Rajasthan Hanumangarh, राजस्थान के राज्य पशु ऊंट camel के पालन को बढ़ावा देने के लिए ऊंट पालकों को 10-10 हजार रुपए की वित्तीय सहायता दी जाएगी। प्रोत्साहन राशि ऊंट के जन्म पर दो किश्तों में दी जाएगी। इस योजना के लागू होने के साथ ही पशुपालन विभाग ने ऊंट पालकों को लाभान्वित करने के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे हैं।
ऊंटों camel
की घटती संख्या को रोकने के लिए उठाया कदम
संयुक्त निदेशक
डॉ. ओपी किलानियां ने बताया कि बजट घोषणा वर्ष 2022-23 के तहत ऊंटों की घटती संख्या को रोकने के लिए ऊंटों के
प्रजनन को प्रोत्साहित करने के लिए यह योजना लागू की गई है। इसमें ऊंटपालकों को
ऊंटो के प्रजनन पर प्रोत्साहन राशि दिए जाने का प्रावधान है। इसमें प्रभारी पशु
अस्पताल की ओर से चयनित ऊंटनी एवं उससे जन्मी नर/मादा संतति (टोडिया) आयु 0-2 माह को चयनित कर उनको टैग लगाकर पहचान प्रमाण
पत्र जारी करेगें एवं पोर्टल पर अपलोड करेगें।
पंजीकृत ऊंटपालकों को नियमानुसार प्रोत्साहन राषि भुगतान की कार्यवाही वरीयता क्रम अनुसार प्रथम किस्त के रूप में ऊंटपालक के बैंक खाते में 5 हजार रुपए हस्तांतरित की जाएगी। चयनित नर/मादा (टोडिया) की एक वर्ष की आयु होने के बाद दुबारा पहचान प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा जिसके आधार पर 5 हजार रुपए की दूसरी किश्त पंजीकृत ऊंटपालक के बैंक खाते में स्थानांतरित की जाएगी। पंजीकृत चयनित टोडिये की मृत्यु होने की स्थिति में दूसरी किस्त का भुगतान देय नहीं होगा। उन्होंने बताया कि चयनित ऊंटनी की द्वितीय संतान को भी न्यूनतम 15 माह के अंतराल के बाद ही योजना का लाभ दिया जा सकेगा।
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ऊंट उत्कृष्ट योजना के लिए क्लिक करें और आवेदन करें
1. पात्रता - ऊंटनी
जिसकी संतति नर/मादा (टोडिया) की आयु 0-2 माह है, को पालने वाले
ऊंटपालक का राजस्थान का मूल निवासी होना आवश्यक है। 2. योजना का लाभ - ऊंटनी एवं उससे जन्मे नर/मादा (टोडिया) की
आयु 0-2 माह को प्रोत्साहन राषि
का लाभ 1 नवंबर 2022 एवं उसके बाद मिलेगा। 3. योजना क्षेत्र - सम्पूर्ण राजस्थान 4. आवेदन - ऊंटपालकों द्वारा http/www.pashuaushad
h.com/iomms पर निर्धारित आवेदन फार्म
में स्वयं, बैक खाता, आश्रित ऊंटों, चयन योग्य ऊंटनी एवं उससे जन्मी नर/मादा संतति (टोडिया) आयु
0-2 माह के विवरण का आवेदन
करना होगा।
बता दें कि जिले
में 16 हजार ऊंट है जिनका बीमा
भी किया जा रहा है। बीमा योजना के तहत जिले में 5 लाख 44 हजार गोवंश,
3 लाख भैंस, 1 लाख 70 हजार भेड़,
1 लाख 80 हजार बकरियां, 16 हजार ऊंट एवं 600 घोड़ों का बीमा अनुदानित प्रीमियम दर पर किया
जा रहा है। इसमें रोग या दुर्घटना से बीमित पशु की मृत्यु होने पर 100 प्रतिशत बीमा लाभ दिया जाएगा। अनुदानित बीमा
के लिए एक-एक गाय, भैंस, ऊंट व घोड़े को एक यूनिट मानते हुए कीमत 50 हजार रुपए मानी जाएगी जबकि 10-10 भेड़ व बकरियों को एक यूनिट मानते हुए 50 हजार का बीमा किया जाएगा। इसमें एक वर्ष से
लेकर तीन वर्ष तक की अवधि के लिए बीमा करवाया जा सकता है जिसमें प्रीमियम दरें
वर्ष के हिसाब से अलग-अलग होंगी।
राजस्थान में
आयोजित होने वाले प्रमुख पशु मेले
राजस्थान में
वर्ष भर में विभिन स्थानों पर ढ़ाई सौ से भी अधिक पशु मेलों का आयोजन किया जाता है
जिनमे पुष्कर पशु मेला, महाशिवरात्रि पशु
मेला करौली, बलदेव पशु मेला एवं
मल्लीनाथ पशु मेला प्रमुख है। यहाँ आपको राजस्थान में आयोजित होने वाले सभी प्रमुख
पशु मेलो के बारे में जानकारी प्रदान की गयी है।
राजस्थान का सबसे
बड़ा पशु मेला
राजस्थान के
नागौर जिला मुख्यालय में लगने वाला श्री रामदेव पशु मेला राजस्थान में लगने वाले
सभी पशु मेलो में सबसे आकर्षक पशु मेला है। इस मेले का आयोजन माघ शुक्ल प्रतिपदा
से पूर्णिमा तक किया जाता है जहाँ नागौरी नस्ल के बैल की खरीद फरोख्त के लिए सभी
कृषक उत्सुक रहते है। यह मेला सामान्यता जनवरी या फरवरी के महीने में आयोजित किया
जाता है।
मल्लीनाथ पशु मेला
2023 (Mallinath Pashu Mela)
चैत्र कृष्ण
एकादशी से चैत्र शुक्ल एकादशी तक आयोजित किए जाने वाला मल्लीनाथ पशु मेला, राजस्थान के वीर योध्दा रावल मल्लीनाथ जी की
स्मृति में आयोजित किया जाता है जो की सामान्यता मार्च के महीने में लगता है। इस
मेले का मुख्य आकर्षण मालानी नस्ल के घोड़े, ऊंट एवं कांकरेज नस्ल के बैल है।
श्री शिवरात्रि
पशु मेला करौली (Pashu Mela Karauli Rajasthan)
राजस्थान के
सिद्ध क्षेत्र करौली में शुक्ल पूर्णिमा से फाल्गुन कृष्ण सप्तमी तक आयोजित किए
जाने वाले श्री शिवरात्रि पशु मेले में दूर-दूर से कृषक भाग लेते है। मुख्यत
हरियाणा नस्ल के बैलों के लिए प्रसिद्ध श्री शिवरात्रि पशु मेला करौली के आयोजन के
अवसर पर लोक संगीत, हैलाख्याल दंगल,
कवि सम्मेलन, लांगुरिया नृत्य एवं नौटंकी जैसे मनोरंजक कार्यक्रमों का
आयोजन भी किया जाता है।
पुष्कर पशु मेला
( Pushkar Pashu Mela 2023)
ब्रह्मा जी की
नगरी पुष्कर में प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से मार्गशीर्ष कृष्ण द्वितीय तक
आयोजित होने वाला पुष्कर पशु मेला सदियों से इस क्षेत्र की पहचान रही है। भारत ही
नहीं अपितु पूरी दुनिया के सैलानी इस प्रसिद्ध मेले का भागीदार बनने के लिए यहाँ
आते है। इस मेले के अवसर पर विभिन कृषक अपनी आवश्यकता के अनुसार कृषि कार्यो,
दुग्ध आपूर्ति एवं अन्य कार्यो के लिए पशुओं का
क्रय-विक्रय करते है। साथ ही इस अवसर पर विभिन सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए
जाते है। इस अवसर पर पुष्कर झील में स्नान करना पवित्र माना जाता है।
बलदेव पशु मेला (Baldev
Sashu Mela)
महान कृषक नेता
बलदेव राम मिर्धा की स्मृति में आयोजित किया जाने वाला बलदेव पशु मेला चैत्र शुक्ल
प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल पूर्णिमा तक मनाया जाता है जो की नागौर जिले में पशु
विक्रय के लिए प्रसिद्ध है।
वीर तेजाजी पशु
मेला, परबतसर (नागौर) (Veer
Tejaji Cattle Fair)
नागौर के परबतसर
में आयोजित होने वाला वीर तेजाजी पशु मेला लोक देवता वीर तेजाजी की स्मृति में
प्रतिवर्ष श्रावण शुक्ल पूर्णिमा से भाद्रपद अमावस्या तक आयोजित किया जाता है। वीर
तेजाजी को गौरक्षक एवं कृषि कार्यो के लोक देवता के रूप में पूजा जाता है।
श्री गोमती सागर
पशु मेला, झालरापाटन (झालावाड़) (Gomtisagar
Pashu Mela Jhalawar)
वैशाख शुक्ल
त्रयोदशी से ज्येष्ठ कृष्ण पंचमी तक आयोजित किया जाने वाला श्री गोमती सागर पशु
मेला राजस्थान के झालरापाटन (झालावाड़) जिले में मनाया जाता है। मालवी नस्ल के
बैलों के लिए प्रसिद्ध श्री गोमती सागर पशु मेला के अवसर पर पवित्र गोमती सागर तट
पर स्नान करना पुण्यदायक माना जाता है।
श्री जसवंत
प्रदर्शनी एवं पशु मेला, भरतपुर (Jaswant
Pradarshni and Cattle Fair Bharatpur)
राजस्थान के
भरतपुर जिले में प्रतिवर्ष आश्विन शुक्ल पंचमी से आश्विन शुक्ल चतुर्दशी तक आयोजित
किया जाने वाला श्री जसवंत प्रदर्शनी एवं पशु मेला इस क्षेत्र का प्रमुख आकर्षण
है। इस मेले के अवसर पर नौटंकी, कव्वाली, कवि सम्मेलन एवं विशाल कुश्ती दंगल जैसे
सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
श्री गोगामेड़ी
पशु मेला, गोगामेड़ी (हनुमानगढ़) (Gogamedi
Cattle Fair)
हनुमानगढ़ जिले की नोहर तहसील में गोगामेड़ी में प्रतिवर्ष श्रावण शुक्ल पूर्णिमा से भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा तक आयोजित होने वाला श्री गोगामेड़ी पशु मेला, लोक देवता गोगाजी की स्मृति में आयोजित किया जाता है जो की पशु व्यापार के लिए प्रसिद्ध है। लोक देवता गोगाजी को इस क्षेत्र में हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक माना जाता है। इस मेले में ऊँट बिक्री सर्वाधिक प्रसिद्ध है।
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