मेवात/चंडीगढ़, 24 फरवरी: दोपहरी का वक्त। गर्मी का आगाज और इसी गर्मी के मौसम में इंडियन नैशनल लोकदल की ‘परिवर्तन पदयात्रा’ की भी शुरूआत। स्थान- हरियाणा के मेवात का ऐतिहासिक गांव सिंगार। ठाठे मारती हजारों की भीड़। हरे रंग में रंगे नारे लगाते युवाओं की जोशीली आवाज। उम्मीद की किरण लेकर यात्रा में पहुंचे बुजुर्ग। परिवर्तन का नारा लेकर यात्रा में आई महिलाएं। इन सब दृश्यों ने ताऊ देवी लाल के जमाने की याद ताजा कर दी। जैसा जोश और उत्साह ताऊ की जनसभाओं और रैलियों में नजर आता था, वैसा ही उत्साह आज इनेलो सुप्रीमो चौधरी ओमप्रकाश चौटाला और इनेलो के प्रधान महासचिव एवं विधायक अभय सिंह चौटाला की उपस्थिति में मेवात के सिंगार गांव से शुरू की गई परिवर्तन पदयात्रा के दौरान देखने को मिला।
पदयात्रा के इस जोरदार आगाज के साथ इन चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है कि ‘इनेलो आ रही है और यह सरकार जा रही है।’
दरअसल, आज हरियाणा प्रदेश की जागरूक जनता ने आज बदलाव का मन बना लिया है। सियासी विश्लेषकों का मानना है कि हरियाणा की जनता ने साल 2005 से लेकर 2014 तक कांग्रेस का कुशासन देखा। भूमाफिया हावी था। सत्ता के नशे में चूर कांग्रेस नेताओं ने हरियाणा को कर्जदार बन दिया। घोटालों-घपलों ने हरियाणा को बेहाल कर दिया। कांग्रेस के शासन में भू-माफिया हावी था। 2014 से लेकर अब तक भाजपा सत्ता में है। आज जनता की आवाज को दबाया जा रहा है। नफरत के बीज बोए जा रहे हैं। मनमाने कानून थोपे जा रहे हैं। आज प्रदेश आपराधिक वारदातों से दहल रहा है। ऐसे में इनेलो ही एक उम्मीद की किरण है।
लोगों ने 1999 से लेकर 2005 तक इनेलो के खुशहाल शासन को याद कर रही है। खुद अभय सिंह चौटाला ने परिवर्तन पदयात्रा के दौरान कहा कि मुख्यमंत्री रहते हुए ‘चौधरी ओमप्रकाश चौटाला सप्ताह में दो दिन सरकार आपके द्वार कार्यक्रम करते थे और उसी दौरान आवाम की सभी समस्याओं का मौके पर निदान करते थे। अभय ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि उस समय जाकिर हुसैन कांग्रेस के विधायक थे और सरकार आपके द्वार कार्यक्रम करने को लेकर वे जाकिर हुसैन को फोन पर पहले ही सूचना देते थे। अभय सिंह ने कहा कि मेवात की तरक्की के लिए चौटाला साहब ने अनेक योजनाएं बनाई। मेवात में पीने के पानी की समस्या को दूर किया।
मेवात की तस्वीर बदल देंगे: अभय सिंह चौटाला
परिवर्तन पदयात्रा के दौरान कहा कि मेवात के पिछड़ेपन को दूर कर देंगे। अभय ने पुराना उदाहरण देते हुए कहा कि कभी मेवात के तीनों विधानसभा क्षेत्रों में इंडियन नैशनल लोकदल के विधायक थे। आपके समर्थन से हमने वही दौर वापस लाना है। अभय ने मेवात की जनता से वादा किया कि वे मेवात का विकास गुरुग्राम की तर्ज पर करेंगे। इलाके के युवाओं को नौकरियां देंगे। स्कूल-कालेज खोलेंगे और विकास कार्य करवाएंगे। उल्लेखनीय है कि आज मेवात पिछड़ेपन का शिकार है। विकास यहां पर रुका हुआ है। युवाओं के पास रोजगार नहीं है। शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाएं यहां के लोगों को नहीं मिलती हैं।
परिवर्तन पदयात्रा के दौरान कहा कि मेवात के पिछड़ेपन को दूर कर देंगे। अभय ने पुराना उदाहरण देते हुए कहा कि कभी मेवात के तीनों विधानसभा क्षेत्रों में इंडियन नैशनल लोकदल के विधायक थे। आपके समर्थन से हमने वही दौर वापस लाना है। अभय ने मेवात की जनता से वादा किया कि वे मेवात का विकास गुरुग्राम की तर्ज पर करेंगे। इलाके के युवाओं को नौकरियां देंगे। स्कूल-कालेज खोलेंगे और विकास कार्य करवाएंगे। उल्लेखनीय है कि आज मेवात पिछड़ेपन का शिकार है। विकास यहां पर रुका हुआ है। युवाओं के पास रोजगार नहीं है। शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाएं यहां के लोगों को नहीं मिलती हैं।
ताऊ ने चलाया था न्याय युद्ध
आज से 37 साल पहले ताऊ देवी लाल ने भी प्रदेशभर में न्याय युद्ध चलाया था। इस दौरान चौधरी देवी लाल पूरे प्रदेश के कोने-कोने में गए थे। इससे पहले 1985 में ताऊ ने राजीव-लोंगोवाल समझौते के विरोध में महम सीट से इस्तीफा दिया। उसी राह पर आज उनके पौते चौधरी अभय सिंह चौटाला चल रहे हैं। अभय सिंह चौटाला ने भी किसानी के मुद्दे पर 27 जनवरी 2021 को ऐलनाबाद सीट से त्याग-पत्र दिया और फिर अक्तूबर 2021 में ऐलनाबाद से उपचुनाव जीतकर विधायक चुने गए।
आज से 37 साल पहले ताऊ देवी लाल ने भी प्रदेशभर में न्याय युद्ध चलाया था। इस दौरान चौधरी देवी लाल पूरे प्रदेश के कोने-कोने में गए थे। इससे पहले 1985 में ताऊ ने राजीव-लोंगोवाल समझौते के विरोध में महम सीट से इस्तीफा दिया। उसी राह पर आज उनके पौते चौधरी अभय सिंह चौटाला चल रहे हैं। अभय सिंह चौटाला ने भी किसानी के मुद्दे पर 27 जनवरी 2021 को ऐलनाबाद सीट से त्याग-पत्र दिया और फिर अक्तूबर 2021 में ऐलनाबाद से उपचुनाव जीतकर विधायक चुने गए।
चौधरी देवी लाल ने न्याय युद्ध की कड़ी में 23 मार्च 1987 को जींद में एक ऐतिहासिक सम्मेलन किया। इस ऐतिहासिक रैली के बाद हरियाणा की सियासी फिजा बदल गई। 1987 के चुनाव में देवी लाल के नेतृत्व में 85 सीटों के साथ लोकदल की सरकार बनी थी और कांग्रेस 5 सीटों पर सिमट गई थी। ऐसी ही सियासी फिजा आज इनेलो के पक्ष में चल रही है। सियासी विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा-जजपा सरकार से जनता त्रस्त है और इनेलो ही आज एक मजबूत एवं ठोस विकल्प बचता है।
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