खुद को बदलो दुनिया को नही प्रेरक सीख देती की कहानी

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खुद को बदलो दुनिया को नही प्रेरक सीख देती की कहानी

 

 

अक्सर लोग कहते है यार ये दुनिया बहुत बुरी है यहाँ किसी का कुछ नही हो सकता है हम चाहकर भी कुछ नही कर सकते है ऐसी तमाम बाते है जो हमे कभी न कभी सुनने को जरुर मिलती है, लेकिन क्या किसी ने सोचा है की ऐसा लोग क्यों कहते है ऐसा तभी होता है जब कोई कार्य उनके मन मुताबिक नही होता है तभी ऐसा शब्द मुह से अनायास ही निकल पड़ता है लेकिन लोग क्या कभी ऐसा बोलने से पहले सोचते है की क्या वास्तव में यह दुनिया इतनी बुरी है क्या.

आप इस दुनिया को जिस नजरो से देखोगे ये दुनिया वैसी ही दिखेगी, अगर आप अच्छा देखते है और अच्छा सोचते है तो आपको ये उतनी ही अच्छी लगती है यानी वास्तव में यह दुनिया बुरी नही है ये हमारी सोच (Thinking) पर निर्भर करता है इसलिए जो लोग इस दुनिया को अच्छा बनाना चाहते है पहले खुद को बदलना होंगा यदि आप बदल गये तो निश्चित ही ये दुनिया भी बदल जाएगी बस जरूरत है एक कोशिश और पहल की.

 

तो आईये इसी सोच अपर आधारित पर एक कहानी  –Khud Ko Badlo Duniya Badal Jayegi In Hindi Kahani Moral Story खुद को बदलो दुनिया को नही नैतिक शिक्षा की कहानी Change Yourself Moral Story बता रहे है कहानी अच्छी लगे तो लोगो को शेयर करना न भूले.

बहुत समय पहले की बात है एक राजा राज्य करता था उसके राज्य में सभी सुखी थे सभी प्रजा अपना सुखपूर्वक जीवन व्यतीत कर रहे थे जिसकी चर्चा राज्य की मंत्री राजा से अक्सर किया करते थे जिसे सुनकर राजा खद को गौरवान्वित महसूस करता था.

 

लेकिन एक दिन राजा ने मन में ख्याल आया की क्यू न मै अपने प्रजा की सुखपूर्वक जीवन यापन का खुद से निरिक्षण करू. इसी विचार के साथ राजा ने कुछ मंत्रियो के साथ पैदल ही राज्य के भ्रमण पर निकल गया, और प्रजा के लोगो से उनके सुखमय जीवन का हालचाल लेने लगा और फिर लोगो से हालचाल लेने के बाद नगर के कई स्थानों पर घुमने के पश्चात वापस महल लौट आया और पैदल भ्रमण के पश्चात राजा काफी थक गया था.

लेकिन पैदल घुमने के कारण राजा के पैरो में असहनीय दर्द और छाले भी पड़ गये थे जिसकी शिकायत अपने मंत्रियो से की और कहा नगर के लोग खुशहाल तो है लेकिन नगर की सड़के काफी कठोर और पथरीली है जिसके कारण मुझे जब इतना कष्ट हो रहा है तो मेरी प्रजा को भी इससे कष्ट होता होगा ऐसी सडको पर पैदल चलना दूभर है.

 

इन सब बातो को ध्यान में रखते हुए राजा ने आदेश दिया की नगर के पूरे सडको को चमड़ो के कवर से ढक दिया जाय ताकि लोगो को चलने में परेशानी न हो.

राजा के इस फरमान को सुनकर सभी मंत्री चिंतित हो गये और सडक को चमड़ो से ढकने के लिए न जाने कितने निरीह प्राणियों की हत्या करना पड़ेगा और अकारण बहुत पैसा भी व्यर्थ होंगा, किसी को कुछ समझ में नही आ रहा था की राजा के आदेश का क्या किया जाय.

लेकिन उन मंत्रियो में एक बुद्दिमान व्यक्ति राजा के पास आकर बोला हे राजन यदि राज्य के पूरे नगरो को चमड़ो से ढकने के बजाय यदि हम अपने पैरो में जूते पहनकर चले तो कोई भी कंकड़ हमारे पैरो को चुभ नही सकता है, और यदि ऐसा ही चाहते है तो पूरे प्रजा को चमड़े की एक एक जोड़ी जुते ही बाँट दे”.

 

उस बुद्धिमान व्यक्ति के सुझाव (Advice) से आश्चर्यचकित था और राजा को समझ में आ गया था गलती उसी की है यदि वह अपने पैरो में जुटे पहनकर चलता तो उसके पैरो में कंकड़ नही चुभते और इस तरह इस दुनिया को बदलने से पहले खुद को बदलना आवश्यक है.

 

और फिर राजा ने उस मंत्री के इस सलाह (Advice) की खूब सराहना की और पूरे प्रजा में सबको एक एक जोड़ी जूते भी वितरण किया.

 

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