वक्त के साथ बदल रही त्योहारों की रंगत, शहरी क्षेत्र के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी परिवर्तन

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वक्त के साथ बदल रही त्योहारों की रंगत, शहरी क्षेत्र के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी परिवर्तन

 

 

 

आधुनिक युग के साथ-साथ त्योहारी रंगत में भी तेजी से बदलाव आता जा रहा है। आपसी भाईचारे व प्रेम के त्योहार होली को लेकर भी पिछले करीब एक दशक में काफी परिवर्तन आ गया है। जहां होली पर्व पर गोबर के उपले (ढाल-बिकड़ले) का स्थान अब बिस्कुट व चॉकलेट आदि की मालाओं ने ले लिया है।

 

 

होली पर शाम को महिलाएं और बच्चे पूजा के लिए पहुंचते हैं

वहीं खेतों में उगने वाली बेरी की झाड़ियों के बजाय होली भी अब अन्य पेड़ों की टहनियां काटकर बनाई जाती है। जहां गोबर के उपलों की मालाओं को होली पर ही डाल दिया जाता है, वहीं बिस्कुट व चॉकलेट की मालाओं को बच्चे अपने साथ लेकर आते हैं। पूजा के बाद बच्चे माला में लगे बिस्कुट व चॉकलेट को खा लेते हैं।

 

 

बेरी की झाड़ियों के बजाय अन्य पेड़ों की टहनियां काटकर की जाती है होलिका तैयार

ग्रामीण क्षेत्र में कुछ स्थानों पर होली एक तो कुछ गांवों में दो स्थानों पर बनाई जाती हैं, जहां पर पूरा गांव होली पूजा अर्चना करता है। शहरी क्षेत्र में जहां गोबर के उपलों के स्थान पर अब बिस्कुट और चॉकलेट की मालाएं बनाई जा रही हैं। यह बदलाव अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी देखा जा रहा है। एक दशक पूर्व जहां ग्रामीण क्षेत्र में हर बच्चे के हाथ में गोबर से बने ढाल-बिड़कलों की माला होती थी, अब वह बिस्कुट चॉकलेट आदि से बनी माला पहनकर होली पूजन के लिए जाते हैं।

 

 

ग्रामीण क्षेत्र एक सप्ताह पहले महिलाएं करती हैं तैयारी

ये मालाएं बाजारों में होली से करीब एक सप्ताह पूर्व दुकानों पर सजने लगी हैं और इनकी खरीदारी भी शुरू हो गई है। ग्रामीण क्षेत्र में महिलाएं होली की तैयारी शुरू कर देती हैं। महिलाएं गोबर से ढाल व बिड़कले तैयार करती हैं। इन्हें सुखाकर होली के दिन इनकी माला पिरोकर बच्चों के हाथ में देकर पूजा के लिए होली पर जाती हैं।

 

होली पर भाभी करतीं हैं देवर की पिटाई

वहीं दोपहर बाद तक पूजा अर्चना की जाती है और शाम के समय इन उपलों की माला से महिलाएं व पुरुष होली खेलते हैं। देवर भाभी के गले में ये मालाएं डालते हैं और भाभी अपने देवरों की इन मालाओं से पिटाई करती हैं। समय के साथ-साथ यह खेल भी कम होने लगा है।

 

 

20 से 50 रुपये तक में मिल रहीं मालाएं

शहर में चॉकलेट व बिस्कुट से बनीं मालाएं दुकानों पर हर तरफ सजी दिखाई दे रही हैं। बाजारों में अनेक प्रकार की मालाएं तैयार की गई हैं। ये मालाएं बाजारों में 20 से 50 रुपये तक की मिल रही हैं। दुकानदार मनोज कुमार का कहना है कि पिछले करीब एक दशक में होली पर्व को लेकर काफी बदलाव आया है। उन्होंने अनेक प्रकार की मालाएं तैयार की हैं। अगर कोई व्यक्ति इनमें और सामान लगवाता है तो उसकी कीमत बढ़ जाती है।

 

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