उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से एक अनोखा मामला सामने आया है। जहां दो बीवियों ने अपने पति को सप्ताह के तीन-तीन दिन बांट लिया है। पति सोमवार से बुधवार तक पहली पत्नी और बृहस्पतिवार से शनिवार तक दूसरी पत्नी के साथ रहेगा। रविवार को वह अपने मां-बाप के साथ या रिश्तेदारी में घूमने जा सकता है। दोनों बीवी और पति के बीच काउंसलिंग के बाद यह समझौता हुआ है। जिसके बाद विवाद खत्म हो गया।
क्या है मामला?
दरअसल, जिले के ठाकुरद्वारा निवासी महिला ने दो माह पहले एसएसपी हेमराज मीना को शिकायत पत्र सौंपते हुए बताया कि साल 2017 में उसका गौतमबुद्ध नगर के जेवर थाना क्षेत्र के किला कालोनी निवासी सलीम के साथ निकाह किया थ
लेकिन पति निकाह करने के बाद उसे ससुराल नहीं ले गया। शहर में ही वह उसे लेकर किराए के आवास पर रहता था। जब महिला ने ससुराल जाने की जिद की, तो पति ने ले जाने से इन्कार कर दिया। वहीं कुछ दिनों बाद पति अचानक गायब हो गया।जिसके बाद परेशान महिला पति की तलाश करते हुए ससुराल पहुंच गई। उसे वहां जाकर पता चला कि पति पहले से शादीशुुदा है, इसके साथ ही उसके तीन बच्चे भी हैं। मामले की जानकारी बाद दूसरी पत्नी भड़क गई। जिसके बाद उसने एसएसपी कार्यालय में पेश होकर शिकायत की। महिला के शिकायत पत्र का संज्ञान लेकर नारी उत्थान केंद्र दोनों पक्षों को काउंसलिंग के लिए भेजा गया। नारी उत्थान केंद्र के काउंसलर एमपी सिंह ने दोनों पत्नी और पति को बुलाकर बातचीत की। इस दौरान पता चला कि दूसरी पत्नी को पति के पहले शादीशुदा होने की जानकारी थी। साल 2017 में अंजान नंबर पर बातचीत के दौरान दोनों में दोस्ती हो गई थी। पति ने खुद युवती के घर जाकर निकाह होने की जानकारी दी थी। परिवार की मर्जी से पति ने दूसरा निकाह किया था। पति का आरोप था कि उसका पत्नी से कोई विवाद नहीं हैं। दूसरी पत्नी से एक बेटी है। लेकिन उसके ससुराल वाले पत्नी को भड़काकर विवाद करते हैं। उसने कहा कि वह दूसरी पत्नी को साथ रखने के लिए राजी है। इसके लिए वह जेवर में ही किराए का कमरा खोज रहा है।
वहीं, काउंसलिंग के दौरान दूसरी पत्नी ने कहा कि अगर उसे पति अपने साथ रखने के लिए राजी है, तो उसे कोई शिकायत नहीं हैं, लेकिन दोनों को बराबर समय देना पड़ेगा। वहीं पहली पत्नी भी कुछ शर्तों के साथ राजी हो गई। इस दौरान यह तय हुआ कि दोनों पत्नियां ससुराल में ही रहेंगी, लेकिन पति तीन-तीन दिन दोनों के साथ रहेगा। जबकि एक दिन वह अपनी मर्जी से रहेगा। दोनों पत्नियों को बराबर खर्चा देने और देखभाल की शर्त तय होने के बाद समझौता करा दिया गया।
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