एक गांव में एक गड़रिया रहता था। उसका स्वभाव लालची था, वह हमेशा यही सोचा करता था कि किस प्रकार वह गांव में सबसे अमीर हो जाये। उसके पास कुछ बकरियां और उनके बच्चे थे। जो उसकी जीविका के साधन थे।
एक बार वह गडरिया गांव से दूर जंगल के पास पहाड़ी पर अपनी बकरियों को चराने ले गया। ज्यादा घास ढूँढने के चक्कर में आज वह एक नए रास्ते पर निकल पड़ा। अभी वह थोड़ी ही दूर आगे बढ़ा था कि तभी अचानक तेज बारिश होने लगी और तूफानी हवाएं चलने लगीं। तूफान से बचने के लिए गड़रिया कोई सुरक्षित स्थान ढूँढने लगा। उसे थोड़ी ऊँचाई पर एक गुफा दिखाई दी। गड़रिया बकरियों को वहीँ बाँध उस जगह का जायजा लेने पहुंचा तो उसकी आँखें खुली की खुली रह गयीं। वहां बहुत सारी जंगली भेड़ें दिखाई दी।
मोटी- मोटी भेड़ों को देखकर गड़रिये के मन मे लालच आ गया। उसने सोचा कि अगर ये भेड़ें मेरी हो जाएं तो मैं गांव में सबसे अमीर हो जाऊंगा। इतनी अच्छी और इतनी ज्यादा भेड़ें तो आस-पास के किसी भी गाँव में किसी के पास नहीं हैं।
उसने मन ही मन विचार किया कि अच्छा मौका है मैं कुछ ही देर में इन्हें अपने साथ लेकर गांव चला जाऊंगा।
यही सोचते हुए वह वापस नीचे उतरा। बारिश में भीगती अपनी दुबली-पतली कमजोर बकरियों को देखकर उसने सोचा कि अब जब मेरे पास इतनी सारी मोटो तगड़ी भेडें हैं तो मुझे इन बकरियों की क्या ज़रुरत है. उसने उसी समय बकरियों को खोल दिया और बारिश में भीगने की परवाह किये बगैर कुछ रस्सियों की मदद से घास का एक बडी गट्ठरी तैयार की .
घास का गट्ठर लेकर वह एक बार फिर गुफा में पहुंचा और कई देर तक उन भेड़ों को अपने हाथ से हरी-हरी घास खिलाता रहा। जब तूफान थम गया, तो वह बाहर निकला। उसने देखा कि उसकी सारी बकरियां उस स्थान से कहीं और जा चुकी थीं।
गड़रिये को इन बकरियों के जाने का कोई अफ़सोस नहीं हुआ , बल्कि वह खुश हुआ कि आज उसे मुफ्त में एक साथ इतनी अच्छी भेडें मिल गयी हैं। यही सोचते-सोचते वह वापस गुफा की ओर मुड़ा लेकिन ये क्या…हो गया. बारिश रुकते ही भेडें वहां से निकल कर दूसरी तरफ जान लगीं। वह तेजी से दौड़कर उनके पास पहुंचा और उन्हें अपने साथ ले जाने की कोशिश करने लगा। पर भेडें बहुत थीं, वह अकेला उन्हें नियंत्रित नहीं कर सका… थोड़ी ही देर में सारी भेडें उसकी आँखों के सामने से ओझल हो गयीं।
यह सब देख गड़रिये को बहुत गुस्सा आ गया। वह चिल्लाने लगा और बोला तुम्हारे लिए मैंने अपनी बकरियों को बारिश में बाहर छोड़ दिया। इतनी मेहनत से घास काट कर खिलाई और तुम सब मुझे छोड़ कर चली गयी… सचमुच कितनी स्वार्थी हो तुम सब।
गड़रिया बदहवास होकर वहीं बैठ गया। गुस्सा शांत होने पर उसे समझ मे आया कि वास्तव मे स्वार्थी वो भेडें नहीं बल्कि वो स्वयं है, जिसने भेड़ों की लालच में आकर अपनी बकरियां भी खो दीं।
कहानी से हमें यह सीख मिलती है : -
लालच का फल नामक यह कहानी हमें सिखाती है कि जो व्यक्ति स्वार्थ, लालच और लोभ में फंसकर अपनों का साथ छोड़ता है, उसका कोई अपना नहीं बनता और अंत में उसे पछताना ही पड़ता है।
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