्रति आश्वस्त बना रहा है। हम विश्व की परमाणु शक्ति बन चुके हैं. अग्नि 5 मिसाइल का सफल परीक्षण भारत की बढ़ती सुरक्षा व्यवस्था का प्रमाण है।

आर्थिक क्षेत्र में देश का शेयर बाजार आत्मविश्वास से परिपूर्ण है। गत वर्षों में आर्थिक प्रगति 8 से 10 प्रतिशत रही है। विदेशी पूँजी का निवेश निरन्तर बढ़ रहा है। ये सारे मानदण्ड देश के विकास को प्रमाणित करते हैं। जब अमेरिका और यूरोपीय देशों में मंदी तथा बेरोजगारी बढ़ रही है, भारत में विकास दर ठीक बनी रहने की उम्मीद है।

 

विकास में बाधक तत्व

विकास की उपर्युक्त छवि बड़ी मनमोहिनी है। किन्तु विकास का यह प्रकाश अभी देश के लाखों गाँवों तक पूरी तरह नहीं पहुँचा है। विकास के मार्ग में अनेक ऐसे बाधक तत्त्व हैं जो विकास की धारा को जनजन तक नहीं पहुँचने देते। भ्रष्टाचार, जनसंख्या की वृद्धि, राष्ट्रीय भावना का क्षरण, जीवनमूल्यों के प्रति अनादर, विदेशी षड्यन्त्र, बेरोजगारी, जातिवाद, साम्प्रदायिकता आदि कारक हैं, जो देश की प्रगति में बाधक बने हुए हैं।

 

उपसंहार

अन्त में यही कहा जा सकता है कि देश ने हर दिशा में विकास किया है। विश्व में भारत की विश्वसनीयता बढ़ी है, किन्तु अभी मंजिल दूर है। अर्थशास्त्रियों ने देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिये कुछ मूलमन्त्र सुझाए हैं किन्तु आज की कुटिल राजनीति, सत्तालोलुपता और जनता का दिग्भ्रमित रूप इसे साकार होने देंगे, इसमें सन्देह है।

 

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