धीरे-धीरे अब विश्वभर में जैविक खेती से पैदा हुए उत्पादों की मांग बढ़ रही है। भारत में भी जैविक उत्पादों की मांग में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिली है। विश्व जैविक बाजार अभी लगभग 10 लाख करोड़ का है लेकिन इसमें भारत की हिस्सेदारी काफी कम है। जबकि देश में लगभग 16 लाख किसान जैविक खेती कर रहे हैं। ताजा खबर, हिंदी न्यूज, कृषि, Choptaplus, organic agriculture, indianews,
सहकारिता मंत्रालय का कहना है कि विश्व जैविक बाजार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाकर देश के किसानों को सीधा फायदा पहुंचाया जा सकता है। किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार कई प्रयास कर रही है। इस लेख में हम जैविक खेती और इस खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार के प्रयासों पर एक नजर डालेंगे।
जैविक खेती क्या है
जैविक खेती, खेती का एक तरीका है जिसमें प्राकृतिक तरीकों से खेती की जाती है। जैविक खेती में जैविक उर्वरक और खाद जैसे- कम्पोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट, गाय के गोबर की खाद आदि का उपयोग किया जाता है। जैविक खेती के लिये अभी भी बुनियादी कृषि पद्धतियों जैसे- जुताई, गुड़ाई, खाद का मिश्रण, निराई आदि की आवश्यकता होती है।
खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार के प्रयास
राष्ट्रीय मल्टी स्टेट सहकारी जैविक सोसाइटी
भारत विश्व जैविक बाजार में अभी केवल 7,000 करोड़ का निर्यात कर पा रहा है। विश्व जैविक बाजार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय मल्टी स्टेट सहकारी जैविक सोसाइटी की स्थापना की गई है। यह सोसाइटी घरेलू के साथ-साथ वैश्विक बाजारों में भी जैविक उत्पादों की मांग और खपत क्षमता को अनलॉक करने में मदद करेगी। यह सहकारी समितियों और उनके किसान सदस्यों को सस्ती कीमत पर परीक्षण और certification की सुविधा देकर ब्रांडिंग और मार्केटिंग के माध्यम से किसानों को जैविक उत्पादों पर लाभ कमाने में मदद करेगी।
पार्टिसिपेटरी गारंटी सिस्टम (PGS ) जैविक उत्पादों को certified करने की एक प्रक्रिया है, जो यह सुनिश्चित करती है कि उत्पादन निर्धारित गुणवत्ता मानकों के अनुसार हो।
परम्परागत कृषि विकास योजना PGS certification के साथ क्लस्टर आधारित जैविक खेती को बढ़ावा देती है। योजना के तहत क्लस्टर गठन, प्रशिक्षण, certification और marketing की जाती है।
ऑर्गैनिक फ़ार्मिंग एक्शन प्रोग्राम: इसका उद्देश्य प्राथमिक उपायों के माध्यम से जैविक खेती को बढ़ावा देना और विकसित करना है।
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) देश में खाद्य नियामक है और यह घरेलू बाजार और आयात के समय जैविक खाद्य को विनियमित करता है।
जैविक खेती से बढ़ेगी किसानों की आय
देश में जैविक खेती को बढ़ाने से किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी। ऐसे में सहकारी संस्थाएं किसानों के लिए मददगार साबित होंगी क्योंकि सहकारी समितियां समावेशी विकास मॉडल पर काम करती हैं। 190 देशों में 749 लाख हेक्टेयर भूमि कवरेज के साथ 34 लाख जैविक उत्पादक हैं। भारत 27 लाख हेक्टेयर जैविक भूमि के साथ चौथे स्थान पर है। अगर हम जैविक खेती का रकबा बढ़ाने और उसको विश्व बाजार में पहुंचाने में व्यापक स्तर पर सफल हुए तो इसका सीधा लाभ देश के किसानों को होगा। भारत में इस समय लगभग 16 लाख किसान जैविक खेती कर रहे हैं जबकि पूरी दुनिया में 34 लाख जैविक उत्पादक हैं। लेकिन विश्व जैविक बाजार में भारत की हिस्सेदारी केवल 2.70 फीसदी है। अगर खेती का दायरा बढ़ा तो देश के किसानों को बहुत लाभ होगा।
जैविक खेती के फायदे
जैविक खेती से फायदा केवल मनुष्य को ही नहीं बल्कि वातावरण , मिट्टी और मिट्टी में पाए जाने वाले कीड़ों को भी होता है। जैविक उत्पाद को विकसित होने में काफी समय लगता है इसलिए ये स्वाद में बेहतर होने के साथ ही पोषण से भरपूर होतें है।
इस खेती में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले रासायनिक कीटनाशकों और उर्वरकों का कम प्रयोग होता है। इस प्रकार ये खेती वातावरण के हिसाब से भी फायदेमंद है। इस खेती से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और जानवरों को स्वाभाविक रूप से पालने के लिए फसल चक्रण जैव विविधता को बढ़ावा देने में मदद करता है।
इन दिनों जैविक उत्पादों की मांग पूरी दुनिया में बढ़ी है। पिछले तीन वर्षों में जैविक खेती का क्षेत्र दोगुना हो गया है। लोग स्वस्थ रहने के लिए जैविक उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं। बाजार में जैविक उत्पादों के अच्छे दाम भी मिल रहे हैं। ऐसे में भारत के पास मौका है कि वह दुनिया के लिए जैविक उत्पाद तैयार कर सके। क्योंकि भारत के पास अपनी विविध कृषि अनुकूल जलवायु है।
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