गांव जोड़कियां के किसान रोहतास चुरणिया ने परम्परागत खेती के साथ ऑर्गेनिक तरीके से किन्नू व रेड माल्टा का बाग लगाकर बढाई आमदनी

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गांव जोड़कियां के किसान रोहतास चुरणिया ने परम्परागत खेती के साथ ऑर्गेनिक तरीके से किन्नू व रेड माल्टा का बाग लगाकर बढाई आमदनी


चौपटा (सिरसा) राजस्थान की सीमा से सटे पैंतालिसा क्षेत्र के किसान परंपरागत खेती के साथ-साथ आधुनिक तरीके से बागवानी, पशुपालन, सब्जियां इत्यादि लगाकर अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बना रहे हैं। यह क्षेत्र राज्य के अंतिम छोर पर पड़ने के कारण हमेशा ही नहरी पानी की कमी से जूझता रहता है,


क्षेत्र के किसान आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि साथ अन्य व्यवसायों में नए-नए तरीकों की खोज करने में लगे रहते हैं इसी कड़ी में क्षेत्र के अंतिम छोर पर पड़ने वाले गांव जोड़कियां ( सिरसा) के किसान रोहतास चुरणियां पुत्र मनफूल चुरणियां ने 5 साल पहले 5 एकड़ जमीन में किन्नू व रेड माल्टा का बाग लगाकर परम्परागत खेती के साथ आमदनी बढाई है। खास  बात यह है कि बाग में पूरी तरह से ऑर्गेनिक तरीके से खेती की जाती है। इसमें रासायनिक दवाइयों व खाद का प्रयोग बिल्कुल भी नहीं किया जाता।



गांव जोड़कियां के किसान रोहतास चुरणिया ने बताया कि परंपरागत खेती में लगातार हो रहे घाटे से उबरने के लिए उन्होंने आधुनिक तरीके से खेती करने का मन बनाया। इसी के तहत उन्होंने 5 साल पहले 5 एकड़ जमीन में किन्नू और रेड माल्टा किस्म का बाग लगा कर अतिरिक्त कमाई शुरू की। उन्होंने बताया कि पौधों की दूरी 20 गुणा 20 रखकर उन्होंने पौधों की लाइनों में गेहूं,  चना इत्यादि फसलें लगा कर दोहरी प्रकार की खेती से लाभ उठा रहा है। 


उन्होंने बताया कि रेड माल्टा किस्म का संतरा आकार में बड़ा, कम बीज वाला, लाल व मीठा होता है और रेतीली व कम पानी वाली जमीन में कामयाब होने के कारण उन्होंने इसी वैरायटी को चुना। उन्होंने बताया कि इस बाग में कभी भी रासायनिक कीटनाशक दवाइयों, रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं करता। पूरी तरह से ऑर्गेनिक फल उत्पादन लिया जाता है। उन्होंने बताया कि अभी तक फलों की लागत कम शुरू हुई है। इस दौरान गेहूं, चना, तरबूज, गवार इत्यादि फसलें लगाकर अच्छी कमाई हो रही है।

सरकार की सहायता से खेत में बनाईं पानी की डिग्गी, ड्रीप सिस्टम से करता है सिंचाई



किसान रोहतास चुरणिया ने बताया कि उन्होंने सरकार की सहायता से खेत में पानी की डिग्गी बना ली है जिसमें पानी एकत्रित कर लिया जाता है। और जब जरूरत होती है तो उस पानी से ड्रिप सिस्टम द्वारा सिंचाई कर पौधों को खाद और पानी सीधा जड़ो में दिया जाता है 


जिससे एक तो पानी की बचत होती है और पौधों को जरूरत के हिसाब से पानी व  खाद इत्यादि मिल जाती है । यह सब सरकार के सहयोग से मिला है। 
 

क्षेत्र में मंडी व वैक्सिंग प्लांट लगाया जाए

रोहतास ने बताया कि उसके गांव से फलों की मण्डी  दूर पड़ती है। जिससे फलों को वहां ले जाकर बेचने में यातायात खर्च ज्यादा आता है। तथा बचत कम होती है।   उसका कहना है कि अगर फलों व सब्ज़ियों की मण्डी नजदीक में विकसित हो जाए तो यातायात खर्च कम होने से बचत ज्यादा हो जाएगी।

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