सेवानिवृत्त प्रोफेसर शीशपाल हरडू ने शुरू की जैविक खेती, औषधीय गुणों से भरपूर मोटे अनाज, फल, सब्ज़ियां बनी कमाई का जरिया और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी, जानिए...

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सेवानिवृत्त प्रोफेसर शीशपाल हरडू ने शुरू की जैविक खेती, औषधीय गुणों से भरपूर मोटे अनाज, फल, सब्ज़ियां बनी कमाई का जरिया और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी, जानिए...

चौपटा प्लस ( सिरसा समाचार) किसान का काम हमेशा से ही खेती से जुड़ा होता है किसान नौकरी मिलने पर कितने भी बड़े बड़े पद पर पहुंच जाए, लेकिन हमेशा से ही खेती से संबंधित कार्य में उसकी रूचि कम नहीं होती और अपनी जड़ों से जुड़ा रहता है । खेती का ज्ञान होने के कारण किसान खेती बाड़ी को बढ़ावा देने के बारे में सोचता है। फसलों की देखभाल, बागवानी, सब्जियां उगाने इत्यादि कार्य तत्परता से करने लगता है। इसी कड़ी में गांव कुमथल जिला सिरसा के सेवानिवृत्त प्रोफेसर शीशपाल हरड़ू ने सवा 4 एकड़ जमीन में पूरी तरह से ऑर्गेनिक  मिश्रित बागवानी शुरू कर कमाई के साथ-साथ लोगों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए एक सार्थक प्रयास शुरू कर रखा है। 




प्राकृतिक खेती से कमाई के साथ-साथ लोगों  के स्वास्थ्य को प्रदान कर रहे हैं मजबूती

 हरडू प्राकृतिक फार्म कुमथल में देसी तरीके से मिश्रित बागवानी, सब्जियां और फसलें उगा कर हर वर्ष  4 लाख रुपए से अधिक की कमाई हो रही है। खास बात यह है कि इन फसलों में किसी भी रासायनिक खाद व कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग नहीं किया जाता। पूरी तरह से देसी खाद, देशी दवाइयों का ही प्रयोग किया जाता है। इन्होंने फलों, सब्जियों और अनाज की स्वास्थ्य के लिए लाभकारी देशी किस्मों का चयन किया है ।  शीशपाल हरडू द्वारा की जा रही आधुनिक तरीके और देशी खेती को देखने के लिए हरियाणा तथा निकटवर्ती राजस्थान के किसान आते हैं।  किसान द्वारा उगाई गई विशेष किस्म की गेहूं 5 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक बिकती है। इनका कहना है कि किसान ऑर्गेनिक तरीके से खेती करके कमाई के साथ-साथ स्वास्थ्य को भी ठीक रख सकता है।


जहर मुक्त खेती को देखकर अन्य किसान भी अपनाने लगे हैं ऑर्गेनिक खेत

सेवानिवृत्त प्रोफेसर शीशपाल हरड़ू ने बताया कि उन्होंने साल 2018 में एक एकड़ जमीन में अमरूद और एक एकड़ में थाई एप्पल बेर का बाग लगाया। परंपरागत खेती के साथ-साथ बागवानी से कमाई करने का जरिया खोजा। साल 2021 में सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने पूरी तरह से देसी खेती करने का मन बनाया। जिससे अपने आप को कृषि कार्य में व्यस्त रख सके और लोगों को स्वास्थ्य वर्धक खाने पीने की वस्तुएं उपलब्ध करवाई जा सके। 



उन्होंने बताया कि इसके लिए उन्होंने सवा 4 एकड़ जमीन में 284 थाई एप्पल बेर, अमरूद के 126 पौधे,  अनार 70 पौधे, 45 पौधे सेब के,  60 पौधे आडू के,  40 पौधे आंवला, 20 पौधे अंजीर, 20 पौधे आम के साथ साथ जामुन ,बेल , ड्रैगन, करौंदा इत्यादि हर प्रकार के फलदार पौधे लगाकर बागवानी शुरू की। इन पौधों को 36 गुना 10 फिट के अंतर पर बाग लगाया गया। पौधों की कतारों की जगह में परंपरागत खेती गेहूं, सब्जियां, बाजरा, ज्वार इत्यादि लगाकर कमाई शुरू की। उन्होंने बताया कि इन सभी फलों सब्जियों व अनाज की फसलों में किसी भी रासायनिक खाद व कीटनाशक दवाई का प्रयोग नहीं किया गया और पूरी तरह से ऑर्गेनिक देसी खाद व दवाइयों का प्रयोग किया गया है। 



5 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक बिकती है विशेष किस्म की पोस्टिक गेहूं

70 से ज्यादा किस्मों फलदार, फूलदार, छायादार और सजावटी एवम् औषधीय जिनमे कुछ दुर्लभ पौधे भी हरडू प्राकृतिक फार्म कुमथल सिरसा में लगाकर कमाई कर रहे हैं। इनमें देसी सब्जियां, पांच प्रकार की देसी गेहूं की वैरायटी, पीली सरसों, ज्वार, बाजरा, रागी, कोदो, कंगनी, सांवक, मिलेटस, एवम सब्जियों  की अलग-अलग स्वास्थ्यवर्धक वैरायटी लगाकर लोगों को मुहैया करवा रहे हैं। उन्होंने बताया कि हर हरड़ू प्राकृतिक फार्म कुमथल जिला सिरसा में देशी परंपरागत भिंडी, टिंडी, तरकाकडी कद्दू लोकी तोरी इत्यादि सब्जियों का स्वाद और औषधीय गुण ज्यादा है।



 इसके अलावा अनाज में देसी बाजरी, पैगम्बरी गेहूं, बंसी गेहूं, सरबती गेंहू, खपली गेंहू की पैदावार शुद्ध और जहर मुक्त होती है। इनकी गेहूं की कीमत 5000 रुपए प्रति क्विंटल से अधिक होती है । इसी प्रकार अन्य देसी अनाज दालें व शुद्ध सरसों और तिल का तेल भी रखते है। हरडू ने बताया कि पूरी तरह से ऑर्गेनिक तरीके से तैयार की गई सब्जियां और अनाज रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं । संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा करते हैं और रक्त परिसंचरण ठीक रहता है। उन्होंने बताया कि 32 वर्ष तक सरकारी सेवा करने के बाद उन्होंने देसी अपनाने की जो पहल की है उसके तहत मध्य प्रदेश की प्राचीन देसी किस्म  खपली नामक गेहूं को मल्चिंग विधि द्वारा बोया गया है जो कि स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक है। उन्होंने बताया कि उनके फार्म में लगी लौकी की लंबाई 6 फुट तक हो जाती है। 




खरीफ में बोए जाते हैं औषधीय गुणों से भरपूर मोटे अनाज 

सेवानिवृत्त प्रोफेसर किसान शीशपाल हरडू ने बताया कि उन्होंने एक अभियान चलाया हुआ है जिसका नाम है खाओ ऑर्गेनिक रखा गया है  जिसके तहत पूरी तरह से देसी और ऑर्गेनिक अनाज, सब्जियां व फल लगाकर लोगों को मुहैया करवाए जाते हैं ।  इन फलों और सब्जियों पर गाय के गोबर व गोमूत्र से बनाई हुई खाद, दवाई, लस्सी की सप्रे, जीवामृत अमृत मिट्टी का ही प्रयोग किया जाता है।  पूरी तरह से जहर मुक्त, केमिकल युक्त होती है । अपने खेत में बनाई गई अमृत मिट्टी  डालकर पैदावार ली जाती है । उन्होंने बताया कि फलों के साथ-साथ बोए गए अनाज की भी काफी मांग है। और गेहूं की कीमत 5000 प्रति क्विंटल तक है। 




किसान शीशपाल हरडू ने बताया कि उन्होंने बिना किसी सरकारी सहायता के सवा 4 एकड़ में मिश्रित बागवानी फल सब्जियां लगाकर कमाई के साथ-साथ लोगों के स्वास्थ्य का ध्यान रखा है अपने ही खर्चे से ड्रिप सिस्टम द्वारा सिंचाई की जाती है और देसी खान-पान अपनाने के लिए लोगों को जागृत किया जा रहा है उन्होंने बताया कि देसी तरीके से खेती करके कमाई के साथ-साथ स्वास्थ्य को भी सही रखा जा सकता है।  




उन्होंने बताया कि आमतौर पर सामान्य अनाज में फाइबर की मात्रा एक दो प्रतिशत होती है। जबकि ऑर्गेनिक तरीके से किए हुए अनाज में फाइबर की मात्रा 7 से 13 प्रतिशत तक पाई जाती है। इसके अलावा सभी प्रकार के विटामिन  और पोषक तत्वों से भरपूर होती है।


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