हरियाणा के पूर्व सिंचाई एवं शिक्षा मंत्री जगदीश नेहरा (Jagdish Nehara) का निधन हो गया। वे कई दिन से बीमार चल रहे थे। उनकी उम्र 92 साल थे। वह हिसार के निजी अस्पताल में भर्ती थे। दो दिन बाद 20 जनवरी को उनकी पोत्री की शादी थी। निधन की सूचना से शोक की लहर दौड़ गई है। कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे जगदीश नेहरा के बेटे सुरेंद्र नेहरा का निधन मई 2022 में हो गया था। जगदीश नेहरा कई दिन से बीमार चल रहे थे।
कांग्रेस के
कद्दावर नेता रहे जगदीश नेहरा पूर्व में शिक्षा एवं सिंचाई मंत्री रहे हैं। इसके
अलावा हरियाणा हिंदी ग्रंथ अकादमी के भी चेयरमैन रहे। बता दें कि जगदीश नेहरा 1973 से लेकर 1977 तक सिरसा में जिला युथ कांग्रेस के महासचिव भी रहे।
उन्होंने 1977 में चौधरी
देवीलाल के पुत्र प्रताप चौटाला के सामने चुनाव भी लड़ा था।
1977 से 1982 तक वे सिरसा जिला कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। 1982
से 1987 तक तक शिक्षा मंत्री रहे। जगदीश नेहरा ने पूर्व मुख्यमंत्री
ओमप्रकाश चौटाला के सामने भी चुनाव लड़ा था और रणजीत सिंह के खिलाफ भी। 14 जुलाई 2014 को जगदीश नेहरा ने भाजपा भी ज्वाइन की थी, लेकिन 11 अक्तूबर 2021 को कांग्रेस में वापसी की।
उनकी पोती की शादी
20 जनवरी को थी। ऐसे में
उनके निधन से शादी की खुशियां मातम में बदल गईं। उनके दो बेटे सुरेंद्र और संदीप
नेहरा हैं। पिछले साल ही उनके बड़े बेटे सुरेंद्र नेहरा की मौत हो गई थी।
गांव में किया
जाएगा अंतिम संस्कार
जगदीश नेहरा का
अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव पन्नीवाला मोटा में ही किया जाएगा। वे एलएलबी पास
आउट थे। 2014 में कांग्रेस
छोड़कर भाजपा में गए थे। उन्होंने अंतिम चुनाव 2014 में भाजपा की टिकट पर रानियां विधानसभा से लड़ा था। 2019 के बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति में हिस्सा
लेना छोड़ दिया था। 2021 में भी तीन कृषि
कानून के विरोध में भाजपा छोड़कर कांग्रेस जॉइन कर गए थे।
देवीलाल परिवार
के खिलाफ लड़ते रहे हैं चुनाव
जगदीश नेहरा अपने
जीवन में अधिकतर चुनाव पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के बेटे ओम प्रकाश
चौटाला, रणजीत चौटाला और प्रताप
चौटाला के खिलाफ लड़ते आए हैं। अंतिम चुनाव भी 2014 में रानियां से भाजपा की टिकट पर कांग्रेसी उम्मीदवार
रणजीत चौटाला के खिलाफ लड़ा। तब इनेलो के रामचंद्र कंबोज जीत गए थे।
1982 में शिक्षा
मंत्री बने
जगदीश नेहरा पहली
बार 1982 में शिक्षा मंत्री बने। नेहरा
का जन्म पाकिस्तान में हुआ था। बंटवारे के बाद उनका परिवार हरियाणा में आ गया। वह
वर्ष 1971 में गांव पन्नीवाला मोटा
की पंचायत के पंच बने। फिर पंचायत समिति के सदस्य बने। 1977 में जनता पार्टी की लहर के दौरान पहली बार हल्का रोडी से
चुनाव लड़ा और 2406 वोट से हार गए। 1982 में प्रताप चौटाला को साढ़े 12 हजार वोट से हराया। जब वे शिक्षा मंत्री बने
तब वह वैष्णो देवी गए हुए थे। 1979 में इंदिरा
गांधी उनके घर पर आई थी।
कॉलेज में प्रताप
चौटाला, सुरजीत सिंह, रणजीत सिंह के साथ रहे
चंडीगढ़ में पढ़ाई
के दौरान जगदीश नेहरा 1962 में चौधरी
देवीलाल के बेटे प्रताप चौटाला, रणजीत सिंह और
भतीजे सुरजीत सिंह के साथ रहते थे। जगदीश नेहरा ने 9 चुनाव लड़े, इसमें से 7 देवीलाल परिवार के खिलाफ लड़े। इसलिए उनकी
चौटाला परिवार के साथ कभी नहीं बनी। 1977 के बाद पहली बार 2012 में ओपी चौटाला
के साथ एक दूसरे को राम-राम की। अधिकतर चुनाव ओपी चौटाला के खिलाफ लड़े।
नेताओं ने जताया
शोक
पूर्व मंत्री जगदीश नेहरा के निधन पर हरियाणा के सीएम मनोहर लाल, राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला, कुमारी सैलजा सहित अन्य नेताओं ने शोक जताया।
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