Chopta plus --- हरियाणा के सिरसा जिले के नाथूसरी चौपटा क्षेत्र के करीब 25 गांवों में 22 हजार एकड़ जमीन सेम के कारण बंजर हो चुकी है। किसानों की आमदनी बिल्कुल ही कम हो गई है। ऐसे में गांव लुदेसर (सिरसा) के किसान राजेंद्र कुमार गाट ने हिम्मत हारने की बजाय सेम से बंजर हुई जमीन में फसल उगाने की योजना बनाई। जिससे अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाए रखे। सेम के कारण जमीन में पानी खड़ा रहने से फसल उगने बंद हो गई लेकिन राजेंद्र कुमार ने 25 एकड़ जमीन में 3 किलोमीटर दूर से मिट्टी लाकर सेम ग्रस्त जमीन में डालकर फसल उगाने का जरिया खोजा। जोकि पूरी तरह कामयाब रहा और बंजर जमीन में फसलें लहलहाने लगी। राजेंद्र कुमार का कहना है कि सेम ग्रस्त जमीन में पैदावार लेने की तकनीक को देख कर गांव के अन्य कई किसान भी अपनी जमीनों में मिट्टी डलवा कर फसल उगाने लगे।
गांव लुदेसर के किसान राजेंद्र कुमार ने बताया कि करीब 30 साल पहले नाथुसरी चौपटा क्षेत्र के आस पास लगते लगभग सभी गांवों में सेम ग्रस्त जमीन का दायरा बढ़ने लगा। इसी दौरान उनके 25 एकड़ खेत में सेम के कारण जमीन में पानी खड़ा रहने लगा और लवणता बढ़ गई। जिसके कारण जमीन बंजर होने लगी। कई वर्षों तक तो उन्होंने धान इत्यादि की खेती की लेकिन जमीन में लवणता की मात्रा बढ़ने से बीज उगने भी बंद हो गए।
इस दौरान उन्होंने साल 1998 से लेकर साल 2016 तक खेती से वंचित रहना पड़ा। तब उन्होंने अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाए रखने के लिए सेम ग्रस्त जमीन से पैदावार लेने के तरीके खोजने शुरू किए । तभी राजस्थान के रावतसर क्षेत्र से सेम ग्रस्त जमीनों में फसल उगाने के बारे में पता चला। तो वहां पर जाकर देखा कि किसान दूर-दूर से बालू मिट्टी लाकर सेम ग्रस्त जमीन में डाल रहे हैं और जिससे जमीन में खड़ा पानी सूखाकर जमीन को उपजाऊ बना रहे हैं।
तभी उन्होंने अपने भाई सुरेंद्र कुमार से सलाह मशवरा करके साल 2015-16 में प्रयोग के तौर पर 5 एकड़ जमीन में 3 किलोमीटर दूर से मिट्टी लाकर डाली तथा उसमें फसल उगाकर देखी तो बीज भी उगने लगे और फसल भी ठीक-ठाक हुई । 2 साल तक हर मौसम की फसलें उग लेने के बाद उन्होंने 25 एकड़ में मिट्टी डालने का संकल्प लिया और ट्रैक्टरों से निकटवर्ती गांव रुपावास से मिट्टी लाकर डाली और उसमें गेहूं की फसल उगा कर अच्छी पैदावार होने लगी। उसके बाद 3 वर्ष से पूरे खेत में दोनों मौसम की फसलें गेहूं , सरसों, कपास, नरमा, बाजरा इत्यादि की पैदावार लेकर अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बना लिया है। राजेंद्र कुमार ने बताया कि उनके तजुर्बे को देखकर गांव के अन्य किसानों ने भी अपने खेतों में मिट्टी भर्ती करवा कर फसल उगानी शुरू कर दी है जिससे सेम ग्रस्त जमीन में फसले लहलहाने लगी है।
राजेंद्र कुमार का कहना है कि सरकार द्वारा क्षेत्र से को खत्म करने के लिए वादे तो किए जाते हैं लेकिन करीब 30 वर्ष से सेम की समस्या गंभीर बनी हुई है तब किसानों ने अपने बलबूते पर सेम से बंजर जमीन को उपजाऊ करने का जो बीड़ा उठाया है उसके तहत सरकार को सहायता करनी चाहिए। इनका कहना है कि सरकार द्वारा सौर ऊर्जा के ट्यूबवेल जल्दी लगवा कर सेम के पानी को सेम नाले में डालने के लिए प्रोजेक्ट को तत्परता से लागू करना चाहिए। ताकि बंजर जमीन से पैदा लेकर किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके।
प्रश्न --- कितने सालों से जमीन बंजर पड़ी थी?
उत्तर --- साल 1992- 1993 में सेम आनी शुरू हो गई थी.
प्रश्न-- खेतों में फसल क्यों नहीं हुई?
उत्तर- खेत में सेम के कारण जमीन में पानी खड़ा रहने लगा और लवणता बढ़ गई। जिसके कारण जमीन बंजर होने लगी.
प्रश्न -- आपने क्या करने का मन बनाया ?
उत्तर-- अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाए रखने के लिए सेम ग्रस्त जमीन से पैदावार लेने के तरीके खोजने शुरू किए.
प्रश्न --- आपने कोनसा तरीका खोजा ?
उत्तर-- अपने भाई सुरेंद्र कुमार से सलाह मशवरा करके साल 2015-16 में प्रयोग के तौर पर 5 एकड़ जमीन में 3 किलोमीटर दूर से मिट्टी लाकर डाली तथा उसमें फसल उगाकर देखी तो बीज भी उगने लगे और फसल भी ठीक-ठाक हुई । 2 साल तक हर मौसम की फसलें उग लेने के बाद उन्होंने 25 एकड़ में मिट्टी डालने का संकल्प लिया और ट्रैक्टरों से निकटवर्ती गांव रुपावास से मिट्टी लाकर डाली और उसमें गेहूं की फसल उगा कर अच्छी पैदावार होने लगी। उसके बाद 3 वर्ष से पूरे खेत में दोनों मौसम की फसलें गेहूं , सरसों, कपास, नरमा, बाजरा इत्यादि की पैदावार लेकर अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बना लिया है.
प्रश्न -- ऐसा प्रयोग आपने कहाँ से सीखा ?
उत्तर-- राजस्थान के रावतसर क्षेत्र से सेम ग्रस्त जमीनों में फसल उगाने के बारे में पता चला। तो वहां पर जाकर देखा कि किसान दूर-दूर से बालू मिट्टी लाकर सेम ग्रस्त जमीन में डाल रहे हैं और जिससे जमीन में खड़ा पानी सूखाकर जमीन को उपजाऊ बना रहे हैं
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