प्रथम विश्वयुद्ध से लेकर अब तक देश के प्रहरी के रूप में रक्षा कर रहे हैं इस गांव के वीर जवान।

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प्रथम विश्वयुद्ध से लेकर अब तक देश के प्रहरी के रूप में रक्षा कर रहे हैं इस गांव के वीर जवान।

 


चौपटा खंड का गांव #लुदेसर देशभक्ति व बलिदानों के रूप में एक मिसाल कायम किये हुए है जो हरियाणा में ही नहीं पूरे भारत में प्रसिद्ध है। #लुदेसर गांव ने देश को सैंकड़ों ऐसे वीर जवान दिये हैं जिन्होंने देश की सीमा पर जाकर भारतवर्ष की रक्षा की है। आज #लुदेसर गांव में शायद ही कोई ऐसा परिवार हो जिसमें एक या दो फौजी ना रहे हो, पहले #विश्वयुद्ध (1914-1919) में गांव में कुल 100 घर थे जिनमें 107 सैनिक थे। उसी प्रकार दूसरे #विश्वयुद्ध (1939-45) में गांव में 200 से ज्यादा सैनिक ऐसे थे 



जिन्होंने भारतीय सेना के साथ मिलकर दुश्मनों से लोहा लिया व उस समय गांव के पांच जवान शहीद हुए थे जिनमें धोलुराम, भादरराम, पन्नाराम, भीराज सहारण, राजेराम माकड़ थे। अकेले #लुदेसर गांव में 5 स्वतंत्रता सैनानी हुए हैं जो कि शायद ही किसी और गांव में मिल सकते हैं। स्वतंत्रता सैनानियों में बालाराम गाट, मोमन राम, बदरी प्रसाद, तुलसी स्वामी, रामकिशन शहु का नाम आता है। गांव लुदेसर में आज भी कई फौजी है जिसमें सुभाष गाट मिल्ट्री में कर्नल के पद पर तैनात है। 



1965 के भारत-पाक युद्ध में गांव के विजयसिंह जो कि नायब रिसलदार के पद पर थे और उन्होंने पाकिस्तान के पांच टैक ध्वस्त किए थे और इस उपरांत में शहीद हो गए थे। उनकी याद में  चोपटा-नोहर रोड का नाम भी #शहीद_विजय_सिंह मार्ग रखा गया था। 

   



आज गांव का कोई व्यक्ति अपने रिश्तेदारों में जाता है और वहां जब कोई पूछता है कि उनका गांव कौन-सा है तो वे बड़े फक्र के साथ कहते हैं #फौजियों_वाला_गाँव_लुदेसर।

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