मंगलवार को करें ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ, नहीं होगी धन की कमी

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मंगलवार को करें ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ, नहीं होगी धन की कमी


हिंदू धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी ना किसी ग्रह और देवी-देवता को समर्पित है। माना जाता है कि उस दिन उसी ग्रह से जुड़े भगवान की पूजा-अर्चना करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है। हर एक दिन का नाम, ग्रह के नाम पर रखा गया है, और उस दिन, उस ग्रह से सम्बंधित देवी-देवता की पूजा-अर्चना की जाती है। सोमवार का दिन सोम अर्थात चंद्रमा के नाम पर है और उस दिन भगवान शिव की आराधना की जाती है। वैसे ही मंगलवार का दिन मंगल ग्रह को समर्पित है, जिनके ईष्ट देवता हनुमान जी हैं। कहते हैं कि मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से सभी कष्टों का नाश होता है।


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मंगल ग्रह को ग्रहों का सेनापति माना जाता है और उनका प्रिय रंग लाल है। इसलिए मंगलवार के दिन लाल रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन ऐसा करने से कुंडली में मौजूद मंगल ग्रह मज़बूत होता है। जिन लोगों की कुंडली में मंगल दोष या फिर ऋण संबंधी दिक़्क़तें हों, उन्हें इन परेशानियों को दूर करने के लिए मंगलवार के दिन मंगल स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। स्कंदपुराण में दिए गए इस मंगल स्तोत्र को ‘ऋणमोचक अचूक मंत्र’ माना गया है। मान्यता है कि मंगलवार के दिन इस स्तोत्र का पाठ करने से धन संबंधी सभी परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है।


ऋणमोचन मंगल स्तोत्र मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः। स्थिरासनो महाकयः सर्वकर्मविरोधकः।। लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः। धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः।। अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः। व्रुष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः।। एतानि कुजनामनि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्। ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्।। धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्। कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्।। स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः। न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्।। अङ्गारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल। त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय।। ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः। भयक्लेशमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा।। अतिवक्त्र दुरारार्ध्य भोगमुक्त जितात्मनः। तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुश्टो हरसि तत्ख्शणात्।। विरिंचिशक्रविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा। तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः।। पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गतः। ऋणदारिद्रयदुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः।। एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यः स्तौति च धरासुतम्। महतिं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा।। इति श्री ऋणमोचक मङ्गलस्तोत्रम् सम्पूर्णम्।।


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ पूरे मन से करने पर क़र्ज़ से धीरे-धीरे मुक्ति मिल सकती है और आर्थिक संकट भी दूर हो सकते हैं। ऋण-मुक्ति के लिए इसे बहुत ही प्रभावी माना जाता है।

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