गौतम अडानी के मामले को लेकर कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को घेरने की तैयारी कर ली है. सड़क से लेकर संसद तक विपक्षी दल और उनके कार्यकर्ता भी हल्लाबोल की तैयारी में हैं. दरअसल, हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी के शेयर्स में आई गिरावट और उससे लाखों लोगों को हुए नुकसान के बाद विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार पर हमलावर हैं. विपक्ष का आरोप है कि केंद्र सरकार ने आम आदमी के पैसे को अडानी को सौंप कर बर्बाद कर दिया. विपक्षी पार्टियों ने संयुक्त संसदीय समिति बनाने की भी मांग की है. इस बीच कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी अडानी मामले को लेकर सरकार पर निशाना साधा है.
सोनिया गांधी ने कहा, 'गरीब मध्यम वर्ग के पैसों के बल पर अपने कुछ अमीर दोस्तों को लाभ पहुंचाने की प्रधानमंत्री की नीति ने सबकुछ बर्बाद कर दिया. सरकार के नोटबंदी और खराब तरीके से तैयार की गई जीएसटी के फैसले की वजह से छोटे व्यापारियों को काफी नुकसान पहुंचा है. सरकार तीन कृषि कानून लेकर आई, जो पूर्ण रूप से फेल हो गए और बाद में कृषि क्षेत्र की अनदेखी कर दी गई.'
उन्होंने कहा, 'यहां तक कि करोड़ों गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों की मेहनत की कमाई को भी खतरा है क्योंकि जनता अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा एलआईसी और एसबीआई जैसे भरोसेमंद संस्थानों में पैसा जमा करती है और सरकार अपने चुने हुए दोस्तों की कंपनियों में LIC और SBI जैसी संस्थानों को निवेश करने के लिए मजबूर करती है.'
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा, 'विचारों से परे, पीएम और उनके मंत्री विश्वगुरु और अमृत काल के मंत्रोच्चारण का सहारा ले रहे हैं, जबकि पीएम के पसंदीदा और चहेते व्यवसायी पर वित्तीय घोटाले में लिप्त नजर आ रहे हैं.'
इधर, कांग्रेस ने पूरे देश में अडानी ग्रुप के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और आंदोलन करने की बात कही है. कांग्रेस पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, 'केंद्र सरकार अपने करीबी दोस्तों के लिए आम लोगों के पैसे का इस्तेमाल कर रही है. कांग्रेस इसका विरोध करती है.' साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस अब LIC और SBI के दफ्तरों के सामने आंदोलन करेगी.
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