किसान ईश्वर सिंह को स्ट्राबेरी और सब्जियों से होती है 15 लाख रुपये सालाना कमाई, जाने कैसे....

Advertisement

6/recent/ticker-posts

किसान ईश्वर सिंह को स्ट्राबेरी और सब्जियों से होती है 15 लाख रुपये सालाना कमाई, जाने कैसे....



Chopta Plus,  sirsa news , agriculture news Reporter--  नरेश बैनीवाल 9896737050

चोपटा / सिरसा । किसान के पास जमीन थोड़ी मात्रा में हो तो तथा पूरे परिवार का पालन पोषण खेती की आमदनी पर निर्भर हो तो परंपरागत खेती से आमदनी कम होने पर काफी मुश्किल का उठानी पड़ती है। उसमें भी सेम,  सूखा या अकाल पडऩे पर परंपरागत खेती से आमदनी कम हो जाती है। और आर्थिक स्थिति डावांडोल हो जाती है। 



लेकिन गांव नाथूसरी कलां  (सिरसा) के किसान ईश्वर सिंह कड़वासरा ने हौसला हारने की बजाए स्ट्राबेरी, टमाटर, तर, तोरी, तरबूज आदि  मौसमी सब्जियों की खेती कर कमाई का जरिया खोजा। मात्र छटी कक्षा तक पढे किसान ईश्वर सिंह ने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाए रखने के लिए 15 वर्ष पहले 4 एकड़ भूमि में से दो एकड़ में स्टा्रबेरी, गुलाब के पौधे व मौसमी सब्जियां टमाटर, घीया, तर काकड़ी, तरबूज, तोरी व टिंडे की सब्जियां  लगाकर खेती शुरू कर दी ।



 इससे फूल, स्ट्राबेरी व सब्जियां बेचकर परंपरागत कृषि के साथ अतिरिक्त आमदन शुरू हो गई। पहले साल 5 लाख रुपये आमदनी हुई, उसके बाद कमाई का दायरा बढ़ता गया और अब सालाना 15 लाख रुपये  की कमाई हो जाती है,


15 वर्ष पहले परंपरागत खेती में कमाई कम होने के बाद सब्जी से कमाई शुरू की
किसान ईश्वर सिंह ने बताया कि फसलों पर ज्यादा खर्च मंदे भाव के कारण परंपरागत खेती में तो बचत कम होने लगी। उसने छटी तक पढाई करने के बाद सोचा कि गांव में परम्परागत खेती के साथ साथ अन्य तरीकों से ही कमाई की जा सकती है तथा अपने परिवार के साथ मिलकर खेती के साथ साथ 2 एकड़ में स्ट्राबेरी व बाद में उसी 2 एकड़ में सब्जियां लगाई जिससे उसको अतिरिक्त आमदनी होने लगी। 



 इसके बाद गुलाब के पौधे भी लगाए जिससे उसे हर वर्ष ज्यादा आमदनी शुरू हो गई। उसने बताया कि उसके 4 एकड़ भूमि में खाने के लिए गेहूं व सरसों कपास, नरमें आदि की खेती करता है। उसने बताया की परम्परागत खेती के साथ आधुनिक तरीके की खेती करने ले जल्दी ही आत्मनिर्भर बन सकता है, किसान ईश्वर की खेती को   देखकर गाँव नाथूसरी कलां के दो  किसानों ने भी मौसमी सब्जियों की  खेती की है, इसके साथ ही अन्य लोगों को रोजगार दिया जा सकता है,



इस बार की कमाई  का लक्ष्य
ईश्वर कड़वासरा ने बताया कि इस बार उसने अपने के किसान साथी महेंद सिंह के साथ मिलकर 5 एकड़ में स्ट्राबेरी की खेती की गुई है तथा इसके साथ ही  एक एकड़ में तरबूज, आधा एकड़ में टमाटर, आधा एकड़ में तोरी की खेती की हुई है। उसने बताया कि इन सब्जियों में रासायनिक खाद का  प्रयोग कम\से कम करता है, ज्यादातर  गोबर की खाद व जैविक खाद का प्रयोग करता है और कीटनाशक भी आर्गेनिक प्रयोग करता है। उसने बाताया की इस बार कमाई का लक्ष्य 15 लाख रुपये रखा हुआ है जोकि आसानी से पूरा जाएगा,


चोपटा में विकसित हो फूलों व सब्जी की मण्डी
ईश्वर कड़वासरा ने बताया कि उसके क्षेत्र के आस पास सब्जी या स्टा्रबेरी, फूलों व फ्रुट की मण्डी न होने के कारण अन्य स्थानों पर ले जाकर बेचने में यातायात खर्च ज्यादा आता है। तथा बचत कम होती है। उन्होंने बताया कि अब तो आस पास के किसानों का रूझान भी सब्जी लगाने की और बढने लगा है जिससे परंपरागत खेती के साथ अतिरिक्त कमाई होने लगी है।



 उसका कहना है कि अगर सब्जी की मण्डी चोपटा में स्थापित हो जाए तो यातायात खर्च कम होने से बचत ज्यादा हो जाएगी।



फोटो-- किसान ईश्वर सिंह अपने साथी महेंद सिंह के साथ स्ट्राबेरी को देखते हुए
स्ट्राबेरी को एकत्रित करते हुए किसान इश्वर सिंह व अन्य मजदूर 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ