कुम्हारिया में आयोजित श्रीमद् भागवत भक्ति ज्ञान गंगा महायज्ञ के तीसरे दिन ध्रुव चरित्र और सुखी गृहस्थ जीवन के बारे में बताया

Advertisement

6/recent/ticker-posts

कुम्हारिया में आयोजित श्रीमद् भागवत भक्ति ज्ञान गंगा महायज्ञ के तीसरे दिन ध्रुव चरित्र और सुखी गृहस्थ जीवन के बारे में बताया

 



चौपटा। महारानी सती दादी गोशाला कुम्हारिया में आयोजित श्रीमद् भागवत भक्ति ज्ञान गंगा महायज्ञ  के तीसरे दिन कथावाचक पंडित बलराम शास्त्री  ने ध्रुव चरित्र  और सुखी गृहस्थ आश्रम के बारे में बताया। यह जानकारी देते हुए गोभक्त पंडित राम तीर्थ शर्मा ने बताया की तीसरे दिन मनोज न्यौल, कृष्ण कुमार मेव, रवि बैनीवाल ने सपरिवार  बतौर मुख्य यजमान भागवत पूजन किया।



 बलराम शास्त्री बताया कि सतयुग के दौरान अवधपुरी में राजा उत्तानपद राज किया करते थे। उनकी बड़ी रानी का नाम सुनीति था और उनके कोई संतान नहीं थी। देवर्षि नारद रानी को बताते हैं कि यदि तुम दूसरी शादी करवाओगी तो संतान प्राप्त होगी। रानी अपनी छोटी बहन सुरुचि की शादी राजा से करवा देती है। कुछ समय बाद सुरुचि को एक संतान की उत्पत्ति होती है। जिसका नाम उत्तम रखा। उसके कुछ दिनों के बाद बड़ी रानी भी एक बालक ध्रुव को जन्म देती है। 5 वर्ष बाद जब राजा उत्तम का जन्म दिन मना रहे थे तो बालक ध्रुव भी बच्चों के साथ खेलता हुआ उनकी गोद में बैठ गया, जिस पर सुरुचि उठा देती है और उसे कहती है कि यदि अपने पिता की गोद में बैठना है तो अगले जन्म तक इंतजार कर। 


बालक ध्रुव यह बात चुभ जाती है और वह वन में जाकर कठिन तपस्या करने लगते हैं। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु उन्हें दर्शन देते हैं और उन्हें मनचाहा वरदान देने का वचन देते हैं। इस प्रसंग से यह शिक्षा मिलती है कि किसी से भेदभाव नहीं करना चाहिए और प्रभु की भक्ति में कोई विघ्न नहीं डालना चाहिए।


सुखी गृहस्थ जीवन का पहला सूत्र है संयम। पति-पत्नी के बीच में संयम होना अति आवश्यक है। यदि पति-पत्नी के जीवन में संयम होगा तो जीवन आनंदमय कटेगा। दाम्पत्य का दूसरा सूत्र है संतुष्टि। संतोष के अभाव में दाम्पत्य का सुखमय होना मुश्किल है। इसी प्रकार सुखी गृहस्थ जीवन के अन्य सूत्र जो श्री कृष्ण ने दिए हैं वे हैं संतान, संवेदनशीलता, संकल्प, सक्षम और अंतिम सूत्र है समर्पण। भागवत के अनुसार इन सभी सूत्रों का पालन करने पर भी यदि में दाम्पत्य जीवन में प्रेम व पवित्रता नहीं है तो यह सब व्यर्थ है। इन सात सूत्रों का पालन कर तथा जीवन में प्रेम व पवित्रता को लाकर हम भी अपना गृहस्थ जीवन सुखमय बना सकते हैं। 


 मनोज  न्यौल ने महा रानी सती दादी गौशाला में 5 पंखे भेंट किए। गांव जसानिया से  मांगेराम  मित्तल, शंकर मित्तल व सुभाष मित्तल ने  5100-5100 रुपए भेंट किए तथा गौशाला कमेटी ने उनको स्मृति चिन्ह देकर के सम्मानित किया। 


इस अवसर पर प्रह्लाद सिंह, राजेश बैनीवाल, रामकुमार, काशीराम, प्रह्लाद न्योल, सत्यनारायण बैनीवाल, प्रताप सिंह बगडिया, महेंद्र सिंह, बिल्लू बैनीवाल, इंद्रपाल, अमर सिंह, राजकुमार डारा, सुनीता, शकुंतला, सरोज, संतोष,मोनिका सुमन सहित कई श्रद्धालु मौजूद रहे।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ