गेहूँ की फसल पर गरमी का कहर जारी है जिसकी निगरानी और किसानों की मदद के लिए सरकार ने सोमवार को एक कमेटी का गठन किया है। कमेटी की अध्यक्षता केंद्रीय कृषि आयुक्त करेंगे। नेशनल क्रॉप फोरकास्ट सेंटर (एनसीएफसी) के फरवरी में तापमान के सामान्य से बहुत अधिक रहने के पूर्वानुमान के बाद सरकार ने यह फैसला लिया है।
कृषि वैज्ञानिक ने कहा कि इस बार गेहूं की अगेती खेती ज्यादा रकबा में की गई है, जिस पर तापमान के बढ़ने का बहुत असर नहीं पड़ेगा। इसमें ऐसी प्रजाति के गेहूं भी बोए गए हैं, जो तापमान रोधी हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में गर्मी का पारा सामान्य से ऊपर चढ़ रहा है। इस बार जनवरी का महीना सबसे ठंडा और फरवरी सबसे गरम हो गई है। मौसम के इस उतार-चढ़ाव से फसलों पर बुरा असर पड़ रहा है।
गेहूं उत्पादक राज्यों के प्रतिनिधि होंगे शामिल
कृषि वैज्ञानिक कहना है कि अगले दो दिनों तक गुजरात, जम्मू, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में तापमान सामान्य से अधिक रहेगा। बढ़ते तापमान की वजह से गेहूं की फसल पर मंडरा रहे खतरे की निगरानी के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है।
उन्होंने कहा कि कृषि मंत्रालय की गठित कमेटी किसानों को जल्दी से जल्दी ही सूक्ष्म सिंचाई करने की सलाह देगी। कमेटी की अध्यक्षता कृषि आयुक्त डॉक्टर प्रवीण कुमार करेंगे। जबकि कमेटी के अन्य सदस्यों में करनाल स्थित गेहूं अऩुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों के साथ सभी गेहूं उत्पादक राज्यों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की कई राज्यों में कटाई भी शुरू हो गई है। खासतौर पर गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में कटाई चालू है। बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में दिन का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस के आसपास चल रहा है। जबकि रात का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस के आसपास है। कृषि वैज्ञानिकों की नजर में रात का तापमान सामान्य से अधिक होने से स्थितियां और खराब हो सकती है।
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