सरकार ने अप्रैल से शुरू होने वाले विपणन वर्ष 2023-24 के लिए 341.5 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य तय किया है।
इससे पिछले साल यह आंकड़ा 187.9 लाख टन था।
सरकार ने अप्रैल से शुरू होने वाले विपणन
वर्ष 2023-24 के लिए 341.5 लाख
टन गेहूं खरीद का लक्ष्य तय किया है। इससे पिछले साल यह आंकड़ा 187.9 लाख टन था।
खरीद व्यवस्था पर चर्चा के लिए राज्यों के
खाद्य सचिवों की बैठक में यह
लक्ष्य तय किया गया। बैठक की अध्यक्षता खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने की। इस बैठक का आयोजन यहां राज्यों के खाद्य मंत्रियों के सम्मेलन के मौके पर किया गया।
खाद्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि विपणन वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) के लिए कुल गेहूं खरीद लक्ष्य में पंजाब 25 लाख
टन, हरियाणा 15 लाख
टन और मध्य प्रदेश 20 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखेगा।
घरेलू उत्पादन में गिरावट और अधिक निर्यात के
कारण पिछले साल गेहूं की खरीद में कमी आई थी।
कृषि मंत्रालय के दूसरे अनुमान के अनुसार फसल
वर्ष 2023-24 (जुलाई-जून) में गेहूं उत्पादन रिकॉर्ड 11.22
करोड़ टन रहने का अनुमान है।
सरकार ने गेहूं के अलावा, विपणन वर्ष 2022-23 में रबी
(सर्दियों) चावल खरीद का लक्ष्य 106 लाख टन
निर्धारित किया है।
मोटे अनाज की खरीद इस साल 7.5 लाख टन रहने का अनुमान है।
सम्मेलन में खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने सभी
राज्य सरकारों से जल्द से जल्द 'स्मार्ट-पीडीएस' को लागू करने का आग्रह किया।
सिरसा 03.03.2023 । भारत की बढ़ती हुई जनसंख्या की खाद्यान्न संबंधित आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जन कल्याण योजनाओं के साथ-साथ बायोटेक्नोलॉजी का भी अहम योगदान है। बायोटेक एक ऐसा विषय है जो सरकार की विभिन्न योजनाओं को क्रियान्वित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। पर्यावरण परिवर्तन की वजह से कई बार खाद्यान्नों का उत्पादन उम्मीद के अनुरूप नहीं हो पाता ऐसी स्थिति में खाद्यान्न प्रबंधन करके बेहतरीन परिणाम हासिल किए जा सकते है। ये विचार चौ0 देवी लाल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 अजमेर सिंह मलिक ने विश्वविद्यालय के सभागार में बायोटेक्नोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए व्यक्त किए। बायोटेक्नोलॉजी एंड ह्यूमन वेलफेयर विजन 2030 एंड बियोंड विषय पर आयोजित इस कांफ्रेंस के प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए प्रो0 मलिक ने कहा कि भारतीय युवाओं में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है और वे सूचना प्रौद्योगिकी के साथ-साथ बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में विश्व भर मे अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं । उन्होंने कहा कि भारत जी-20 राष्ट्रों की अध्यक्षता कर रहा है और शैक्षणिक संस्थान राष्ट्र की पहचान को अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर अंकित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं । उन्होंने कहा कि ये कॉन्फ्रेंस खाद्यान्न, प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ब्ल्यू प्रिन्ट प्रदान करेगी।
इससे पूर्व सरदार वल्लभ भाई पटेल यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एण्ड टेक्नोलोजी, मेरठ के पूर्व कुलपति प्रो0 गया प्रसाद ने बतौर मुख्य वक्ता बोलते हुए बायोटेक्नोलॉजी फार फूड एण्ड हेल्थ सिक्योरिटी चैलेंजेज विषय पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि खाद्यान्न तथा स्वास्थ्य एक दूसरे के पूरक है अच्छा खानपान अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। प्रो0 गया ने कहा कि भारतीय कृषि जलवायु पर आधारित है और वैज्ञानिकों के लिए जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करना और गुणवत्तापरक खाद्यान्न उत्पादन की विभिन्न तकनीक विकसित करना एक चुनौती है।
भारतीय वैज्ञानिक इस दिशा में अनेक शोध कर रहे है और अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है। उन्होंने कहा कि औद्योगिकीकरण व आधुनिकीकरण की वजह से जलवायु परिवर्तन हुआ है और इसके प्रभाव किसी न किसी रूप में खाद्य उत्पादन पर भी पड़ती है। उन्होंने कहा कि आहार संबंधी आदतों में बदलाव लाकर प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा की जा सकती है। उन्होंने एक शोध पत्रिका का हवाला देते हुए कहा कि भारत विविधताओं का राष्ट्र है और ऑर्गेनिक खेती का फार्मूला पूरे भारत पर लागू नहीं हो सकता। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. राजेश कुमार बंसल व अनेक विभागों के प्राध्यापक भी उपस्थित थे। इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी की कनवीनर प्रो0 प्रियंका सिवाच ने मुख्य अतिथि तथा मुख्य वक्ता का स्वागत किया और कांफ्रेंस के उद्देश्यों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी शैक्षणिक मामलों के अधिष्ठाता प्रो0 सुरेश गहलावत ने दी। मेहमानों का धन्यवाद प्रो0 राजकुमार सलार तथा प्रो0 जोगिन्दर दूहन ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। मंच का सफलतापूर्वक संचालन विभाग की शोधार्थी शिवानी चहल तथा पूनम ढांडा द्वारा संयुक्त रूप से किया।
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