गांव डिंग के किसान ने साल 2018 में लगाया 5 एकड़ जमीन में अमरूद का बाग, अब कमाई हो रही लाखों में

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गांव डिंग के किसान ने साल 2018 में लगाया 5 एकड़ जमीन में अमरूद का बाग, अब कमाई हो रही लाखों में

चौपटा । क्षेत्र के युवा पढे लिखे  किसान परंपरागत खेती के साथ-साथ आधुनिक तरीके से बागवानी, पशुपालन, सब्जियां इत्यादि लगाकर अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बना रहे हैं। इसी कड़ी में गांव डिंग (सिरसा) के युवा किसान ज्ञान धारी पुत्र छोटूराम पचार ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद 5 एकड़ जमीन में हिसार सफेदा किस्म का अमरुद लगाकर परंपरागत खेती के साथ-साथ अतिरिक्त कमाई का जरिया बनाया।

हालांकि ज्ञान धारी को पब्लिक हेल्थ विभाग में वाटर पंप ऑपरेटर की नौकरी भी मिल गई लेकिन खेती से जुड़े होने के कारण खेती-बाड़ी की देखभाल भी बखूबी कर रहे हैं।  अपने पिता छोटूराम पचार के साथ मिलकर बागवानी में हर वर्ष करीब 15 लाख रुपए की आमदनी हो रही है। ज्ञान धारी ने बताया कि इस क्षेत्र के वातावरण के अनुकूल हिसार सफेदा किस्म का अमरूद पूरी तरह से कामयाब है।  

गांव डिंग (सिरसा) के युवा किसान ज्ञान धारी पुत्र छोटूराम पचार ने बताया कि उन्होंने साल 2018 में 5 एकड़ जमीन में हिसार सफेदा किस्म के अमरूद का बाग लगाया। उन्होंने बताया कि इन्होंने इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग से डिप्लोमा किया हुआ है और पब्लिक हेल्थ विभाग में वाटर पंप ऑपरेटर के पद पर कार्यरत है। लेकिन जब भी समय मिलता है खेती-बाड़ी के कार्य में अपने पिता के साथ का सहयोग कर रहे हैं। 

उन्होंने बताया कि हिसार यूनिवर्सिटी से तैयार की गई किशन हिसार सफेदा अमरूद को अपने खेत में 5 एकड़ जमीन में 800 पौधे लगाए हुए हैं। जिनसे उन्हें अच्छी कमाई हो रही है पिछले 2 साल से सालाना करीब 15 लाख रुपए की आमदनी हो रही है। उन्होंने बताया कि हिसार सफेदा किस्म हिसार विश्वविद्यालय से तैयार की गई किस्म है और इसकी खासियत यह है कि यह सिरसा, हिसार और निकटवर्ती राजस्थान के क्षेत्र के वातावरण व मिट्टी के लिए उपयोगी किस्म है।  
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इस क्षेत्र में इसका उत्पादन भी अधिक होता है तथा अमरूद भी अन्य किस्मों के मुकाबले मीठा होता है। उन्होंने बताया कि हिसार सफेदा किशन के पौधों में जरूरत पड़ने पर खारे पानी से भी सिंचाई की जा सकती है इसके अलावा इसके फल का वजन भी काफी अधिक होता है । उन्होंने बताया कि उसके बाग में 480 ग्राम तक के फल की पैदावार हो चुकी है।
 
किसान परंपरागत खेती के साथ आधुनिक तरीके से बागवानी, फल, सब्जियां या पशुपालन कर अतिरिक्त कमाई करके आत्मनिर्भर बन सकते हैं।

सरकार की सहायता से खेत में बनाईं पानी की डिग्गी, ड्रीप सिस्टम से करता है सिंचाई
ज्ञान धारी पचार ने बताया कि उन्होंने सरकार की सहायता से खेत में पानी की डिग्गी बना ली है जिसमें पानी एकत्रित कर लिया जाता है। और जब जरूरत होती है तो उस पानी से ड्रिप सिस्टम द्वारा सिंचाई कर पौधों को खाद और पानी सीधा जड़ो में दिया जाता है जिससे एक तो पानी की बचत होती है और पौधों को जरूरत के हिसाब से पानी व  खाद इत्यादि मिल जाती है । यह सब सरकार के सहयोग से मिला है।  
 


क्षेत्र में मंडी व वैक्सिंग प्लांट लगाया जाए
ज्ञान धारी ने बताया कि उसके गांव से फलों की मण्डी  दूर पड़ती है। जिससे फलों को वहां ले जाकर बेचने में यातायात खर्च ज्यादा आता है। तथा बचत कम होती है।   उसका कहना है कि अगर फलों व सब्ज़ियों की मण्डी नजदीक में विकसित हो जाए तो यातायात खर्च कम होने से बचत ज्यादा हो जाएगी।

https://choptaplus.in/Agriculture/Bhagat-Ram-a-farmer-of-Gusaiana-discovered-a-source-of/cid9489516.htm
   

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