कलाकारों ने शहीद उधम सिंह सहित जाने-अनजाने क्रांतिकारियों की वीरगाथाओं का किया बेहतर चित्रण

Advertisement

6/recent/ticker-posts

कलाकारों ने शहीद उधम सिंह सहित जाने-अनजाने क्रांतिकारियों की वीरगाथाओं का किया बेहतर चित्रण



सिरसा, 27 दिसंबर। आजादी का अमृत महोत्सव के तहत सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के तत्वावधान मेें स्थानीय राजकीय नेशनल महाविद्यालय में थिएटर फॉर थिएटर ग्रुप के कलाकारों ने जलियांवाला बाग हत्याकांड और शहीद उधम सिंह के बलिदान पर आधारित शहीद उधम सिंह आजाद नाटक का मंचन किया।  

कलाकारों द्वारा नाटक में किए संवाद शहीद न हिंदू होता है, न मुसलमान होता है, न सिख होता है और न ईसाई होता है। शहीद तो सिर्फ शहीद ही होता है। शहीद को शहीद ही रहने दो, उसकी पहचान किसी जाति व धर्म से न करो, से देश प्रेम की भावना का संदेश दिया। कार्यक्रम में अतिरिक्त उपायुक्त डा. आनंद कुमार शर्मा ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। उन्होंने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

शहीद उधम सिंह व ज्ञात-अज्ञात क्रांतिकारियों की वीरगाथाओं का किया बेहतर चित्रण :  
नाटक के माध्यम से कलाकारों ने बताया कि वर्ष 1919 में जलियांवाला बाग में सैकड़ों क्रांतिकारियों ने अपना बलिदान दिया था। शहीद उधम सिंह को जलियांवाला बाग के नरसंहार का बदला लेने के लिए 21 वर्ष का इंतजार करना पड़ा और अंतत 31 मार्च, 1940 को लंदन के कॉक्सटान हॉल में जनरल ओ-डायर को गोली से मार कर उसने आत्मसमर्पण करते हुए कहा कि 'मैंने तो केवल दोषी को ही गोली मार कर बदला लिया है। 

यदि मेरी जगह भगत सिंह होता, तो वह जलियां वाले बाग में बिछी सभी लाशों को गिन कर और लहू तोल कर बदला लेताÓ। शहीद उधम सिंह को फांसी देने से पहले जब ब्रिटिश जेलर ने उससे अंतिम ख्वाईश पूछी तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कि 'यदि अंतिम इच्छा ही, मेरी पूछते हो, तो जालिमों इतना सा पक्ष लेना, मेरे मृत देह पर, नक्शा मेरे हिंदुस्तान का रख देनाÓ। कलाकारों ने दर्शाया कि शहीदों की बदौलत ही भारत गुलामी की जंजीरों को तोड़ कर आजाद हुआ।

कलाकारों ने दिया शहीदों को अपने जहन में याद रखने का संदेश :
कलाकारों ने संदेश दिया कि हमें अपने अमर शहीदों को कभी भी भुलना नहीं है। शहीदों ने अपना वर्तमान, अपनी आने वाली पीढियों के भविष्य के लिए कुर्बान कर दिया, ताकि हमारी आने वाली नस्लें अपने परिवारों के साथ आजादी की स्वतंत्र बहारों का आनंद लें तथा खुशी-खुशी अपना जीवन व्यतीत करें। 

नाटक के दौरान शहीद उधम सिंह बुत में परिवर्तित होने से पहले कहता है कि 'हम भी आराम उठा सकते थे घर पर रहकर, हमको भी पाला था मां-बाप ने दुख सहकर, वक्त ए रुखसत इतना भी ना आए कह कर, अश्क गिरे जो तुम्हारी झोली में बह बह कर, तिफ्फल उनको ही समझना लेना दिल बहलाने को, हमने जब वादी ए गुरबत में कदम रखा था तो दूर तक याद ए वतन आई थी समझाने कोÓ। शहीद उधम सिंह के मुख से ये भी बोल निकले कि 'कोई मुझे हिंदू कहता है कोई मुसलमान, कोई सिख कोई ईसाई, ओए भगवान के लिए मुझे एक शहीद ही रहने दो, मैं हिंदुस्तानी हूं-हिंदुस्तानी और शहीदों का कोई मजहब नहीं होताÓ जिस पर सभागार में उपस्थित दर्शकों ने जमकर तालियां बजाई। कलाकारों ने कहा कि इतिहास का एक पना शहीद भगत सिंह और सभी क्रंतिकारियों ने लिख दिया, इससे अगला पना, मेरे ये लोग लिखेंगे, मेरी ये नौजवान पीढ़ी लिखेगी।

नाटक में मां भारती की करूणा ने किया भाव विभोर :
नाटक के दौरान मां भारती की करूणा भी देखने लायक थी। हर उपस्थितजन मां भारती के करुणमयी संवाद को सुनकर व देखकर भाव विभोर हो गया। मां भारती ने नाटक के माध्यम से कहा कि वो उस समय भी मौजूद थी जब द्रौपदी का चीर हरण हुआ, वो उस समय भी मौजूद थी जब श्री गुरू गोविंद सिंह के दो बेटों की शहादत हुई, वो उस समय भी मौजूद थी जब भगत सिंह, राजगुरू व सुखदेव को फांसी दी गई थी और वो उस समय भी मौजूद रही जब जलियांवाला का बदला शहीद उधम सिंह ने लिया था। मां भारती ने नाटक के माध्यम से आह्वान किया कि वे हमें अपने देश व समाज को किसी भी तरह से टुकड़ों में नहीं बांटना है और राष्टï्र के प्रति हमेशा वफादार रहना है।

युवा शहीदों की जीवन गाथाओं से लें प्रेरणा : अतिरिक्त  उपायुक्त
अतिरिक्त उपायुक्त डा. आनंद कुमार शर्मा ने अपने संदेश में कहा कि हमें अपने अमर शहीदों को कभी भी भूलना नहीं चाहिए। युवाओं को अमर शहीदों के जीवन व उनके बलिदान से शिक्षा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी समाज व देश की प्रगति वहां की युवा पीढ़ी की सोच पर निर्भर करती है। युवा वर्ग को चाहिए कि वे नशे आदि किसी भी तरह की बुराई से दूर रहें और समाज व देश के विकास में अपनी भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि सरकार का भी यहीं मुख्य उद्देश्य है कि युवा पीढ़ी अमर शहीदों के बलिदान को जाने। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सोच के अनुरुप इस तरह के नाटक मंचन कर युवाओं को शहीदों व महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेने के लिए जागरुक व प्रेरित किया जा रहा है।

इन कलाकारों ने नाटक में निभाया अलग-अलग किरदार :
नाटक मंचन में महिंद्र भट्टी ने उधम सिंह, ईशु बब्बर ने भारत माता, अमृत जस्सल ने लाटी भान, रविंद्र चौहान ने अराजकता, अंकुश राणा ने हिंदू, देवेंद्र सिंह ने सिख, अमन बामनिया ने ईसाई, सोनू ने मुस्लिम, राहुल, खुश सिधु व हैरी ने जनता का किरदार निभाया। लाइट व्यवस्था प्रियंका ने संभाली व संगीत परम चंदेल ने दिया। नाटक के लेखक चरण सिंह सिंदरा रहे। इस अवसर पर नाटक निर्देशक हरविंद्र सिंह भी मौजूद रहे। मंच संचालन प्रसिद्घ रंग मंच कलाकार कर्ण लडढा ने किया।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ