22 दिसंबर को साल का सबसे छोटा दिन:पृथ्वी के दक्षिणी हिस्से में होगा सूर्य इसलिए सबसे लंबी रहेगी रात, अब मौसम में बढ़ेगी ठंडक

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22 दिसंबर को साल का सबसे छोटा दिन:पृथ्वी के दक्षिणी हिस्से में होगा सूर्य इसलिए सबसे लंबी रहेगी रात, अब मौसम में बढ़ेगी ठंडक







 22 दिसंबर को साल का सबसे छोटा दिन रहेगा। जो 12 घंटे का नहीं होकर करीबन 10 घंटे 40 मिनट का होगा। अलग-अलग शहरों में दिन की लंबाई कुछ मिनट कम-ज्यादा हो सकती है। खगोल विज्ञान के जानकारों का कहना है कि ये खगोलीय घटना कभी 21 तो कभी 22 दिसंबर को होती है। इससे पिछले 2020 ये घटना 21 दिसंबर को हुई थी।

मकर रेखा पर होता है सूर्य
उज्जैन की जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डॉ. राजेंद्र प्रकाश गुप्त का कहना है कि हर साल 21 या 22 दिसंबर को सूर्य मकर रेखा पर होता है। यानी इसके बाद उत्तरी गोलार्द्ध की तरफ बढ़ता है। इससे पृथ्वी के उत्तरी भाग वाले देशों में धीरे-धीरे दिन की लंबाई बढ़ने के साथ ही रात का समय कम होने लगता है।

वहीं, दक्षिणी गोलार्ध वाले देशों में सूर्य की रोशनी ज्यादा समय तक धरती पर होगी। यही वजह है कि ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और साउथ अफ्रीका जैसे देशों में इसे साल का सबसे बड़ा दिन कहा जाता है। क्योंकि इसके बाद वहां दिन की लंबाई कम होने लगती है। इस वक्त उन देशों में गर्मी का मौसम होता है।

दिन छोटे बड़े क्यों ?
पृथ्वी के झुके होने से दिन छोटे-बड़े होते हैं। सोलर सिस्टम का हर ग्रह अलग-अलग एंगल पर झुका हुआ है। पृथ्वी भी अपने एक्सिस पर 23.5 डिग्री झुकी हुई है। इस कारण किसी एक जगह पड़ने वाली सूर्य की किरणों का समय साल के अलग-अलग दिन अलग होता है।
पृथ्वी का बायां हिस्सा यानी उत्तरी गोलार्द्ध साल के छह महीने सूरज की ओर झुका होता है। इसलिए इन दिनों सूर्य की सीधी रोशनी ज्यादा समय तक धरती पर पड़ती है। इस दौरान यहां गर्मी का मौसम होता है। बाकी छह महीने ये हिस्सा सूरज से दूर चला जाता है इसलिए यहां दिन छोटे और रातें बड़ी होने लगती हैं।

हेमंत से शिशिर की तरफ बढ़ती है ऋतु
जब सूर्य के मकर रेखा पर आता है तब हेमंत ऋतु का एक महीना बीत चुका होता है और एक महीना ही बाकी रहता है। इसके बाद शिशिर ऋतु शुरू होती है। जो कि 14 जनवरी से 14 मार्च तक रहती है। शिशिर ऋतु के दौरान ही मकर संक्रांति, लोहड़ी, पोंगल, तिल चतुर्थी, अमावस्या और पूर्णिमा पर्व मनाए जाएंगे।
इन उत्सवों और त्योहारों पर पर किए जाने वाले कामों को मौसम का ध्यान रखते हुए ही परंपराओं में शामिल किया है। धर्मग्रंथों में बताए गए व्रत-पर्व और परंपराएं ठंड को ध्यान में रख कर ही बनाए गए हैं। जो सेहत के लिए भी फायदेमंद हैं।

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