सकट चतुर्थी व्रत 10 जनवरी को, जानिए कथा और पूजा विधि, जिससे करें भगवान गणेश को प्रसन्न

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सकट चतुर्थी व्रत 10 जनवरी को, जानिए कथा और पूजा विधि, जिससे करें भगवान गणेश को प्रसन्न

 



 

माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्ठी चतुर्थी कहा जाता है. इस तिथि को तिल चतुर्थी या माघी चतुर्थी भी कहा जाता है. यह दिन भगवान गणेश की और चन्द्र देव की उपासना करने का विधान है. मान्यता है की जो कोई भी इस दिन श्री गणपति की उपासना करता है उसके जीवन के संकट टल जाते हैं. साथ ही संतान की प्राप्ति होती है और संतान सम्बन्धी समस्याएं भी दूर होती हैं.

 

हर साल माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ का पर्व मनाया जाता है. सकट चौथ का व्रत महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र और सुख-शांति के लिए रखती हैं. इस दिन भगवान गणेश और चन्द्र देव की उपासना करने का विधान है. जो कोई भी इस दिन श्री गणपति की उपासना करता है उसके जीवन के सकट टल जाते हैं. इस  तिथि को तिल चतुर्थी, संकष्टी चतुर्थी और माघी चतुर्थी भी कहा जाता है. माना जाता है कि सकट चौथ के दिन कुछ खास उपाय करने से संतान से संबंधित समस्याएं दूर हो जाती हैं. इस बार संकट चौथ 10 जनवरी, मंगलवार के दिन मनाई जाएगी.

गणेश जी की कहानी

 

एक अन्धी बुढिया थी जिसका एक लड़का और लड़के की बहु थीवो बहुत गरीब थावह अन्धी बुढिया नित्यप्रति गणेश जी की पूजा किया करती थीगणेश जी साक्षात् सन्मुख आकर कहते थे कि बुढिया भाई तू जो चाहे सो मांग लेबुढिया कहती हैमुझे मांगना नहीं आता तो कैसे और क्या मांगूतब गणेश जी बोले कि अपने बहु बेटे से पूछकर मांग लेतब बुढिया ने अपने पुत्र और वधु से पूछा तो बेटा बोला कि धन मांग ले और बहु ने कहाँ की पोता मांग लेंतब बुढिया ने सोचा कि बेटा यह तो अपने-अपने मतलब की बातें कर रहे हैअतः इस बुढिया ने पड़ोसियों से पूछा तोपड़ोसियों ने कहा कि बुधिया तेरी थोड़ी सी जिंदगी हैक्यूँ मांगे धन और पोतातू तो केवल अपने नेत्र मांग ले जिससे तेरी शेष जिंदगी सुख से व्यतीत हो जाए|

 

 

 कथा 

उस बुढिया ने बेटे और बहु तथा पडौसियों की बातें सुनकर घर में जाकर सोचाजिसमे बेटा बहु और मेरा सबका ही भला हो वह भी मांग लूँ और अपने मतलब की चीज़ भी मांग लूँजब दुसरे दिन श्री गणेश जी आये और बोलेबोल बुढिया क्या मांगती हैहमारा वचन है जो तू मांगेगी सो ही पायेगीगणेश जी के वचन सुनकर बुढिया बोलीहे गणराज! यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो मुझे नौ करोड़ की माया देंनिरोगी काया देंअमर सुहाग देंआँखों में प्रकाश देंनाती पोते देंऔर समस्त परिवार को सुख देंऔर अंत में मोक्ष देंबुढिया की बात सुनकर गणेश जी बोले बुढिया माँ तूने तो मुझे ठग लियाखैर जो कुछ तूने मांग लिया वह सभी तुझे मिलेगायूँ कहकर गणेश जी अंतर्ध्यान हो गयेहे गणेश जी! जैसे बुढिया माँ को मांगे अनुसार आपने सब कुछ दिया वैसे ही सबको देनाऔर हमको भी देने की कृपा करना|


एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। एक बार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सेठानी सहित उसकी सातों बहुएं और उसकी बेटी ने भी करवा चौथ का व्रत रखा। रात्रि के समय जब साहूकार के सभी लड़के भोजन करने बैठे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन कर लेने को कहा। इस पर बहन ने कहा- भाई, अभी चांद नहीं निकला है। चांद के निकलने पर उसे अर्घ्य देकर ही मैं आज भोजन करूंगी।

 

साहूकार के बेटे अपनी बहन से बहुत प्रेम करते थे, उन्हें अपनी बहन का भूख से व्याकुल चेहरा देख बेहद दुख हुआ। साहूकार के बेटे नगर के बाहर चले गए और वहां एक पेड़ पर चढ़ कर अग्नि जला दी। घर वापस आकर उन्होंने अपनी बहन से कहा- देखो बहन, चांद निकल आया है। अब तुम उन्हें अर्घ्य देकर भोजन ग्रहण करो। साहूकार की बेटी ने अपनी भाभियों से कहा- देखो, चांद निकल आया है, तुम लोग भी अर्घ्य देकर भोजन कर लो।

 

ननद की बात सुनकर भाभियों ने कहा- बहन अभी चांद नहीं निकला है, तुम्हारे भाई धोखे से अग्नि जलाकर उसके प्रकाश को चांद के रूप में तुम्हें दिखा रहे हैं।साहूकार की बेटी अपनी भाभियों की बात को अनसुनी करते हुए भाइयों द्वारा दिखाए गए चांद को अर्घ्य देकर भोजन कर लिया। इस प्रकार करवा चौथ का व्रत भंग करने के कारण विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश साहूकार की लड़की पर अप्रसन्न हो गए। गणेश जी की अप्रसन्नता के कारण उस लड़की का पति बीमार पड़ गया और घर में बचा हुआ सारा धन उसकी बीमारी में लग गया। साहूकार की बेटी को जब अपने किए हुए दोषों का पता लगा तो उसे बहुत पश्चाताप हुआ। उसने गणेश जी से क्षमा प्रार्थना की और फिर से विधि-विधान पूर्वक चतुर्थी का व्रत शुरू कर दिया। उसने उपस्थित सभी लोगों का श्रद्धानुसार आदर किया और तदुपरांत उनसे आशीर्वाद ग्रहण किया।

 

 

 

इस प्रकार उस लड़की के श्रद्धा-भक्ति को देखकर एकदंत भगवान गणेश जी उसपर प्रसन्न हो गए और उसके पति को जीवनदान प्रदान किया। उसे सभी प्रकार के रोगों से मुक्त करके धन, संपत्ति और वैभव से युक्त कर दिया।कहते हैं इस प्रकार यदि कोई मनुष्य छल-कपट, अहंकार, लोभ, लालच को त्याग कर श्रद्धा और भक्तिभाव पूर्वक चतुर्थी का व्रत को पूर्ण करता है, तो वह जीवन में सभी प्रकार के दुखों और क्लेशों से मुक्त होता है और सुखमय जीवन व्यतीत करता है।

 


संकट चौथ पर मिलने वाले खास लाभ

 

इस दिन गणपति बप्पा की उपासना करने से व्यक्ति के तरह के संकट दूर हो जाते हैं. इस दिन व्रत रखने से संतान प्राप्ति होती है और संतान से संबंधित समस्याएं भी दूर होती हैं. अपयश और बदनामी के योग कट जाते है.

 

संकट चौथ के दिन संतान प्राप्ति के लिए करें ये उपाय

 

रात में चन्द्रमा को अर्घ्य दें. भगवान गणेश जी के समक्ष घी का दीपक जलाएँ. उनको अपनी उम्र के बराबर तिल के लड्डू अर्पित करें. उनके समक्ष बैठकर "ॐ नमो भगवते गजाननाय " का जाप करें. पति - पत्नी एक साथ ये प्रयोग करें तो ज्यादा अच्छा होगा. काम में आने वाली बाधाओं और संकटों से छुटकारा पाने के लिए   पीले वस्त्र धारण करके भगवान गणेश के समक्ष बैठें. उनके सामने घी का चौमुखी दीपक जलाएं. अपनी उम्र के बराबर लड्डू रखें.  फिर हर लड्डू के साथ "गं" कहते जाएं. इसके बाद बाधा दूर करने की प्रार्थना करें. एक लड्डू को खुद खा कर , बाकी सभी को बांट दें.

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