हरियाणा में ग्राम पंचायतों में ई-टेंडरिंग का विरोध कर रहे प्रदेश भर के सरपंचों ने रविवार को फतेहाबाद के टोहाना में प्रदेश सरकार के खिलाफ हुंकार भरी। सरपंचों ने आंदोलन का बिगुल बजाते हुए कई निर्णय लिए। सरपंच मांग पूरी न होने तक 16 जनवरी से हरियाणा भर के बीडीपीओ कार्यालयों पर ताले लगाएंगे।
23 जनवरी को मंत्री बबली के मधुर मिलन समारोह का विरोध करने और सीएम को काले झंडे दिखाने का ऐलान भी किया गया। 22 जनवरी तक प्रदेश के सभी 22 जिलों से एक-एक सरपंच को लेकर 22 सदस्यीय कमेटी गठित करने का भी निर्णय लिया गया। यह कमेटी आगे आंदोलन को लीड करेगी।
सत्ताधारी नेताओं को न घुसने दें
सरपंच आंदोलन के अगुवा समैन के सरपंच रणबीर सिंह ने मंच से सरपंचों को आह्वान किया कि जब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा, तब तक वे अपने-अपने गांवों में सत्ताधारी पार्टी के नेताओं को घुसने न दें। इस अवसर पर काफी संख्या में सरपंच और हजारों की संख्या में उनके समर्थक जुटे। अलग-अलग गांवों के सरपंचों ने विचार रखे।
सरपंच रणबीर सिंह ने कहा कि हमने केवल ई-टेंडरिंग का फैसला वापस नहीं करवाना, बल्कि सरपंचों के हर अधिकार को हमने लेना है। जब तक सरकार झुकती नहीं, तब तक आंदोलन जारी रखेंगे। इस आंदोलन में किसी राजनीतिक शख्स को हम घुसने नहीं देंगे, क्योंकि आंदोलन सरपंचों का है न कि किसी राजनीतिक पार्टी का। उन्होंने कहा कि सरपंच एक बार उनका साथ दें, सरकार को गोडे के नीचे देना उनकी जिम्मेदारी रहेगी।
वहीं एक अन्य गांव के सरपंच ने कहा कि ई-टेंडरिंग के तहत सरपंच 2 लाख तक के भी विकास नहीं करवा पाएगा, भले ही 2 लाख की पावर दी गई है, लेकिन इसमें भी 36 हजार जीएसटी कटेगी। यानि सरपंच की पावर केवल 1 लाख 64 हजार रुपए के काम करवाने की ही दी गई है। राजस्थान में सरपंचों को बहुत शक्तियां हैं, लेकिन हरियाणा में नहीं दी जा रहीं।
सरपंचों के इस सम्मेलन में भूना खंड के सरपंच एसोसिएशन के उपाध्यक्ष एवं बैजलपुर के सरपंच हेमंत बैजलपुरिया ने मंच से इस्तीफे की पेशकश कर दी। उन्होंने कहा कि वे अपने पद से इस्तीफा दे देंगे, अगर मंत्री देवेंद्र बबली या कोई भी मंत्री उनके सामने गांव से सरपंच का चुनाव लड़कर दिखाएं। उन्होंने कहा कि मंत्री सरपंच तो दूर वार्ड का मेंबर ही बनकर दिखा दें।
ग्रामीणों को पता कौन ईमानदार
गांव का एक-एक बाशिंदा सरपंच को व्यक्तिगत रूप से जानता है और उन्हें पता होता है कि कौन ईमानदार है। आज यहां 7-8 हजार लोग नहीं बल्कि 70-80 लाख लोगों की भीड़ मानी जानी चाहिए, क्योंकि एक-एक सरपंच के पीछे उसके गांव की 1500- 2 हजार की आबादी होती है।
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