श्रीमद् भागवत कथा सुनने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं : पंडित बलराम शास्त्री , महारानी सती दादी गौशाला कुम्हारिया में श्रीमद्भागवत भक्ति ज्ञान गंगा महायज्ञ शुरू

Advertisement

6/recent/ticker-posts

श्रीमद् भागवत कथा सुनने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं : पंडित बलराम शास्त्री , महारानी सती दादी गौशाला कुम्हारिया में श्रीमद्भागवत भक्ति ज्ञान गंगा महायज्ञ शुरू





चौपटा। महारानी सती दादी गौशाला कुम्हारिया में रविवार को श्रीमद्भागवत भक्ति ज्ञान गंगा महायज्ञ का शुभारंभ किया गया। कथा शुभारंभ से पहले श्री राम मंदिर कुम्हारिया से गौशाला प्रांगण तक महिलाओं ने कलश यात्रा निकाली। कलश और ध्वजा यात्रा में श्रद्धालु भगवान के भजनों पर झूम उठे। गो भक्त पंडित रामतीर्थ शर्मा के सानिध्य में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा का वाचन श्रीधाम अयोध्या से आए पंडित बलराम शास्त्री ने किया। शुभारंभ अवसर पर बसंत बैनीवाल ने सपरिवार पूजा अर्चना की। पंडित रामतीर्थ शर्मा ने बताया कि कथा वाचन 5 मार्च तक दोपहर 12 से 3 तक किया जाएगा और  कथा समापन पर हवन यज्ञ व भंडारे का आयोजन कर प्रसाद वितरित किया जाएगा।

कथा वाचक श्रीधाम अयोध्या से आए पंडित बलराम शास्त्री ने कथा के प्रथम दिन श्रीमद् भागवत महात्म्य के विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस कलयुग में मनुष्य अपने भावों को सत्संग के जरिए ही स्थिर रख सकता है ।



 सत्संग के बिना विवेक उत्पन्न नहीं हो सकता और बिना सौभाग्य के सत्संग सुलभ नहीं  श्रीमद् भागवत कथा का 7 दिनों तक श्रवण करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप धुल जाते हैं, भागवत कथा में जीवन का सार तत्व मौजूद है आवश्यकता है निर्मल मन ओर स्थिर चित्त के साथ कथा श्रवण करने की । भागवत श्रवण से मनुष्य को परमानन्द की प्राप्ति होती है। भागवत श्रवण प्रेतयोनी से मुक्ति मिलती है। चित्त की स्थिरता के साथ ही श्रीमदभागवत कथा सुननी चाहिए। भागवत श्रवण मनुष्य के सम्पूर्ण कलेश को दूर कर भक्ति की ओर अग्रसर करती है।  


सुकदेवजी का प्रसंग

उन्होंने सुकदेवजी का प्रसंग सुनाते हुए कहा की श्री व्यास जी के अनुरोध करने पर शुकदेवजी ने अपना भय बताया । उन्होंने गर्भ के भीतर से कहा कि उन्हें बाहर आने पर माया से ग्रसित होने का भय है। यदि भगवान् श्रीकृष्ण द्वारा माया से ग्रसित नहीं होने का आश्वासन मिले तभी वे बाहर आयेंगे। व्यासजी के अनुरोध से भगवान् श्रीकृष्ण ने शुकदेवजी को माया से ग्रसित नहीं होने का आश्वासन दिया, तब शुकदेवजी गर्भ से बाहर आये और जन्म लेते ही जंगल में तपस्या करने चल पडे तथा पुनः शुकदेवजी जो अपने पिता व्यास जी के बुलाने पर भी नही आये। 


भोजन और भजन  में अंतर बताते हुए कहा कि भजन में कोई मात्रा नहीं होती ,भजन करने से मानव का मन सीधा ही प्रभु से जुड़ जाता है। उसी प्रकार भोजन में मात्रा होती है, मनुष्य को भोजन को भजन एवं प्रसाद के रूप में ग्रहण करना चाहिए । उन्होंने बताया की कहा गया कि इस कलयुग में केवल भोलेनाथ ही शीघ्र भक्ति से प्रसन्न हो जाते हैं। भोलेनाथ की भक्ति करने से मनुष्य के सब कार्य सिद्ध हो जाते हैं। 


 प्रथम दिन की कथा के समापन से पूर्व आरती की गई ,आरती करने के पश्चात उपस्थित श्रद्धालुओं में प्रसाद का वितरण किया .





इस अवसर पर प्रह्लाद सिंह, राजेश बैनीवाल, रामकुमार, काशीराम, सत्यनारायण बैनीवाल, प्रताप सिंह, महेंद्र सिंह, बिल्लू बैनीवाल, इंद्रपाल, अमर सिंह, राजकुमार डारा, सुनीता, शकुंतला, सरोज, संतोष,मोनिका सुमन सहित कई श्रद्धालु मौजूद रहे।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ